श्रमिक क्षेत्र की रोशनी ने इंदौर को रोशन किया
— इंदौर से एकमात्र इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में चयनीत रोशनी यादव ने साझा किए अपने अनुभव
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]
मध्यप्रदेश। इंदौर श्रमिक क्षेत्र के बच्चों के लिए तो अब रोशनी यादव रोल मॉडल बन ही गई हैं। शहर के पॉश इलाकों के रहवासियों की श्रमिक क्षेत्र को लेकर जो नकारात्मक विचार होंगे वे भी इस ‘रोशनी’ से सकारात्मक होंगे। इंदौर की इस बेटी ने इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में अपना मुकाम हासिल करके पत्रकार पिता जीएस यादव सहित परिवार का सपना पूरा किया है।
इस सपने को पूरा करने के लिए चार सालों तक लगातार नियमित प्रेट्रिक्स करना और मैदान में रोजाना अभ्यास करने के अलावा चार से आठ किलोमीटर की दौड़ की नियमित लगाने का कार्य किया । इस फोर्स में शामिल होने के लिए अपनी काबिलियत भी साबित की और देश भर में पिछडे़ महिला वर्ग के रिक्त 18 पदों में अपना मुकाम हांसिल कर रोशनी ने इंदौर का नाम भी रोशन किया है।
पत्रकार जीएस यादव की बड़ी पुत्री रोशनी यादव ने कभी यह नहीं सोचा था कि वह एक सोल्जर के रूप में कभी तैयार हो पाएंगी मगर ऐसा हुआ। इंदौर से इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में चयनित हुई रोशनी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि श्रमिक क्षेत्र के निजी स्कूल सनराईज कांवेट और जैन प्रगति हायर सेकेडरी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की इसके बाद कॉलेज में क्या करना है कौन सा कोर्स लेना हे इसका ज्ञान नहीं था, मगर होल्कर कॉलेज एक आदर्श कॉलेज था इसलिए वहा प्रवेश लेने का सपना इसलिए पूरा हुआ कि कक्षा 12 वीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए था। होल्कर कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर एसएल गर्ग की सलाह पर उन्होने भूगर्भ शास्त्र लिया और बीएससी तथा एमसी करने के बाद जब नौकरी में प्लेसमेंट की बारी आई तो दुबई की एक कंपनी ने उन्हे ऑफर दिया मगर मन में देश में कार्य करने का सपना था।
इस सपने को पूरा करने के लिए पहले आयपीएस और आएएएस बनने का प्रयास जारी रखा मगर इस बीच दो बार एमपी पुलिस में रिटर्न और फिजिकल टेस्ट पास करने के बाद जब मेरिट से मात्र .2 अंकों से बाहर हुई तो बहुत दुख हुआ मगर इरादों में और मजबूती आई इस बीच इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में वैकेंसी निकली और पिछड़ा वर्ग महिला में कुल देश भर में 18 पद ही खाली थे उम्मीद नही थी मगर यह ठान लिया कि रिटर्न में जब अच्छे नंबर होगे तो सफलता मिलेगी। इस पद के लिए जब फार्म भरा तो पिता जीएस यादव ने रोजाना मेरे मन को बल देना शुरू किया ।
— पहले परीक्षा पास करने का रखा लक्ष्य
इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में शामिल होने के लिए पहले परीक्षा को अच्छे नंबरों से पास करने का टारगेट रखा जिसके लिए मै रोजाना घर से खंडवा रोड स्थित देवी अहिल्या विश्वविघालय की लायब्रेरी में पढ़ने के लिए पहुंच जाती थी और शाम को सात बजे तक पढाई करती थी। इसके बाद घर आकर रात को 12 बजे तक पढाई करना और कठिन से कठिन प्रश्नों को हल करने का टारगेट रखा । इसका यह परिणाम रहा कि जब राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा हुई तो 18 पदों के लिए उनके नंबर इतने अधिक थे कि प्रथम टाप टेन में से सातवे नंबर थी। जब इतने नंबर अर्जित किए तो पूरा फोकस फिजिकल पर लगाया।
— फिजिकल के लिए ओपी सर का दिया पूरा साथ
पुलिस फायर बिग्रेड में पदस्थ रहते हुए पुलिस ओर आर्मी में भर्ती होने वाले बच्चों के लिए ओपी सर पूरे साल बच्चों को प्रशिक्षण देते है उनका पता करने के बाद सर से संपर्क किया और रोजाना सुबह साढे पांच बजे घर से निकलकर नेहरू स्टेडियम पहुंच जाती थी और वहां पर सामान्य अभ्यास करने के बाद दौड़ लगाना होती थी। ओपी सर हर बच्चे पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देते थे खासकर जो बच्चे कमजोर होते है उन पर उनका ज्यादा फोकस होता था। सर लगातार बच्चों को विजेता बनने की हर बारीकी को समझाते थे जिसका परिणाम यह था कि देवास में जब दौड़ का की तारीख आई तो वहां पर निर्धारित समय से 1.30 मिनट पहले ही 800 मीटर की दौड तय कर फिजिकल फिट होने का प्रमाण दिया यहां पर फिट होने के बाद इंदौर के बीएसएफ में कुछ समय बाद फिजिकल टेस्ट यानी शारीरिक दक्षता का टेस्ट चेकअप हुआ, अक्टूबर 2020 में जब फिजिकल टेस्ट में पास होने का प्रमाण पत्र मिला तो यह भी तय हो गया था कि इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स की किसी भी यूनिट में जगह तो अवश्य मिलेगी।
— मेरिट लिस्ट घोषित होने पर खुशी का ठिकाना ना रहा
हाल ही में जब बीएसएफ द्वारा दिल्ली मुख्यालय पर पूरा परिणाम भेजने के बाद जब मेरिट लिस्ट जारी की गई तो मुझे एसएसएफ यूनिट में चयनित किया गया। कुल 18 पदों के लिए इंदौर संभाग से कई प्रतियोगियों के नाम थे मगर उनमें से एक मात्र मेरा नाम शामिल हुआ तो खुशी का ठिकाना ना रहा क्योकि मुझे इस बात की आशंका थी कि जब कटअप सामने आएगा तो अच्छी पढाई करने वाले और पहुंच रखने वाले बच्चों का नाम उसमें शामिल होगा मगर ऐसा नहीं नहीं हुआ।
— माता पिता का सपना और छोटी बहनों का विश्वास पूरा किया
सेंट्रल सर्विस में स्थान हासिल करने का पिता ने जो सपना मेरे लिए संजोया था उसे पूरा किया। माता जी को हमेशा आंशका बनी रहती थी कि छोटे परिवार की बेटी को इतना बडा मुकाम कैसे हासिल होगा मगर मेरी छोटी बहने जहां बार बार यह कहती थी कि दीदी तुम जरूर सफलता प्राप्त करोगी, हमे मौका आगे बढने का मिलेगा तो बहनों का विश्वास सही साबित हुआ और पिता ने मुझे हर मोड पर मॉरल सपोर्ट दिया। जब पढाई करने के लिए पैसे नहीं होते थे तो पिता जी मित्रों के नोटस मंगवाकर उनकी फोटो कापी करवाने की सलाह देते थे ,जो सही साबित हुआ। इस दौरान पिता हमेशा इस बात का ख्याल रखते थे कि मैने क्या पढ़ा और कहा कमी आ रही है उसे कैसे पूरा किया जाए ।
— बडी कोचिंग का नहीं गार्डनों का लिया सहारा
पिता जी ने एक बार बताया था कि श्रमिक क्षेत्र की गरीब बस्ती के बच्चे नेहरू पार्क में जाकर पढाई करते है और काम्पीटिटिव एगजाम को पास करते हैं, ये वो बच्चे हैं जिनके परिजन कहीं दिहाडी मजदूरी करते हैं तो किसी के परिजन हम्माली करते है।पिता जी की यह बात मेरे समझ में आई और जब लायब्रेयरी में पढने का मौका नहीं मिलता था तो मै अपनी किसी सहेली को साथ लेकर शहर के किसी ऐसे गार्डन में जाकर पढाई करते थे जहां शोरगुल ना हो और असमाजिक तत्वों का आना जाना नहीं रहता है यानी महिलाएं जिस गार्डन में खुद को सुरक्षित महसूस करती हो।
— जब मेरा मनोबल टूटा तो पिता ने सब्बल दिया
मै जिस ग्रुप में थी उस ग्रुप की सभी सहेलियों और दोस्तों की नौकरी पुलिस, पटवारी, जेल प्रहरी, आरपीएफ, और विभागों में लग गई और मै अकेली नौकरी पाने से रह गई तो घर पर खूब रोती थी।पिताजी हिम्मत बंधाते और समझाते थे कि फुटपाथ पर रहने वाले परिवार को देखो और अपने लक्ष्य को तय करो। क्योकि मै नि:शक्त जन कल्याण विभाग, महिला बाल विकास विभाग और श्रम विभाग की परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं पा सकी।आज भी मेरा नाम इन विभागों में वेटिंग लिस्ट में पड़ा हुआ है ।यही नहीं आरपीएफ की नौकरी में जब दौड़ में महाराष्ट्र के भुसावल में गई थी वहां पर मुझे . 1 सेकेंड से भी कम समय से बाहर होना पड़ा था मगर पिता जी ने हिम्मत नहीं हारने की सलाह दी और आज इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में स्थान हासिल किया।
— मेरिट आते ही क्षेत्र में मना था जश्न
वार्ड क्रमांक 24 अजजा वार्ड है यहां पर श्रम करने वाले परिवारों की संख्या ज्यादा है।इस वार्ड में रहते हुए जब रोशनी यादव के इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में चयन होने की सूचना आई तो बस्ती के उन बच्चों में उत्साह बढ गया जो अभी पढाई कर रहे है बच्चों के उत्साह को देखकर वार्ड पार्षद प्रतिनिधि और भाजपा नेता जीतू यादव ने वार्ड की बेटियों के साथ जश्न भी मनाया और संकल्प लिया कि जिस भी बच्ची को सेना में जाने या अधिकारी स्तर पर प्रतियोगी परीक्षा में शिरकत करने में परेशानी आएंगी उसकी हर संभव मदद करने का प्रयास किया जाएंगा।
— यह मेरी नहीं इंदौर और खासकर श्रमिक क्षेत्र के गरीब बच्चों को मिली सफलता है
मै और मेरा परिवार श्रमिक बस्ती में रहते है और शहर के पॉश कालोनी के लोग श्रमिक बस्ती को हीन भावना से देखते है और यह मानते है कि यहा के बच्चे क्या कर सकेंगे मगर अब श्रमिक बस्ती के लोग अपने बच्चों का भविष्य संवारने पर जोर दे रहे है । मेरा इंडियन पेरामिलेट्री फोर्स में चयन होना इस बात का सबूत है कि यह श्रमिक श्रेत्र की जीत है। अब मै जहां अपनी बहनों का भविष्य संवारने के अलावा हमारे इलाके की लडकियों के लिए मदद करने की योजना भी तैयार करूंगी। -रोशनी यादव, चयनीत
— मेरा अभिमान है मेरी बेटी
मेरी बच्ची रोशनी यादव और पल्लवी यादव ने पोस्ट ग्रेज्युट किया और एक ने तो अपना मुकाम हासिल किया, दूसरी बेटी को भी आयपीएस या आयएएस देखना चाहता हॅू। बेटियों में कभी भी बेटे बेटी का अंतर ना आए इसके लिए मै लगातार उनसे संवाद एक पिता के नाते नही बल्कि दोस्त के नाते करता हूं और मेरी बेटिया अपना मां से जितना खुलकर अपनी पीडा नही बता सकती है उससे कहीं ज्यादा वे मुझे बताती थी जिसका मै समाधान करता था और उन्हे कभी बेटी होने का एहसास नही होने दिया। मुझे अब गर्व है कि मेरी बेटी मेरा अभिमान बन गई है।
-जी एस यादव (रोशनी के पिता)