इस अप्रैल न बनें बेवकूफ! छोड़े सेहत से जुड़े ये 5 झूठ बोलना!
नई दिल्ली: आपने अक्सर लोगों को बोलते सुना होगा कि मैं बिल्कुल ठीक हूं, बस मौसम बदलने से थोड़ी दिक्कत हुई है। लोग अक्सर अपनी सेहत को लेकर इस तरह की बातें कहते हैं, जबकि सच यह होता है कि सिर्फ झूठ है। खुद से सेहत को लेकर इस तरह के झूठ बोलना आगे चलकर आपको ही नुकसान पहुंचाएगा। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर शरीर आपको संकेत भेजता है, लेकिन कई बार इसे अनदेखा कर दिया जाता है।
स्वास्थ्य से जुड़े झूठ जो लोग खुद से बोलते हैं:
- बीमारी के लक्षण नहीं तो मैं हेल्दी हूं
इसमें कोई शक़ नहीं कि शरीर में किसी भी तरह की दिक्कत शुरू होती है, तो उसके लक्षण फौरन दिखने लगते हैं। लेकिन कई बार संकेत इतने हल्के होते हैं कि उनपर ध्यान नहीं जाता या उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसलिए इस धारणा को भूलें कि जब तक लक्षण न दिखें तब तक हेल्थ चेकअप की ज़रूरत नहीं है।
- मेरे लिए 3 घंटे की नींद काफी है
तीन घंटे की नींद किसी के लिए भी काफी नहीं होती। क्योंकि आप ज़िम्मेदार हैं और आपके पास कई तरह के काम, इसका मतलब यह नहीं कि आपको नींद की ज़रूरत नहीं है। यह एक ऐसा सफेद झूठ है, जो आपके शरीर के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। नींद की कमी न सिर्फ आपके रोज़मर्रा के काम को प्रभावित कर सकती है, बल्कि मोटापे, दिल की बीमारी और हार्मोनल असंतुलन आदि जैसी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ाती है।
- मेरा वज़न ज़्यादा नहीं है, मैं सिर्फ जेनेटिकली गोल-मटोल हूं
शरीर का वज़न बॉडी टाइप और लंबाई पर निर्भर करता है। हालांकि, कई बार ज़्यादा वज़न को लोग जेनेटिक मानकर खुद से झूठ बोलते हैं। खुद को मोटा नहीं गोल-मटोल कहते हैं। आपका बॉडी टाइप चाहे जैसा भी हो, वज़न लंबाई और बॉडी के हिसाब से सही होना चाहिए।
- कभी-कभी ही स्मोक या ड्रिंक करता हूं
रेडियोएक्टिव पदार्थों के संपर्क में आने का प्रभाव धीरे-धीरे पड़ता है, लेकिन क्या कभी-कभार का एक्सपोज़र नुकसान नहीं करता है? ऐसा बिल्कुल नहीं है! आमतौर पर धारणा है कि कभी-कभी स्मोक या फिर ड्रिंक करना ठीक है, और शरीर को इससे नुकसान नहीं पहुंचता। हालांकि, सच यह है कि कभी-कभी ड्रिंक या स्मोक करना भी उतना ही नुकसान पहुंचाता है जितना की रोज़ करने से पहुंचता है।
- मेरी आंखें और कान हेल्दी हैं
आंखों के साथ-साथ कान भी उम्र के साथ कमज़ोर होने लगते हैं। फिर चाहे आपकी लाइफस्टाइल हेल्दी क्यों न हो, फिर भी आंखों और कानों की जांच नियमित तौरपर करानी चाहिए। इससे आप गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स से बचेंगे।