Madhy Pradesh

सिवन उदृधार की बात कही सब ने, लेकिन करने नहीं आया कोई आगे

सीवन के सौंदर्यकरण के लिए 4 साल पहले बनी डीपीआर, शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली सीवन नदी में जमी काइ और जलकुंभी। सीवन को साफ सुधरा बनाने के जनप्रतिनिधियों के प्रसार नहीं पहना पाए अमली जामा।

प्रकाश मालवीय
मध्यप्रदेश। शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली सीवन नदी की कलकल अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। सीवन में शहर का गंदा पानी जमा होने के कारण जहां पानी बदबू मारने लगा है। वहीं नदी में काई छा गई है, साथ ही जलकुंभी से पूरी नहीं हरी भरी दिखाई देने लगी है।
बता दें कि वर्ष 2016 में सीवन नदी के सौंदर्यकरण के लिए डीपीआर तैेयार की गई थी, लेकनि अब तक नदी की स्थिति जस की तस ही बनी हुई है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे जनप्रतनिधि नगर विकास के लिए किस तरह के प्रयास कर रहे हैं। जनवरी 2016 में तत्कालीन सांसद आलोक संजर, नपाध्यक्ष अमिता जसपाल अरोरा, वन विकास निगम के अध्यक्ष गुरूप्रसाद शर्मा, सीएमओ अमरसत्य गुप्ता और जसपाल अरोरा ने सीवन नदी का निरीक्षण कर उसके सौंदर्यकरण का प्लान बनाया था। इसके बाद विधासक सुदेश राय ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मांग पत्र लिख को सुंदर बनाने का प्रयास किया था। लेकिन जनप्रतिनिधियों के सभी प्रयास कागजों तक ही समिति रहे गए। चार साल बीतने के बाद भी राजनीति और प्रशासनिक स्तार पर तो बहुत कुछ बदल गया, लेकिन नहीं बदली तो सीवन की सूरत।
30 किमी लंबी है सीवन
सीवन नदी की लंबाई करीब 30 किलो मीटर है, नदी का उदगम स्थल भगवान पुरा गांव माना जाता है। यह नदी सीहोर शहर के लिए जीवनदायनी के रूप में जानी जाती है। सीवन ने जल संकट से निपटने हमेशा अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लेकिन सीवन हमेशा से ही जि मेदारों की उपेक्षा का शिकार होती रही है।
शहर के जलस्त्रों को रिचार्ज करती सीवन
सीवन नदी को सीहोर शहर की लाइफ लाइन ऐसे ही नहीं कहा जाता है। नदी के कारण ही शहर के करीब पांच सौ से ज्यादा हैंडपंप और सैकडों बोर रिचार्ज होते है, इसी के काण करीब आधा शहर जल संकट की मार से बचता है,
चार बार हुए प्रयास, फिर सुंदर नहीं हुई सीवन
वर्ष 2011 में तत्कालीन कलेक्टर संदीप यादव के समय नपा ने जनभागीदारी समिति के माध्यम से सीवन नदी गहरी करण और घाट मर मत आदि काम कराया गया था। उस समय करीब 15 लाख रुपये सीवन नदी के गहरीकरण और सौंदर्यकरण पर खर्च हुए थे। वर्ष 2002-3 में तत्कालीन कलेक्टर स्मिता गाटे चंद्रा ने भी सीवन की सौंदर्यकरण योजना में अपनी रूचि दिखाई थी। खुद कलेक्टर स्मिता ने जनभागीदारी के माध्यम से नदी सफाई के साथ करीब पांच लाख की लागत से तकीपुर पर स्टापडेम का निर्माण कराया था।
वर्ष 2001 में तत्कालीन कलेक्टर अरूणा पांडे के समय सीवन सौंदर्यकरण के लिए सीवन उद्धार समिति का गठन कर सीवन उद्धार महायज्ञ के नाम से सफई अभियान चलाया था करीब 10 लाख से नदी गहरी करने प्रयास किए गए थे।
वर्ष 1998-99 में तत्कालीन कलेक्टर डीएस राय ने सीवन उदृधार का अभियान चलाया था। उस समय भी जन भागीदारी के माध्यम से शहर के लोगों को जोड़कर साफ-सफई की गई थी।
26 करोड़ की योजना नहीं ले सकी रूप
वर्ष 2017 में करीब 26 करोड़ की योजना बनाकर ईको पर्यटन को भेजी गई थी। सीवन नदी के दोनों तट को सुंदर बनाने के साथ बांस वन में इको पर्यटन के रूप में विकसित करने योजना बनाई गई थी। योजना के तहत नगरीय प्रशासन विभाग, पर्यटन, विभाग, ईको पर्यटन बोर्ड, राष्ट्रिय बेंबू मिशन आदि के सहयोग से सौंदयकरण के लिए करीब 26 करोड़ की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह योजना भी आज तक धरातल पर नहीं आ सकी।

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