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कहानी एक ‘सरफिरे’ की, जिसने आम आदमी को भी हवाई जहाज में बिठा दिया, अक्षय कुमार की जोरदार वापसी

अक्षय कुमार के लिए पिछले कुछ महीने अच्छे नहीं रहे हैं। इस साल के पहले हाफ में उनकी फिल्म बड़े मियां छोटे मियां बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। उससे पहले भी कुछ फिल्में ठीक नहीं चलीं। 12 जुलाई को रिलीज हो रही सरफिरा उनके करियर के लिए अहम फिल्म है। यह बायोपिक फिल्म है जो जीआर गोपीनाथ के जीवन की घटनाओं को दिखाती है।

मूवी रिव्यू

  • नाम:सरफिरा
  • रेटिंग :
  • कलाकार :अक्षय कुमार, राधिका मदान, सीमा बिस्‍वास, परेश रावल, जय उपाध्‍याय
  • निर्देशक :सुधा कोंगरा
  • निर्माता :सूर्या
  • लेखक :सुधा कोंगरा
  • रिलीज डेट :Jul 12, 2024
  • प्लेटफॉर्म :सिनेमाहॉल
  • भाषा :हिंदी
  • बजट :NA

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। देश में कभी हवाई यात्रा अभिजात्य वर्ग की विलासिता मानी जाती थी, लेकिन उसे आम आदमी की पहुंच में लाने वाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ थे। भारत में कम लागत वाली एयरलाइनों (एलसीसी) के जनक कहे जाने वाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ एक रुपये में टिकट और ई-टिकट के साथ वाणिज्यिक विमानन क्षेत्र में क्रांति लाए थे।

यह फिल्‍म उन्‍हीं की किताब सिंपली फ़्लाई: ए डेक्‍कन ओडसी (Simply Fly: A Deccan Odyssey) पर आधारित है। हालांकि, यह बायोपिक फिल्‍म है, लेकिन पात्रों के नाम और स्‍थान बदल दिए गए हैं। संभवत: किसी प्रकार के विवाद से बचने के लिए फिल्‍ममेकर्स ने यह निर्णय लिया होगा।

क्या है सरफिरा की कहानी?

महाराष्‍ट्र के अंदरूनी गांव में रहने वाला स्‍कूल मास्‍टर का बेटा वीर जनार्दन म्‍हात्रे (अक्षय कुमार) कम लागत वाली एयरलाइंस शुरू करने के इरादे से एयरफोर्स की नौकरी से इस्‍तीफा दे चुका है। उसे 24 बैंक ऋण देने से इनकार कर चुके हैं। वीर अपने दो दोस्‍तों के साथ एयरलाइंस खोलने को लेकर प्रयासरत है।

उसका आदर्श जैज एयरलाइंस का मालिक परेश गोस्‍वामी (परेश रावल) है, जिसका विमानन इंडस्‍ट्री में दबदबा है। वह चाहता है कि परेश उसके आइडिया में इन्वेस्‍ट करें। परेश को पसंद नहीं कि हवाई यात्रा आम लोगों की पहुंच में आए और वर्ग विभाजन खत्‍म हो। निराश वीर को प्रकाश बाबू (प्रकाश बेलवाड़ी) से उम्‍मीद नजर आती है, जो उसके आइडिया में निवेश करने को तैयार हो जाता है।

बाद में पता चलता है, वह प्रकाश का आदमी होता है, जिसने आकाश में उड़ने के सपने देखने वाले वीर को सड़क पर चलने लायक नहीं छोड़ा। हालांकि, इन हालात में उसकी पत्‍नी रानी (राधिका मदान) उसका संबल बनती है। मस्‍तमौला रानी के भी अपने सपने हैं। वह शुरू में ही स्‍पष्‍ट कर देती है कि सिलाई, कढ़ाई जैसे काम आने के बावजूद वह घरेलू महिला बनकर नहीं रहना चाहती है।

दोनों के मिलने और फिर शादी करने की दिलचस्‍प कहानी भी इसमें हैं। खैर परेश के दबदबे के बीच वीर किस प्रकार अपने सपनों को उड़ान देता है, फिल्‍म इस संबंध में है।

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