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सपा के विधायक शिवपाल सिंह यादव का भाजपा के नेताओं के प्रति अचानक बढ़ा प्रेम, दे रहा बड़े संकेत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति के बेहद पुराने चेहरे तथा समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक शिवपाल सिंह यादव का भारतीय जनता पार्टी के प्रति प्रेम अचानक बढऩे लगा है। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से उनकी बढ़ती खटास के कारण ही उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली। अब 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद वह फिर नई राह पर हैं।

शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश यादव ने इटावा के जसवंतनगर से विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और बड़े वोट के अंतर से जीते। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने जब उनको विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया तो उनके तेवर तल्ख होने लगे। 28 मार्च को समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों की बैठक से किनारा करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने 29 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के कमरे में विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली और मीडिया को अपने अगले कदम का इंतजार करने को कहा।

शिवपाल सिंह यादव के भाजपा में शामिल होने या फिर भाजपा की मदद से राज्यसभा में जाने के कयास लग ही रहे थे कि उनका भाजपा नेताओं के प्रति अचानक बढ़ा प्रेम सामने आ ही गया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच तल्खी लगातार बढ़ती गई। अब तो शिवपाल के भारतीय जनता पार्टी में जाने को लेकर भी अटकलबाजियों के बीच में शिवपाल सिंह यादव ने सोशल मीडिया पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं को फालो किया। ट्विटर पर पीएम मोदी और सीएम योगी को फॉलो किया है। इसके अलावा शिवपाल यादव ने पूर्व डिप्टी सीएम रहे डॉ. दिनेश शर्मा को भी फॉलो किया है। पहले शिवपाल केवल पीएमओ और सीएमओ को ही फॉलो करते थे। पीएम और सीएम के ट्विटर को फॉलो करने के बाद सियासी गलियारों में एक बार फिर से प्रसपा अध्यक्ष के भाजपा में शामिल होने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। ऐसा होने के बाद से तो लग रहा है कि शिवपाल ने इसको अपने भविष्य के कदम का संकेत देने का काम किया है।

राजनीति के पंडित कयास लगा रहे है कि भारतीय जनता पार्टी शिवपाल सिंह यादव को राज्यसभा भेज सकती है और इटावा के जसवंतनगर से उनके बेटे आदित्य यादव को विधानसभा भेज सकती है। आदित्य यादव को अखिलेश यादव ने राजनीति में कहीं भी नहीं आजमाया, इससे भी शिवपाल सिंह यादव आहत हैं।

शिवपाल सिंह यादव अपने सम्मान के खिलाफ उठे किसी भी कदम से काफी आहत होते हैं। उनको लग रहा था कि जसवंतनगर से जीतने के बाद उनको समाजवादी पार्टी नेता प्रतिपक्ष बनाएगी। ऐसा नहीं हुआ और उनको तो बैठक में भी नहीं बुलाया गया। ऐसे में अगर शिवपाल यादव पाला बदलते है तो कई लोगों को आश्चर्य नहीं होगा। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही शिवपाल सिंह यादव के भाजपा में जाने पर मुहर लगती नजर आ रही है।

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