कर्ज के जाल में बुरा फंसा पाकिस्तान:एक साल में चुकाने होंगे 21 लाख करोड़ रुपये, वित्त मंत्री बोले- IMF के सामने नहीं गिड़गिड़ाएंगे
आर्थिक हालातों से जूझ रहे पाकिस्तान को अपने साथी देश से 24 हजार करोड़ रुपये की मदद मिलने वाली है। यह मदद दो हफ्तों में मिल जाने का अनुमान रखा गया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डारइशाक डार ने जीओ न्यूज को दिए इंटरव्यू में यह जानकारी दी है।
डार ने कहा कि पाकिस्तान का फॉरन रिजर्व 61 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है जिसे एक साथी देश की मदद से 24 हजार करोड़ रुपये तक और बढ़ाया जाएगा। हालांकि डार ने साथी देश के नाम का खुलासा नहीं किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अपने इंटरव्यू में आईएमएफ से भी नाराजगी जताई है। उन्होंने IMF पर कर्ज देने के लिए होने वाले रिव्यू में देरी करने का आरोप लगाया।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा वो बचे हुआ लोन के लिए IMF के सामने गिड़गिड़ा नहीं सकते हैं।
प्रोसेस पूरी होने के बाद देरी करने का मतलब नहीं
डार ने कहा कि जरूरी प्रोसेस पूरी होने के बाद भी रिव्यू में देरी की जा रही है इसका कोई मतलब नहीं बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब उन्हें फर्क नहीं पड़ता है, वो गिड़गिड़ाना नहीं चाहते।दरअसल दिवालिया घोषित होने के बाद से पाकिस्तान को IMF की तरफ से 48 हजार करोड़ रुपये का बेलआउट पैकेज दिया गया था। जिसमें इस साल 8 हजार करोड़ रुपये और जोड़ दिए गए हैं।
पाकिस्तान को 12 महीने में चुकाना होगा विदेशी कर्ज
एकतरफ जहां पाकिस्तान को IMF से बेलआउट फंड मिलने में समय लग रहा है वहीं दूसरी ओर उस पर लगातार विदेशों से लिया कर्ज उतारने का दबाव बनाया जा रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सिक्योरिटीज फर्म ओपटिमस कैपिटल मैनेजमेंट के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान को 12 महीने के भीतर विदेशी कर्ज चुकाना होगा। विदेशी और पुराने कर्ज मिलाकर पाकिस्तान को कुल 21 लाख करोड़ रुपये देने हैं।
जनवरी तक ही देने होंगे 72 हजार करोड़
सिक्योरिटी फर्म के मुताबिक 21 लाख करोड़ में से दिसंबर और जनवरी 2023 में ही पाकिस्तान को 72 हजार करोड़ रुपये देने होंंगे। पिछले 11 महीनों में पाकिस्तान का फॉरन एक्सचेंज रिजर्व लगातार कम होता जा रहा है। यह स्थिति भी तब है जब पाकिस्तान को लगातार IMF और एशियन डेवेलेपमेंट बैंक से हाल ही के महीनों में लोन मिला है। बढ़ते कर्ज और कम हो रहे फॉरेन एक्सचेंज ने पाकिस्तान को खतरनाक स्थिति में डाल दिया है। पाकिस्तान सरकार हर संभव कोशिश कर रही है कि उसे और कर्ज न लेना पड़े। लगातर बढ़ रहे इंपोर्ट्स को कंट्रोल में रखने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।