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बीमार… बैचेन.. बेबस.. लोक का …. “तंत्र”

शैलेश तिवारी


प्रदेश के क्या … देश में भी … हर पांचवें घर में बीमार लोक….. बैचेन हैं मेडिकल रिलीफ के लिए… बेबस हैं ऑक्सीजन, वेंटिलेटर जैसी दुर्लभ हो रही सहायता के अलावा …. रेमिडिसिवर जैसे इंजेक्शन को ब्लेक में खरीदने के लिए…. उसी लोक के तंत्र के प्रमुख जिम्मेदार…  व्यस्त रहे चुनाव में …। एक साल पहले आमद हुई थी मुए कोरोना की…. तब भी तंत्र बिजी रहा नमस्ते ट्रम्प में…. और पैर पसार लिए उस वायरस ने … जो वहां से आया जिसे नकली सामान बनाने के लिए .. मुहावरा बना लिया गया है…. क्या पता नहीं था कि दुनिया के तमाम देशों में हाहाकार मचाने वाला वायरस … इस बार मिचमिची आंखों वालों ने ….. . असली  भेजा है…।

24 मार्च 2020 ... 536 मरीज और देश लॉक डाउन में.. और प्रधान सेवक जी…. ताली , थाली, शंख बजवाने के साथ… दिए जलवाते हुए… लगभग आधा दर्जन बार… देश के लोगों से मुखातिब होते रहे…..।  अब रोज के दो लाख से ऊपर मरीज …. और जिम्मेदार बंगाल का रण जीतने के लिए…. दर्जनों बार दिल्ली से कोलकाता की उड़ान भरते रहे…। खुली हवा में घूमने वाले बिना मास्क के लोगों के चालान बनते रहे…. उन पर पुलिस ने कहीं कहीं डंडे भी बरसाए…. और तो और… बंद कार में सफ़र करने वालों के लिए…. व्यंग्य चल पड़ा कि….. आप मास्क लगाइए क्योंकि आप कार मे हैं…… ” सरकार में नहीं”….। 


कई शहरों के अस्पतालों से सूचना आई… कुछ घंटे की आक्सीजन बची है… लेकिन हाय रे हाय…. किसी के कान पर तो जूं रेंगे….? इस बीच प्राण वायु…. नहीं मिलने से न जाने कितनों के प्राण पखेरू उड़ गए……। वैक्सीन की कमी की बात पर केंद्रीय मंत्री… विपक्षी दल वाली राज्य सरकार को राजनीति नहीं करने की सलाह देते हैं….। वैक्सीन का इंतजाम करने की कोई कवायद नहीं…..। बिहार के एक अस्पताल के बाहर कड़कती धूप में … एक गंभीर रोगी इसलिए भर्ती नहीं किया जाता कि… उस समय हॉस्पिटल का सारा स्टॉफ…. स्वास्थ्य मंत्री जी की अगवानी में व्यस्त था… । उत्तरप्रदेश के एक जज साहब को किसी भी अस्पताल में इसलिए बेड नही मिल पाता… क्योंकि उन्होंने सत्ता के एक आदेश को स्टे कर दिया…..। हालात जितने खराब हैं…. वो गवाही देते हैं.. उस सड़े गले बदबूदार सिस्टम की… जो अब कुंआ खोदने को कमर कस रहा है…. जब कोरोना की प्रचंड अग्नि से जाने कितने परिवारों के अरमान भस्मीभूत हो चुके हैं…. कुछ परिवारों की जीविका का आधार नहीं रहा….. । मजे की बात यह है कि… इस सड़े गले सिस्टम की खोज भी…. कोरोना काल में हमारी स्तुतिगान करती मीडिया ने की है…. इस सिस्टम को चलाने वाला इस देश में कोई जिम्मेदार… उसे नजर नहीं आता….। और इधर शहर दर शहर…. महानगर दर महानगर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं….। इसे उस तंत्र की विफलता के रूप में ही इतिहास के पन्नों में कैद होना होगा…., जो तंत्र उस संविधान से संचालित है… जिस संविधान का आर्टिकल 21 …. इस “तंत्र” के.. “लोक” को जीने का अधिकार प्रदान करता है…। कहना न होगा जिसमें नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा भी …. शामिल है…. और संविधान की शपथ लेकर … तंत्र चलाने के जिम्मेदारों की यह अहम जिम्मेदारी बनती है…कि लोक स्वस्थ रहे। तंत्र को याद रखना चाहिए कि …..लोक ने इन दुर्दिनों को देखने के लिए….. सौ रुपये प्रत्ति लीटर का पेट्रोल खरीदना स्वीकार नहीं किया था…..।

पीएम केयर फंड में भी दिल खोलक्ट दान इसलिए नहीं दिया था माननीय कि… लोक सांस लेने के लिए भी तरस जाए..। हालांकि इस फंड से ऑक्टोबर 2020 में…. जिन 60 हजार वेंटिलेटर के लिए भारी भरकम राशि जारी की गई थी….. वो वेंटिलेटर कितने तैयार हुए….कितने स्टॉल हुए….. कितने चालू कंडीशन में है…? इस पर ध्यान देने वाला… निगरानी करने वाला सिस्टम… आपके जयकारे लगाता रहा…. और आप मशरूफ रहे.. अपने चुनावी मोड पर…। स्मरण यह भी करना होगा कि….. इन 60 हजार वेंटिलेटर बनाने का ठेका…. चार लाख रुपये प्रति वेंटिलेटर से लेकर… साढ़े आठ लाख रुपये प्रति वेंटिलेटर तक …तैयार किए जाने में… आपके सिस्टम ने कौन सा खेल … खेल लिया….। इस पर निगरानी कौन रखेगा…? खैर बीमार… बैचेन… बेबस…. लोक के पास…. तंत्र से दुहाई करने के अलावा … हाल फिलहाल कुछ नहीं है…।

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