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बदायूं में भाजपा की डैमेज कंट्रोल की कोशिश, जाने किस तरह बिठाया सियासी समीकरण

बरेली : विधानसभा चुनाव पिछली बार की तरह सिर्फ लहर से नहीं जीता जा सकेगा, इसमें जातीय फैक्टर बहुत कारगर होंगे। भाजपा के टिकट वितरण में इसका खौफ साफ दिखाई दिया। जिले की सभी छह सीटों पर हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़कर सपा में जाने से मौर्य शाक्य वोटर न छिटकें इसका विशेष खयाल रखा गया है। शायद यही वजह है कि पहली बार दो शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा गया है। कोई भी वर्ग यह आरोप लगाने की स्थिति में नहीं है कि उसके लोगों को तवज्जो नहीं दी गई है।

जिले के वैश्य वर्ग के मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए पार्टी ने नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता पर फिर दांव लगाया है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि आम जनता के लिए यह आसानी से उपलब्ध रहते हैं। पार्टी के वफादार नेताओं में इनकी गिनती है। पिछले दिनों पांच बार के विधायक रहे रामसेवक पटेल के भाजपा में वापस लौटने से कयासबाजी बहुत तेजी से बढ़ी थी कि टिकट में बदलाव हो सकता है, लेकिन हाल के दिनों में कई प्रदेश स्तरीय नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद हालात में बदलाव आ गया और मौजूदा विधायक को ही फिर मैदान में उतारा गया है।

शेखूपुर से विधायक धर्मेंद्र शाक्य का टिकट पहले से पक्का माना जा रहा था, लेकिन बिल्सी से हरीश शाक्य की चर्चा शुरू होने और स्वामी प्रसाद के साथ सपा में जाने वालों की सूची में नाम आने के बाद ऊहापोह की स्थिति मची थी। धर्मेंद्र शाक्य ने सफाई भी दी थी कि वह भाजपा छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं। दो शाक्य को टिकट मिलने की उम्मीद कम थी, इसलिए ठाकुर और ब्राह्मण वर्ग के दावेदार बिल्सी से अपना दावा करने लगे थे। पार्टी ने पिछड़ा वर्ग साधने के लिए बिल्सी में भी हरीश शाक्य को चुनाव मैदान में उतार दिया है।

पिछले दिनों भाजपा की जन विश्वास यात्रा में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जब बदायूं आए थे तो वह खासतौर पर बिल्सी के सिरासौल में हरीश शाक्य की जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। विधानसभा और लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि कहीं समायोजित किया जाएगा, अब जाकर वह वादा पूरा किया गया है। दातागंज में ठाकुर राजीव कुमार सिंह और बिसौली में अनुसूचित जाति के कुशाग्र सागर मौजूदा विधायक हैं, इसलिए इनका टिकट नहीं काटा गया है।

बिल्सी में शाक्य को टिकट देने के बाद ब्राह्मण समाज के नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही थी। सहसवान में किसी यादव को टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन जातीय संतुलन बनाने के लिए पार्टी ने यहां से डीके भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतारकर सभी को खुश करने की कोशिश की गई है।

बिल्सी में तो शाक्य प्रत्याशियों में ही होगा घमासान

बिल्सी विधानसभा सीट पर सपा गठबंधन से महान दल ने पहले ही शाक्य प्रत्याशी मैदान में उतार दिया था। बसपा ने भी सपा से असंतुष्ट रहीं टिकट के दावेदार को ही पार्टी में शामिल कर शाक्य महिला को चुनाव मैदान में उतार दिया था। अब भाजपा ने भी यहां शाक्य बिरादरी के प्रत्याशी को ही चुनाव मैदान में उतारा है। यहां घमासान शाक्य प्रत्याशियों के बीच ही होता दिखाई देने लगा है।

कई दिग्ग्जों में मंसूबों पर फिरा पानी,

भाजपा का टिकट घोषित होने के बाद कई दिग्गजों के मंसूबों पर पानी फिर गया है। रामसेवक सिंह पटेल और डा.शैलेश पाठक टिकट की उम्मीद में ही पार्टी में शामिल हुए थे। इनके अलावा मेजर कैलाश भी टिकट की आस में बसपा छोड़कर भाजपा में आए थे। छह सीटों पर 56 लोग दावेदारी कर रहे थे, लेकिन सभी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। मौजूदा विधायकों के दावेदारों में सिर्फ हरीश शाक्य और डीके भारद्वाज ही टिकट पाने में सफल हो सके हैं।

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