असम के नए मुख्यमंत्री बने हिमंता बिस्व सरमा, उल्फा को दिया शांति के लिए बातचीत का प्रस्ताव
नई दिल्ली। असम के नए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सोमवार को राज्य की कमान संभालने के बाद सबसे पहले उल्फा के कमांडर इन चीफ परेश बरुआ से शांति वार्ता का आग्रह किया। भाजपा नेता और पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के संयोजक हिमंता बिस्व सरमा को आज मुख्यमंत्री पद की शपथ राज्यपाल जगदीश मुखी ने दिलाई। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा भी मौजूद रहे। उन्होंने रविवार को राज्यपाल जगदीश चंद्र मुखी से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
नए मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए खुशी जाहिर की। साथ ही इस मौके पर मिली शुभकामनाओं और बधाइयों के लिए शुक्रिया व आभार प्रकट किया।
2015 में छोड़ा था कांग्रेस का दामन
असम में भाजपा के नया चमकता सितारा बन चुके हिमंता को कांग्रेस छोड़े हुए अभी छह साल भी नहीं हुए और वह राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। हिमंता बिस्व सरमा के असम का मुख्यमंत्री चुने जाने के साथ ही कांग्रेस से बाहर जाकर मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं के आंकड़ों में इजाफा हो गया है। अब देश में नौ गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री कांग्रेस की सियासी पृष्ठभूमि से होंगे। पूर्वोत्तर के सात में से अब पांच राज्यों के मुख्यमंत्री पुराने कांग्रेसी हो जाएंगे। अभी जिन पांच राज्यों में चुनाव हुए हैं उनमें से तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया था।
सोनोवाल को बताया मार्गदर्शक
सबसे पहले हिमंता को भाजपा विधायक दल और फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल का नेता चुना गया। नेता चुने जाने के बाद सरमा ने अपने पूर्ववर्ती सर्बानंद सोनोवाल के कार्यकाल को बेदाग और भ्रष्टाचार मुक्त बताते हुए कहा कि वह उनके मार्गदर्शक बने रहेंगे। वहीं, सोनोवाल ने उन्हें अपना छोटा भाई बताते हुए कहा कि वह राज्य को और ऊंचाईयों पर पहुंचाएंगे।
व्यक्त किया आभार
हिमंता बिस्वा सरमा ने यह मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रति आभार भी व्यक्त किया। हिमंता के नाम का प्रस्ताव खुद सोनोवाल ने किया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास व नवनिर्वाचित विधायक नंदिता गर्लोसा ने उसका अनुमोदन किया। बता दें कि वर्तमान राजग सरकार राज्य में ऐसी पहली गैर-कांग्रेसी सरकार है जिसने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता है।