हिटलर ने जो किया वही कर रहे पुतिन:रूस में राइफलों संग सोल्जर्स स्टैच्यू तैनात, सांता की जगह ‘सैनिक’ बांटेंगे क्रिसमस गिफ्ट
यूक्रेन के साथ युद्ध में लगा रूस अपनी हर अदा में जंगी जुनून दिखा रहा है। क्रिसमस भी इससे अछूता नहीं रहा। रूस के कई शहरों में इस बार क्रिसमस पर सांता क्लॉस की जगह क्लासनिकोव रायफल लिए सैनिकों की स्टैच्यू बनाई जा रही है।
रूस के ठंडे इलाकों में क्रिसमस पर बर्फ की स्टैच्यू बनाने की परंपरा रही है। इसमें आमतौर पर सांता, स्नो मैन, किले और जानवर बनाए जाते रहे हैं। लेकिन, जंग की स्थिति में इस बार का नजारा बदला-बदला दिखई दे रहा है।
लोकल ऑफिसर्स ने खड़ी करवाईं स्टैच्यू
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी मास्को से 5 हजार किलोमीटर दूर साइबेरिया इलाके में ये स्टैच्यू लगाई गई हैं। यहां के एक छोटे से शहर के मुख्य बाजार से लेकर बस स्टॉप और दूसरे पब्लिक प्लेसेज पर ऐसी मूर्तियां लगाई गई हैं। ये मूर्तियां स्थानीय अफसरों ने खड़ी करवाई हैं।
आम लोगों में इन मूर्तियों को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ लोग इसे सही मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि पुतिन ये सब करके उनका फेस्टिवल खराब कर रहे हैं।
देश में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ना चाहते हैं पुतिन
रूस में कई लोग ऐसे भी हैं जो कि पुतिन के जंगी जुनून का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि रूस का यूक्रेन पर आक्रमण करना गलत है। ऐसे में पुतिन लोगों में राष्ट्रवादी भावनाओं को जगा कर जंग के औचित्य को सही साबित करना चाहते हैं।
रूसियों को जबरदस्ती सेना में भेजने की चल रही है कवायद
पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रूस-यूक्रेन जंग की शुरुआत से अब तक हजारों रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। मोर्चे पर लड़ने के लिए अब रूस को और सैनिकों की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में देश के आम युवाओं को फौज मे भर्ती किया जा रहा है। कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि युवाओं को डरा-धमका कर और जबरदस्ती भी फौज में भर्ती किया जा रहा है।
साथ ही प्रतिष्ठित सैनिकों की स्टैच्यू स्थापित करने की कवायद को भी इसलिए किया जा रहा है ताकि देश के ज्यादा से ज्यादा युवा फौज में जाने के लिए प्रेरित हो सकें।
हिटलर ने अपनाई थी ये तरकीब
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब कोई नेता जंगी जुनून को बढ़ाने में लगा हो। अपने दौर में जर्मन तानाशाह हिटलर और उसके प्रचार मंत्री गोयबेल्स ने भी जंगी जुनून के प्रचार के लिए अनोखा तरीका अपनाया था। जर्मनी में उस दौरान बड़े पैमाने पर नाजी विचारधारा समर्थित फिल्में दिखाई जाती थीं। पूरे जर्मनी की सड़कों को एडोल्फ हिटलर के नारों और पोस्टर्स से पाट दिया गया था। इतना ही नहीं, हिटलर की पार्टी से जुड़े साइंटिस्ट घर-घर जाकर सुपर नस्ल की थ्योरी बताते थे। ताकि बड़े पैमाने पर यहूदियों के नर-संहार को सही ठहराया जा सके।