भाजपा ने संजय के तीर से निषादों पर साधा निशाना, पूर्वांचल की चार दर्जन से अधिक सीटों पर है नजर
गोरखपुर। विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत समीकरण को अपने पक्ष में करने में जुटी भाजपा ने अपना वो दांव चल दिया, जिसको लेकर लंबे समय से कयासबाजी जारी थी। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद को विधान परिषद भेजकर भाजपा ने उन विपक्षी दलों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है, जो निषादों के सहारे सत्ता में वापसी का सपना देख रहे थे। पूर्वांचल की चार दर्जन से अधिक सीटों पर प्रभाव रखने वाले निषाद फैक्टर को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा पहले ही रुद्रपुर विधायक जय प्रकाश निषाद को मंत्रिमंडल में जगह देने के साथ गोरखपुर के जय प्रकाश निषाद को राज्यसभा भेज चुकी है। अब निषादों में अपनी मजबूत पकड़ का दावा करने वाले डा. संजय को भी उच्च सदन में भेजकर भाजपा ने अपने पाले में कर लिया है।
जातिगत समीकरण को साधने के साथ विपक्षी दलों के लिए भाजपा ने खड़ी की नई चुनौती
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे सभी राजनीतिक दलों की खिलाफत करके निषादों के बीच अलग पहचान बनाने वाले डा संजय ने 2018 के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ सपा से हाथ मिला लिया। डा. संजय के बेटे प्रवीण ने सपा के टिकट पर भाजपा को उसके गढ़ गोरखपुर में ही मात देकर यह साबित कर दिया कि न केवल निषाद उनके साथ हैं बल्कि उनके नाम पर बाकी जातियों का समीकरण भी सेट हो सकता है। इस जीत का श्रेय सपा खुद लेती इसके पहले ही संजय ने 2019 के आम चुनाव में पाला बदल लिया। सपा में टिकट बंटवारे को लेकर हुई खींचतान का फायदा उठाते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उनके बेटे प्रवीण निषाद को करके संतकबीरनगर से प्रत्याशी बना दिया। प्रवीण ने एक बार फिर जीत हासिल की।
रुद्रपुर विधायक को मंत्री बनाने के साथ जयप्रकाश को पहले ही राज्यसभा भेज चुकी है भाजपा
लगातार दो बार अपने बेटे को लोकसभा पहुंचाने वाले संजय ने इसके बाद से ही अपने लिए बड़े ओहदे की मांग तेज कर दी। भाजपा ने उनकी मांग पर निर्णय नहीं लिया तो सहयोगी होते हुए भी डा. संजय ने मंच और सड़क पर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया। अपनी बात रखने के लिए उन्होंने दिल्ली जाकर शीर्ष नेतृत्व से भी मुलाकात की, जहां से आश्वासन मिलने के बाद ही वह शांत हुए। भाजपा ने चुनाव से पहले उनको विधान परिषद सदस्य बनाने का ऐलान के पूर्वांचल में निषादों को साधने के दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा लिया है। विपक्षी दल अब उन नेताओं संपर्क में हैं, जो निषादों के बीच डा. संजय के खिलाफ माहौल बनाने में सक्षम हो सकते हैं।