Madhy Pradesh

RAPE CASES : आखिर यह सिलसिला कब और कैसे थमेगा

 

 

 हम यह तो नहीं कह सकते है कि हमने तरक्की नहीं की। देश में आधुनिक संसाधनों से लेकर सामाजिक परिवेश में बदलाव हुआ है। आवागमन के साधन सुलभ हुए है। विषमताओं के बाद भी तरक्की के पथ पर समाज अग्रसर है पर विडम्बना यह है कि देश में कई हिस्सों से कुछ घटनाएं अभी ऐसी घटित हो रही है जो मानवता को शर्मशार तो करती ही है। इस आधुनिक परिवेश पर कई सवाल खडे कर जाती है। आखिर इन घटनाओं का सिलसिला कब और कैसे थमेगा यह सवाल अब और बडा होता जा रहा है।
देश में अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अपराधों को अंजाम देने में जो कूरता सामने आ रही है, वह विचारणीय पहलू, जिन स्थानों, संस्थानों पर घटनाएं घटित हो रही है, वह विचारणीय पहलू है, जिस सोच से घटनाओं का अंजाम दिया जा रहा वह विचारणीय पहलू है। घटनाओं के घटित होने के बाद उसमें समय पर कार्रवाई नहीं हो पाना, सिस्टम पर सवाल उठना यह विचारणीय पक्ष यदि यह सिलसिला यूं ही चलता रहा तो स्वस्थ समाज की परिकल्पना करना और मुश्किल हो जाएगा। देश में कुछ महीनों के भीतर हुई कुछ ऐसी घटनाएं जो कई सवाल खडे कर रही है कि समाज में फैली यह बुराईयां आखिर कब पीछा छोडेगी।
-अवसाद में कर ली आत्महत्या
देश में मार पिटाई एवं प्रताडना के मामले तो सामने आते ही रहते है कि महज बकरी के लिए आम के पत्ते तोडने के गुनाह में एक दलित युवक की मार पिटाई आम के पेड से बांध कर की गई। यह यूपी के मलवाँ थाना क्षेत्र के अस्ता की घटना है मामले में धर्मपाल पुत्र रमापति दिवाकर गाँव में ही बकरियां चराने गया था तालाब के किनारे गाँव के ही रहने वाले बुलाकी का एक आम का पेड़ है, इसके पत्ते तोड़कर वो बकरी को खिला रहा था इस दौरान, दो तीन लोगों ने मार पिटाई की जब उसकी माँ वहां पहुँची तो उनके साथ उन लोगों ने गाली.गलौच भी की। गाँव के और लोग पहुँचे तो बड़ी मुश्किल से उसे छुड़ा पाए। पुलिस के आने पर उन लोगों ने धर्मपाल पर जंजीर चुराने का आरोप लगा दिया। इसी इल्जाम से परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।
-पुजारी और चेलों ने दिया घटना को अंजाम
उत्तरप्रदेश के बंदायु से एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है।  धर्मस्थल के पुजारी और उसके चेलों ने घटना को अंजाम दियाए जहां एक 50 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। उसके साथ मारपीट की गई, वहीं क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गई। निर्भया कांड जैसी घटना को दोहराया गया। मामले में कुछ आरोपियों को पुलिस ने गिरफतार कर लिए मुख्य आरोपी की तलाश जारी है।
-बस उंची जात जैसा सरनेम था
देश में अभी भी जातिवाद का दंश दलित युवाओं को कितना झेलना पडता हैए इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैए यह लाकडाउन के दौरान की घटना है जब भरत जाधव नामक युवक ने बताया था कि जब वह सौराष्ट से साणंद आया था पर उसे यह पता नहीं था उसका सरनेम और शर्ट के बटन खोलकर रखने की मेरी आदत उसे मुशीवत में डाल देगा। उसे ऊंची जाति के आदमियों ने सिर्फ़ इसलिए पीटा क्योंकि उनका सरनेम कथित ऊंची जाति वाले सरनेम जैसा था। जाधव कॉमन सरनेम है जिसे दलित और राजपूत दोनों समुदाय के लोग इस्तेमाल करते हैंय इस मामले में बात मारपिटाई की नहीं बात उस सोच की है जो इस मार पिटाई की वजह बनी।
-अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया था
देश के आगरा शहर से एक और घटना सामने आई थी, जो मानवता को शर्मशार करती है, वह घटना थी, जहां एक गांव में दलित महिला की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था चिता सजा दी गई थी पर चिता से शव हटवाया गया। इसकी वजह महज यह थी मरने वाली महिला दलित थी और यह श्मशान घाट उंची जात वालों का था इसलिए महिला मरने के बाद भी जातीय दंश की शिकार हो गई। जातीय दंश के आगे मजबूर परिजनों को उस श्मशान घाट से दूर ले जाकर महिला का अंतिम संस्कार करना पडा था।
तो जाना पड गया जेल
यूपी के ही बुलंदशहर के एक मुस्लिम दुकानदार को उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद हिरासत में लिया गया है इस दुकानदार पर ऐसे जूते बेचने का आरोप है जिसके सोल पर उच्‍च वर्ग की जाति ठाकुर नाम उभरा हुआ है। बुलंदशहर पुलिस केस दर्ज किया गया है आरोपी पुलिस की हिरासत में है और मामले की जांच जारी है।
-भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा
देश में भ्रष्टाचार के मामले कोई नई बात नहीं है। पहले भी मामले सामने आते रहे है, लेकिन भ्रष्टाचार कितना बढ गया है, इसका नमूना गाजिया बाद के मुराद नगर में सामने आयाए जहां पर श्मशान घाट के निर्माण में सामने आया है, जहां भ्रष्टाचार के कारण छत गिर गई। इस घटना में 25 लोगों की मौत हो गई। देश में हो रही इस तरह की घटनाएं बेहद चिंता जनक है। यदि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगनी चाहिए, इससे स्वस्थ्य समाज की परिकल्पना की नींव और मजबूत हो सके।

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