खैरागढ़ के रण में दांव पर भूपेश, रमन और अमित की प्रतिष्ठा
रायपुर । छत्तीसगढ़ राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने बिसात बिछा दी है। कांग्रेस, भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही प्रचार भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने यशोदा वर्मा, भाजपा ने कोमल जंघेल और जकांछ ने नरेंद्र सोनी को उम्मीदवार बनाया है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हुए तीन उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई है।
खैरागढ़ उपचुनाव इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और जोगी परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद हुए मरवाही विधानसभा उपचुनाव में जोगी परिवार से कोई भी सदस्य उम्मीदवार नहीं बन पाया था। जाति प्रमाणपत्र के विवाद के कारण चुनावी दौड़ से जोगी परिवार बाहर हो गया था। अब जकांछ विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद एक बार फिर चुनावी संग्राम में कांग्रेस और भाजपा के साथ जकांछ आ गई है।
फैक्ट फाइल
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जकांछ उम्मीदवार देवव्रत सिंह को 61 हजार 516 और भाजपा के कोमल जंघेल को 60 हजार 646 वोट मिले थे।
नामांकन की आखिरी तारीख 24 मार्च है। 28 मार्च तक प्रत्याशियों को अपने नाम वापस लेने का मौका दिया जाएगा। मतदान 12 अप्रैल को और परिणाम 16 अप्रैल को आएगा।
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राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद छत्तीसगढ़ में भी संगठन का उत्साह बढ़ा हुआ है। खैरागढ़ में पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे कोमल जंघेल 900 से भी कम वोट से हारे थे। जातिगत समीकरण के आधार पर भाजपा ने एक बार फिर कोमल को ही उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार यशोदा वर्मा पर दांव खेला है।
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्व सीएम डा. रमन सिंह को सीएम भूपेश बघेल उनके क्षेत्र राजनांदगांव में चुनौती देने उतरेंगे। अब तक हुए तीन उपचुनाव में भाजपा के किसी बड़े नेता का प्रभाव नहीं था। ऐसे में रमन बनाम भूपेश की लड़ाई इस चुनाव में देखने को मिलेगी। जकांछ अपना अस्तित्व और पार्टी को बचाने के लिए जीत दर्ज करने पूरा जोर लगाएगी। अगर जकांछ उम्मीदवार हार जाता है तो विधानसभा में पार्टी के सिर्फ तीन विधायक बचेंगे।
खैरागढ़ उपचुनाव तय करेगा रमन का भविष्य
खैरागढ़ उपचुनाव को लेकर चर्चा है कि इससे डा. रमन सिंह का भविष्य तय होगा। दरअसल, केंद्रीय संगठन ने साफ कह दिया है कि उत्तर प्रदेश की जीत के बाद खैरागढ़ में भी उसी तर्ज पर माहौल बनाया जाए। इसकी कमान रमन सिंह को सौंपी गई है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो उपचुनाव के परिणाम के बाद तय होगा कि रमन का प्रदेश भाजपा की राजनीति में क्या कद होगा।
पिछले चुनाव में 30 हजार वोट से पिछड़ी थी कांग्रेस
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जब पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल था, उस दौर में कांग्रेस खैरागढ़ में 30 हजार वोट से पिछड़ी थी। कांग्रेस उम्मीदवार गिरवर जंघेल को सिर्फ 31 हजार 811 वोट मिले थे, जबकि देवव्रत सिंह ने 61 हजार 516 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के सामने पिछले चुनाव के 30 हजार वोट को साधने की चुनौती है। हालांकि कांग्रेस को सीएम भूपेश बघेल के काम पर भरोसा है और उम्मीद कर रही है कि पिछले तीन उपचुनाव की तरह इस बार भी जीत मिल जाएगी।
वर्ष 2018 के चुनाव में इस तरह मिले वोट
प्रत्याशी प्राप्त मत मतों का प्रतिशत
देवव्रत सिंह जकांछ 61,516 36.08
कोमल जंघेल भाजपा 60,646 35.57
गिरवर जंघेल कांग्रेस 31,811 18.66
( कुल मतदान – 84.59 प्रतिशत)