ऑनलाइन गेम की लत ने लिया 12 लाख का कर्ज, मोहम्मद कौसर की जिंदगी में आया संकट
बिहार के मोहम्मद कौसर, जिनकी उम्र अभी 25 साल है, मोबाइल गेम की लत के कारण बड़े आर्थिक संकट में फंस गए हैं। शुरुआत में यह शौक सिर्फ मनोरंजन के लिए था, लेकिन धीरे-धीरे यह एक गंभीर लत बन गया। लूडो जैसे ऑनलाइन गेम्स पर छोटी रकम से शुरू हुआ यह खेल आज मोहम्मद कौसर को 12 लाख रुपए के कर्ज में डुबो चुका है।
कैसे शुरू हुई लत?
कौसर ने शुरुआत में केवल 50-100 रुपए के दांव से खेलना शुरू किया। लेकिन जैसे-जैसे जीतने की उम्मीद और लालच बढ़ता गया, उन्होंने अपनी जमा-पूंजी तक गंवा दी। जब भी वे हारते, उन्हें लगता कि अगली बार वे यह नुकसान पूरा कर लेंगे, लेकिन हर बार हार उनके हिस्से आई। इस बीच, आर्थिक बोझ बढ़ता गया और उन्हें अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी। यहाँ तक कि बाकी सामान भी गिरवी रखना पड़ा, लेकिन 12 लाख का कर्ज बढ़ता गया।
समस्या सिर्फ कौसर की नहीं है
यह समस्या सिर्फ मोहम्मद कौसर तक सीमित नहीं है। उनके इलाके में और भी कई युवा इस ऑनलाइन गेम की लत के शिकार हो चुके हैं। लूडो जैसे सरल दिखने वाले गेम ने उन्हें आर्थिक संकट में डाल दिया है। मोहम्मद कौसर के बस्ती और कॉलोनी के कई युवा भी इसी तरह अपने पैसे और भविष्य को इस लत में गंवा रहे हैं।
प्रशासन और पुलिस की असमर्थता
मोहम्मद कौसर ने प्रशासन और पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कोई ठोस सहयोग नहीं मिला। ऑनलाइन गेम्स और इस प्रकार के फ्रॉड से जुड़ी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, जिसके कारण कौसर जैसे लोग अपनी शिकायतें लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे गेम्स के बढ़ते प्रचार को रोकना चाहिए, जो युवा पीढ़ी को आर्थिक और मानसिक रूप से बर्बाद कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर आवाज उठाने की कोशिश
कौसर अब सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात दुनिया के सामने लाना चाहते हैं ताकि अन्य लोग इस तरह के फ्रॉड का शिकार न हों। उन्होंने अपील की है कि इस मुद्दे पर जागरूकता फैलानी चाहिए और प्रशासन को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उनका कहना है, “यह सिर्फ मेरे साथ ही नहीं हो रहा, और भी कई लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। मैं चाहता हूं कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए और इसे रोका जाए।”
आर्थिक संकट से मानसिक संकट तक
कर्ज के बोझ तले दबे मोहम्मद कौसर न केवल आर्थिक रूप से परेशान हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी भारी तनाव में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे इस संकट से कैसे उबर पाएंगे। ऑनलाइन गेम की लत ने उनके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है और वह दूसरों को इस जाल में फंसने से रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
समाधान की ओर एक कदम
इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि ऑनलाइन गेम्स और उनसे जुड़े फ्रॉड पर नियंत्रण किया जा सके। प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसे मामलों में सक्रियता से काम करना चाहिए ताकि अन्य युवाओं को इस खतरनाक लत से बचाया जा सके।
यह कहानी सिर्फ मोहम्मद कौसर की नहीं है, बल्कि उन सभी युवाओं की है जो ऑनलाइन गेम्स की लत के शिकार हो रहे हैं। समाज को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि कौसर और उनके जैसे अन्य लोग इस चक्रव्यूह से बाहर निकल सकें।