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परेश रावल ने 3 दिन में छोड़ दी थी नौकरी:गर्लफ्रेंड से उधार लेकर किया गुजारा, ‘हेरा-फेरी’ के रोल बाबूराव से बने कॉमेडी किंग

अपनी बेहतरीन कॉमेडी और एक्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले परेश रावल आज 69 साल के हो गए हैं। तकरीबन 240 फिल्मों में काम कर चुके परेश रावल ने 100 फिल्मों में विलेन और बाकी ज्यादातर फिल्मों में कॉमिक रोल किए हैं।

इन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत बतौर थिएटर आर्टिस्ट की थी। इसी बीच बैंक में नौकरी लगी तो सिर्फ 3 दिन में छोड़ दी और गर्लफ्रेंड से पैसे लेकर गुजारा करते रहे। बाद में फिल्मों में किस्मत आजमाई और फिर पीछे पलटकर नहीं देखा।

अपनी दमदार अदाकारी के दम पर ये इंडस्ट्री के बड़े स्टार बन गए। इन्हें 1993 में फिल्म ‘सर’ और 1994 में फिल्म ‘छोकरी’ के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला, लेकिन सबसे ज्यादा पॉपुलैरिटी परेश रावल को मिली फिल्म ‘हेरा-फेरी’ से।

साल 2000 रिलीज हुई इस फिल्म में परेश रावल ने बाबूराव गणपतराव आप्टे उर्फ बाबू भैया का रोल निभाया और फिर इसी नाम से पहचाने जाने लगे। हालांकि, परेश रावल को अब ये किरदार बिल्कुल पसंद नहीं है।

परेश रावल की जिंदगी और फिल्मों से जुड़े कुछ ऐसे ही दिलचस्प फैक्ट्स पर नजर डालते हैं।

मात्र 3 दिन में छोड़ दी थी बैंक की नौकरी
परेश रावल का जन्म 30 मई 1955 को मुंबई की एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। पिता बिजनेसमैन थे, लेकिन परेश बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे। पिता ने भी उन्हें कभी इसके लिए नहीं रोका। स्कूल के दिनों से ही परेश रावल नाटकों में हिस्सा लिया करते थे।

ये सिलसिला कॉलेज के जमाने तक भी चला जिसके चलते परेश रावल को फिल्मों में कई रोल ऑफर होने लगे। हालांकि, तब उनकी फिल्मों में दिलचस्पी नहीं थी और वो थिएटर में काम करके ही खुश थे।

इसके अलावा उन्होंने एक बैंक में नौकरी करनी शुरू की, लेकिन ये 3 दिन में ही छोड़ दी थी, क्योंकि वो उस जॉब से नाखुश थे। इसके बाद वो करीब दो महीने तक अपनी गर्लफ्रेंड स्वरूप संपत से उधार लेकर गुजारा करते रहे, लेकिन फिर एक दिन उनकी मुलाकात फिल्म डायरेक्टर केतन मेहता से हुई।

दोनों मिले तो एक नाटक के सिलसिले में थे, लेकिन इसी दौरान दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई और केतन मेहता ने इन्हें फिल्मों में काम करने के लिए मना लिया।

केतन मेहता के कहने पर साइन की ‘होली’
केतन मेहता के कहने पर ही परेश रावल ने फिल्म ‘होली’ साइन की जो कि 1984 में रिलीज हुई थी। इस वक्त रावल 34 साल के थे और मंझे हुए थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर अपनी पहचान बना चुके थे। फिल्म ‘होली’ में भी उनके काम की काफी तारीफ हुई।

फिल्म ‘होली’ में उनका काम देखकर ही डायरेक्टर राहुल रवैल ने उन्हें फिल्म ‘अर्जुन’ के लिए साइन कर लिया। इसके बाद रवैल ने अपनी कई फिल्मों जैसे ‘समंदर’, ‘डकैत’, ‘योद्धा’, ‘जीवन एक संघर्ष’ में परेश को ही लिया।

जब विलेन के रोल से ऊब गए परेश
उन्होंने काफी समय तक विलेन के रोल प्ले किए। उन्हें अक्सर बिजनेसमैन, जमींदार, थानेदार जैसे किरदारों में देखा गया, जिनमें इनका किरदार नेगेटिव हुआ करता था। लंबे समय तक एक ही तरह के नेगेटिव रोल करते हुए परेश रावल बोर हो गए।

उन्होंने दोस्त केतन मेहता को अपने मन की बात बताई। केतन ने उन्हें विलेन की इमेज से बाहर निकालने के लिए 1993 में फिल्म ‘सरदार’ बनाई। इस फिल्म में परेश रावल ने सरदार वल्लभ भाई पटेल का किरदार निभाया जिसे काफी पसंद किया गया।

‘अंदाज अपना अपना’ में परेश रावल।
‘अंदाज अपना अपना’ में परेश रावल।

गैंगस्टर के रोल ने दिलवाया अवॉर्ड
1993 में परेश रावल महेश भट्ट की फिल्म ‘सर’ में एक गैंगस्टर के रोल में नजर आए। फिल्म की कहानी एक आम आदमी के परिवार की थी जो दो गैंगस्टर्स की लड़ाई में उजड़ जाती है। इस फिल्म में परेश ने गैंगस्टर वेलजी के रोल में जान फूंक दी थी, जिसके लिए उन्हें साल 1994 में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।

1994 में ही परेश को फिल्म ‘वो छोकरी’ के लिए भी बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया।

‘अंदाज अपना अपना’ से बदली इमेज
1994 में फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ में परेश तेजा के किरदार में नजर आए। फिल्म में उनका एक डायलॉग था- तेजा मैं हूं, मार्क किधर है बेहद पॉपुलर हुआ। इस हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म में परेश रावल के किरदार को बेहद पसंद किया गया।

सही मायनों में कहा जाए तो परेश रावल ने विलेन की इमेज से निकलकर कॉमेडी की ओर कदम इसी फिल्म से बढ़ाया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और फैंस को इम्प्रेस करते गए।

आगे चलकर परेश रावल को ‘मोहरा’ के सब इंस्पेक्टर काशीनाथ, ‘चाची 420’ के हरी भाई, ‘आंखें’ के इलियास, ‘हंगामा’ के राधेश्याम तिवारी के रोल में भी काफी पसंद किया गया।

'हेरा फेरी' में परेश रावल।
‘हेरा फेरी’ में परेश रावल।

‘हेरा फेरी’ के ‘बाबू भैया’ ने कर दिया अमर
साल 2000 में परेश रावल, प्रियदर्शन की फिल्म ‘हेरा फेरी’ में बाबू भैया के रोल में नजर आए। इस किरदार ने परेश को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। ये बाबूराव का स्टाइल है जैसे डायलॉग फैंस की जुबान पर छा गए। आलम ये है कि फिल्म रिलीज होने के 24 साल बाद आज भी बाबू भैया के डायलॉग्स पर हजारों मीम वायरल होते हैं।

‘हेरा फेरी’ के हिट होने के बाद इसका सीक्वल 2006 में रिलीज हुआ था जिसका नाम ‘फिर हेरा फेरी’ था, इसमें भी परेश रावल ने काम किया था। अब जल्द ही इसका तीसरा पार्ट भी आने वाला है, जिसकी शूटिंग चल रही है।

बाबू भैया के रोल से हुए बोर
भले ही परेश रावल को पॉपुलैरिटी बाबू भैया के रोल से मिली, लेकिन अब उन्हें ये किरदार बिल्कुल पसंद नहीं है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो अपने निभाए सभी किरदारों को पसंद करते हैं, लेकिन अब वो बाबू भैया के रोल से बोर हो चुके हैं और इससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं।

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