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कोरोना संकट : संसाधन जुटाए नहीं अब उठना पड रहा है नुकसान
जोरावर सिंह
देश इस समय कोरोना की महामारी से जूझ रहा है, और प्रदेश के अस्पतालों की हालात ठीक नहीं है, यहां संसाधनों और डाक्टर स्टाफ की कमी है। जिला स्तरों के अस्पतालों में संसाधनों की कमी के कारण से रोजाना आम मरीजों को रेफर किया जाता रहा है, इस प्रकि्रया में बदलाव नहीं हुआ है ऐसे में कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने लडाई कितनी मजबूती के साथ जिला मुख्यालयों पर लडी जा सकती है। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। समय पर संसाधनों को नहीं जुटाया गया, जिसका नुकसान आमजनता को उठाना पड रहा है।
कोरोना संक्रमण के कारण से जहां अस्पतालों मेें बेड नहीं मिल रहे है, तो आक्सीजन की कमी के कारण कोरोना पीडितों की मौतें हो चुकी है। यह भी किसी से छुपा नहीं है। अस्पतालों की हालात खराब है, रेमडेसीविर इंजेक्शन पहले तो बहुत सिफारस और मंहगे दामों पर मिल रहा है। जिससे आम जनों की जद से कोरोना का उपचार उनकी जद के बाहर होता जा रहा है। संसाधनों की कमी के कारण कोरोना के पीडित मरीजों को काफी मुश्िकलों का सामना करना पड रहा है। अब हालात यह है कि एक ओर इस कोरोना काल के दौरान समाजसेवियों ने आगे हाथ बढाया है तो वहीं लोग ऐसे भी हैं, जो इस आपदा को अवसर में बदलने लगे हुए है।
–जनप्रतिनिधि भी आए आगे
कोरोना काल के दौरान डाक्टर, नर्स, सफाई कर्मी, अिधकारी कर्मचारी, पत्रकार, जन प्रतिनिधियों द्वारा भूमिका निभाई जा रही है। इस दौर में जितना संभव हो रहा है, समाज सेवियों द्वारा लोगों की मदद की जा रही है। इसी क्रम में सोशल मीडिया में एक पत्र वायरल हो रहा है, जो प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी ने अपना मूल वेतन सीएम राहत कोष में दिया है। इस आशय का पत्र उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम लिखा है। दूसरी तरफ सीहोर में विधायक सुदेश राय द्वारा आक्सीजन मशीनें एवं भाजपा नेता पि्रंस राठौर ने सिटी स्केन का जिम्मा लिया है , यह सकारात्मक प्रयास है।
–यह भी रहेगा याद
कोरोना से पीडित मरीजों को और उनके परिजनों को सबसे पहले अस्पताल और उपचार की आवश्यकता रहती है, रेमडेसीविर इंजेक्शन को खरीदने के लिए लोगों को परेशान होना पड रहा है। एक इंजेक्शन की कीमत दस हजार रूपए तक चुकाना पड रही है। निजी अस्पतालों में भारी भरकम राशि कोरोना के उपचार के लिए खर्च करना पड रही है। तो दूसरी ओर वह लोग है जो इस दौर में ही लखपती बना चाह रहे है, दैनिक उपयोग का दो रूपए का सामान चार रुपये में बेचकर मुनाफा कमा रहे है। इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड रहा है।
—गांवों में और भी मंहगा
शहरों में ही जब खाद्य वस्तुओं के दामों में इजाफा हुआ है, मनमाने दाम पर वस्तुओं को बेचा जा रहा है, ऐसे में तहसील और ग्रामीण अंचलों में खाद्य वस्तुओं के दाम मनमाने तरीके से लिए जा रहे है। इस मुनाफा खोरी के कारण सबसे अिधक नुकसान गरीब लोगों को उठाना पड रहा है, काम धंधा पहले से ही बंद हो चुका है और अब परिवार के भरण पोषण पर और अिधक खर्च करना पड रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों की माने तो उनका कहना है कि वह भी सामग्री मंहगे दाम पर खरीद कर ला रहे हैं।
—संसाधनों के लिए भी लडे लडाई
इस विपत्ति के काल में हालात यह है कि समाज सेवियों द्वारा लोगों की मदद की जा रही है, मगर अब अस्पतालों में संसाधनों के बढाए जाने की जरूरत है, हम सरकार किसी की भी हो नेता कोई भी चुना जाए। किसी भी दल का हो लेकिन उससे अस्पतालों को सुविधा युक्त बनाने की जरूर कहें, इससे अस्पताल संसाधन विहीन नहीं रहे, अस्पतालों में संसाधनों की कमी के कारण से अव्यवस्थाओं के हालात बन रहे है, और इसका फायदा आपदा को अवसर समझने वाले लोगों द्वारा भरपूर उठाया जा रहा है।