पहले धड़ल्ले से प्रिसक्रिप्शन में लिखा रेमडिसिविर इंजेक्शन, अब डॉक्टरों ने आगाह किया
कीर्ति राणा
मध्यप्रदेश। कोरोना संक्रमण के शिकार मरीजों के परिजनों के लिए प्रामाणिक डॉक्टरों की यह सलाह बेहद उपयोगी हो सकती है कि मरीज का संक्रमण 25 प्रतिशत से कम है तो रेमडिसिविर इंजेक्शन की अनिवार्यता नहीं है। ऐसे मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए हायतौबा न करें। यह आईसीयू में दाखिल मरीजों के लिए ही अधिक कारगर है बढ़ते मरीजों के साथ ही रेमडिसिविर इंजेक्शन की मांग तेज होने के साथ ही इसकी उपलब्धता कराने में सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे है।
इंदौर क्राइसिस मैनेजमेंट के वरिष्ठ सदस्य डॉ. निशांत खरे ने इसी आशय का वीडियो जारी किया था। चर्चा में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित से लेकर डॉ हेमंत जैन, आईएमए के अध्यक्ष सतीश जोशी, डॉ सौरभ मालवीय, डॉ वीपी पांडे, अरविंदो हॉस्पिटल संचालक डॉ विनोद भंडारी का कहना है कि कम संक्रमण वाले मरीजों को इंजेक्शन की अपेक्षा फेमि फ्लू या इमेनेसिन अल्फा टेबलेट अपने डॉक्टर से तस्दीक करने के बाद लेना चाहिए।
—गली मोहल्ले के डॉक्टरों से न लगवाएं इंजेक्शन
इन डॉक्टरों का कहना था सर्दी-बुखार आदि लक्षण पर बिना जांच रिपोर्ट के यह इंजेक्शन जानलेवा भी हो सकता है। जांच रिपोर्ट में संक्रमण 25 फीसद से अधिक होने पर यह इंजेक्शन गली मोहल्लों के या झोलाछाप डॉक्टरों से तो कतई ना लगवाएं।इंजेक्शन लगवाने पर एलएफटी (लंग्स आधारित टेस्ट) होता है, साथ ही खून गाढ़ा होने लगता है जिससे हार्ट अटैक आदि की आशंका बन जाती है, झोलाछाप डॉक्टरों के पास इस सारी जांच संबंधी व्यवस्था नहीं रहती है जबकि कोरोना चिह्नित अस्पतालों में यह इंतजाम रहते हैं, यहां डॉक्टर ही तय करते हैं कि रेमडिसिविर इंजेक्शन लगाना जरूरी है या नहीं। डॉ वीपी पांडे का कहना ने कहा इसे रामपाण समझना भी गलत है।ऑक्सीजन लेवल 92 से कम हो, बुखार बना रहे तो एंटी वॉयरल हाइड्रोक्लोरिन आदि दवा ले सकते हैं।
आईसीयू वाले मरीजों को निशुल्क लगा रहे हैं
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ दीक्षित बोले अब तक इंदौर सहित बाकी शहरों में 2हजार इंजेक्शन सप्लाय कर चुके हैं। 5 हजार इंजेक्शन की खेप और आ रही है।मेडिकल स्टेटमेंट के मुताबिक यह इंजेक्शन सीधे अस्पतालों को दिए जा रहे हैं।भर्ती मरीजों में जिन्हें लगाया जाना जरूरी है उन्हें निशुल्क लगा रहे हैं।इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों, अस्पताल के प्रमुखों की टीम ने गाइड लाईन भी बनाई है।आज की स्थिति में इंदौर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में ऐसे 200मरीज हैं जिन्हें यह इंजेक्शन लगाया जा रहा है।
—बेड की उपलब्धता, ऑक्सीजन ऑडिट, के लिए सामान्य मरीजों को जल्दी डिस्चार्ज करने संबंधी गाइड लाइन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के शहर अध्यक्ष डॉ सतीश जोशी का कहना था संगठन ने कोविड डे केयर थैरेपी तैयार की है। इसके तहत सर्दी-बुखार-खांसी वाले सामान्य मरीजों को भर्ती करें ना करें, यदि कर लें तो अस्पतालों से जल्दी डिस्चार्ज कर होम आइसोलेशन का परामर्श दे सकते हैं। इससे अस्पतालों में कम से कम 20 फीसदी बेड खाली मिल सकते हैं। ऐसे मरीजों के इलाज-परामर्श फॉलोअप के लिए एक-दो घंटे अस्पताल में रखा जा सकता हैं।
इसी के साथ ऑक्सीजन ऑडिट के लिए परामर्श दिया है कि किस मरीज को कितनी ऑक्सीजन जरूरी है इसका ऑडिट रखा जाए।बाइपेप का उपयोग बढ़ाया जा सकता है।हर अस्पताल में ऑक्सीजन ऑडिट टीम यह भी देखे कि जिस मरीज का काम दो लीटर ऑक्सीजन से चल सकता है उसे आठ लीटर तो नहीं दे रहे हैं। आवश्यकता से अधिक सप्लाय लंग्स प्रभावित कर सकती है।
—ये लक्षण हों तो कोरोना संक्रमण संभव
डॉ वीपी पांडे ने कहा जिस तरह के मरीज आ रहे हैं उनमें नए लक्षण सामने आ रहे हैं। अब डायरिया, उल्टी, थकान, हाथ-पैर दुखना, खड़े होते ही चक्कर आना, शरीर के किसी भी अंग में खून के थक्के जमना, सर्दी-बुखार-पेट दर्द जैसे लक्षण नजर आएं तो कोरोना संबंधी जांच तुरंत कराएं। घर के अन्य सदस्यों से अलग रहें।अस्पतालों में बेड खाली नहीं मिलने का एक कारण यह भी सामने आ रहा है कि कई परिजन ठीक हुए मरीज को कुछ दिन और रख लीजिए का अनुरोध करते हुए घर नहीं ले जाना चाहते।15 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जो ठीक हो चुके हैं पर परिजन डिस्चार्ज कराने में आनाकानी कर रहे हैं।
—घर में भी पार्टी आदि से बचें
डॉ सौरभ मालवीय ने सलाह दी है अभी वक्त ऐसा नहीं कि रिश्तेदारों के साथ मिल कर घर में पार्टी की जाए। मेरे एक परिचित के यहां 20 सदस्य एकत्र हुए, पार्टी के बाद 12 सदस्यों की रिपोर्ट संक्रमित आई और इनमें से दो की मौत भी हो गई। डॉ. हेमंत जैन का कहना था बिना परामर्श के सीटी स्केन भी ना कराएं। बहुत संभव है कि इसकी रिपोर्ट नार्मल आ जाए और आप निश्चिंत हो जाएं। बाद में लक्षण बढे तो दूसरी रिपोर्ट में एकदम संक्रमण बढ़ा हुआ नजर आए। कोरोना कम से कम छह दिन में असर दिखाता है। मॉस्क लगाए रखें, से टाइजर, डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करें तो निरोगी रहने की अधिक संभावना रहेगी।