आरबीआइ ने गठित की आरआरए 2.0, नियमों को आसान और सुसंगत बनाना है लक्ष्य
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने दूसरे नियामकीय समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए 2.0) का गठन किया। इसका मकसद नियमनों को सुसंगत बनाना और नियामक इकाइयों के अनुपालन का बोझ घटाना है। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव को आरआरए 2.0 का प्रमुख नियुक्त किया गया है।
नियमन, सर्कुलर और रिपोìटग प्रणाली की समीक्षा के लिए आरबीआइ ने पहली अप्रैल, 1999 को एक वर्ष के लिए प्रथम आरआरए का गठन किया था। इसके लिए आम लोगों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से विचार लिए गए थे।आरआरए की सिफारिशों से विभिन्न प्रक्रियाओं को आसान तथा अधिक दक्ष बनाने में मदद मिलती है।
बयान के मुताबिक पिछले दो दशकों के दौरान रिजर्व बैंक के नियामकीय कामकाज को देखते हुए यह प्रस्ताव किया गया है कि केंद्रीय बैंक के नियमनों और अनुपालन प्रक्रियाओं की इसी तरह से फिर समीक्षा की जाए। इस बीच, आरबीआइ को ‘ऑन टैप’ यानी कभी भी लाइसेंस के लिए आवेदन करने के दिशानिर्देशों के तहत कुल आठ आवेदन मिले हैं। बैंक के मुताबिक इसमें सभी प्रकार की सेवाएं देने वाले यूनिवर्सल बैंकों के लिए चार और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के लिए चार आवेदन शामिल हैं।