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चैरिटेबल ट्रस्ट उनके द्वारा प्राप्त अनुदान और गैर-परोपकारी दान पर 18 फीसद GST भुगतान के लिए उत्तरदायी

नई दिल्ली। महाराष्ट्र AAR ने फैसला सुनाया है कि चैरिटेबल ट्रस्ट उनके द्वारा प्राप्त अनुदान और गैर-परोपकारी दान पर 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। दरअसल, महाराष्ट्र पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट एक्ट 1950 के तहत रजिस्टर्ड एक चैरिटेबल ट्रस्ट, जयशंकर ग्रामीण वा आदिवासी विकास संस्था संगमनेर ने अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) की महाराष्ट्र बेंच से संपर्क किया था, जिसमें यह स्पष्ट करने की मांग की गई थी कि क्या केंद्र और राज्य सरकारों सहित विभिन्न संस्थाओं से दान/अनुदान के रूप में वह प्राप्त राशि पर जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।

ट्रस्ट एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में I-T अधिनियम के तहत भी रजिस्टर्ड है। यह महिलाओं और बाल कल्याण के लिए आश्रय, शिक्षा, मार्गदर्शन, कपड़े, भोजन और स्वास्थ्य के माध्यम से 50 अनाथ और बेघर बच्चों को सेवाओं की आपूर्ति करता है।

महाराष्ट्र महिला एवं बाल कल्याण विभाग प्रति बच्चे प्रति माह 2,000 रुपये का भुगतान करता है। बच्चों के लिए अन्य खर्च दान से किए जाते हैं। अपने फैसले में AAR ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा प्राप्त अनुदान के लिए 18 प्रतिशत वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के लिए चार्जेबल होगा।

दान के मामले में एएआर ने कहा कि अगर दान का उद्देश्य परोपकारी है और इससे कोई व्यावसायिक लाभ नहीं होता है और यह विज्ञापन नहीं है, तो इस पर जीएसटी नहीं लगेगा। अन्य सभी मामलों में दान पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि चैरिटेबल ट्रस्ट जुलाई 2017 से जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं। इस फैसले के बाद सभी धर्मार्थ संगठनों के लिए जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।

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