BIHAR ELECTION : मुस्लिम-यादव और ब्राह्मण वोटबैंक बनाएंगे-बिगाड़ेंगे खेल
बिहार। शनिवार को बिहार में तीसरे चरण की वोटिंग है। तीसरे चरण की 78 सीटों पर 1208 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस चरण में मुस्लिम बहुल सीमांचल तो यादव बहुल कोसी और ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल की सीटों पर मतदान होना है. बिहार की सत्ता का फैसला इसी तीसरे और आखिरी चरण में होने वाला है। सभी दलों ने तीसरे चरण में अपनी पूरी ताकत झोंकी है।
तीसरे और अंतिम चरण में 15 जिलों की 78 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर गुरुवार शाम पांच बजे थम गया. इस चरण की 78 सीटों पर 1208 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां शनिवार को वोटिंग होनी है. इस चरण में मुस्लिम बहुल सीमांचल तो यादव बहुल कोसी और ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल की सीटों पर मतदान होना है.
किसकी किस पर नजर
बिहार की सत्ता का फैसला इसी तीसरे और आखिरी चरण में होने वाला है, जहां एनडीए के सामने अपने अगड़े वोट बैंक को साधे रखने की प्रतिष्ठा दांव पर है तो महागठबंधन के सामने अपने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखने की चुनौती है, क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी से लेकर पप्पू यादव तक की नजर इन्हीं दोनों समुदाय के वोटरों पर है. वहीं, एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने भी इस फेज में अच्छे खासे बीजेपी के बागी नेताओं को मैदान में उतार रखा है.
मुस्लिमों के हाथ सीमांचल की चाबी
सीमांचल के 4 जिलों में 24 विधानसभा सीटें आती हैं, जहां मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका में हैं. इन चार जिलों में देखें तो किशनगंज में करीब 70 फीसद, अररिया में 42 फीसद, कटिहार में 43 फीसद और पूर्णिया में 38 फीसद मुसलमान हैं. सीमांचल की 14 सीटों पर AIMIM ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी 11, कांग्रेस 11, भाकपा-माले 1 और सीपीएम 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, एनडीए की ओर से बीजेपी 12, जेडीयू 11 और हम एक सीट पर चुनावी किस्मत आजमा रही है.
महागठबंधन का एकछत्र राज
मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में महागठबंधन का एकछत्र राज कायम है, जबकि बीजेपी और जेडीयू मिलकर इसमें सेंधमारी करने की जुगत में हैं। 2015 के चुनाव में कांग्रेस इस इलाके में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस ने यहां अकेले 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि जेडीयू को 6 और आरजेडी को 3 सीटें मिली थीं. वहीं, वहीं बीजेपी को 6 और एक सीट भाकपा माले को गई थी. हालांकि, इस बार समीकरण बदल गए हैं और जेडीयू-बीजेपी एक साथ मैदान में उतरी हैं. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने इस इलाके में कैंप करके अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे थे, जो महागठबंधन के चिंता का सबब बना हुआ है, लेकिन एलजेपी ने जिस तरह बीजेपी के बागियों को टिकट देकर जेडीयू के खिलाफ उतार रखा हैं. वो एनडीए के लिए टेंशन बढ़ा रहा है.
सीमांचल की 24 सीटें
बिहार के तीसरे चरण में सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें नरपतगंज, रानीगंज, फारबिसगंज, अररिया, सिकटी, जोकीहाट, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी, कोढा, हादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, कस्बा, बनमनखी, रुपौली, धमदाहा, पूर्णिया, अमौर और बैसी सीट शामिल हैं.
कोसी में यादव अहम वोटबैंक
बिहार का कोसी इलाका तकरीबन हर साल बाढ़ से तबाही का दंश झेलता है. इसी तबाही पर राजनीतिक दल अपनी सियासी फसलें भी काटते रहे हैं, लेकिन यहां की स्थिति जस की तस बनी हुई है. कोसी इलाके में न तो बाढ़ की तबाही रुक रही है और न ही यहां के लोगों का पलायन रुकने का नाम ले रहा है. कोरोना काल में सबसे ज्यादा श्रमिक मजदूर यहीं वापस लौटे हैं, जो इस बार बिहार के चुनाव में अहम भमिका अदा करने वाले हैं. यादव बहुल माने जाने वाले कोसी इलाके की राजनीतिक जमीन जेडीयू और आरजेडी के लिए काफी उपजाऊ रही है जबकि बीजेपी के लिए आज भी बंजर बनी हुई है.
मिथिलांचल में ब्राह्मण किंगमेकर
बिहार के तीसरे चरण में मिथिलांचल के सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिले की विधानसभा सीटों पर शनिवार को वोट डाले जाएंगे. यहां मैथिल ब्राह्मण 25 से 35 फीसदी के बीच हैं. इसके अलावा यहां मुस्लिम और यादव मतदाता भी काफी अच्छी संख्या में हैं, जो यहां की जीत हार में अहम भूमिका अदा करते हैं. इसके अलावा पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण जिले के साथ वैशाली की दो विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, जो तिरहुत के क्षेत्र में आता है.