Inflation बढ़ने में Russia-Ukraine युद्ध की बड़ी भूमिका, अगस्त तक दरों में 0.75% तक की बढ़ोतरी कर सकता है RBI: एसबीआई रिपोर्ट
मुंबई। महंगाई बढ़ने में रूस-यूक्रेन युद्ध की बड़ी भूमिका रही है। सोमवार को एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उत्पन्न हुए भू-राजनीतिक तनावों का महंगाई (Inflation) बढ़ने में कम से कम 59 प्रतिशत का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के इस दौर में अप्रैल में आंकड़ा 7.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक बार फिर रेपो रेट बढ़ाकर महामारी के पहले के स्तर 5.15 प्रतिशत पर लाने को तैयार दिखता है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि उन्होंने महंगाई पर रूस-यूक्रेन युद्ध के असर का अध्ययन किया है, जिसमें यह बात सामने आई है कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों की वजह से कीमतों में 59 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
फरवरी को आधार मानते हुए यह शोध किया गया जिससे स्पष्ट होता है कि सिर्फ इस युद्ध की वजह से खाद्य पदार्थों, ईंधन, लाइट और परिवहन की महंगाई 52 प्रतिशत बढ़ी। वहीं, एफएमसीजी सेक्टर का इनपुट कॉस्ट बढ़ने से कीमतों में और 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। एसबीआई ईकोरैप की रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों ने बताया कि महंगाई से जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक कीमतों में बढ़ोतरी की बात है तो ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में इसमें भिन्नता है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे अधिक असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया वहीं शहरी क्षेत्र की महंगाई ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से प्रभावित हुई।
एसबाआई ईकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए यह लगभग तय है कि RBI जून और अगस्त में दरों में बढ़ोतरी करेगा और अगस्त तक इसमें इजाफा कर महामारी से पहले के स्तर 5.15 प्रतिशत पर ले जा सकता है। आरबीआई के सामने सोचने के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तरह दरों में बढ़ोतरी से महंगाई में उम्मीद के मुताबिक कमी आएगी अगर युद्ध से जुड़े हालात जल्द नहीं सुधरते।
आरबीआई को यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर दरों में लगातार बड़ी बढ़ोतरी होती रही तो क्या ग्रोथ प्रभावित होगी। महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई द्वारा दरों में बढ़ोतरी का समर्थन करते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इसका सकारात्मक असर भी देखा जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च ब्याज दर फाइनेंशियल सिस्टम के लिए भी सकारात्मक हैं क्योंकि इससे जोखिमों की कीमतें दोबारा तय होती हैं।