Madhy Pradesh

डाॅ. बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठि का आयोजन

 

 

 

मध्यप्रदेश। डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू द्वारा ‘‘प्रिपेयर्डनेस ऑफ लाइब्रेरी एण्ड इन्फोरेर्मेशन सर्विस इन न्यू नाॅर्मल‘‘ विषय पर 27-29 अक्टूबर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वर्युअल संगोष्ठि का शुभारंभ हुआ। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठि का थीम कोविड-19 और उसके बाद नये परीवेश में पुस्तकालय एवं सूचना उपयोग संभावनाओं और चूनौतियों के बारे में गहन विचार विमर्श किया जायेगा।
उद्घाटन सत्र कुलपति प्रो. आशा शुक्ला की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. जगदीश अरोरा-सलाहकार, राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड, नई दिल्ली, की-नोट वक्ता के रूप में प्रो. जोयस चाओ चेन, राष्ट्रीय तायवान नोर्मल विश्वविद्यालय, तायवान, प्रो.डीके शर्मा, कुलसचिव, ब्राउस, प्रो.डीके वर्मा-डीन एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. किशारे जाॅन सम्मिलित हुये।
उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि इस न्यू नार्मल सभी सेक्टर के सामने चुनौतियां और अवसर दोनों है। पुस्तकालय सर्विस सेवाओं की बात करें तो इसमें भी परिवर्तन आये है। पुस्तकालय किसी शैक्षणिक संस्था की धड़कन के रूप में माना जाता है। विश्वविद्यालय में तकनीकी रूप से परिपूर्ण पुस्तकालय का निर्माण किया जाना चाहिए। इसके लिए यूजीसी, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार एवं विश्वविद्यालय स्तर पर एक अलग से अनुदान होना चाहिए। आगे कहा कि डाॅ. बीआर अम्बेडकर ने कोलम्बीया विश्वविद्यालय ने जो सामाजिक न्याय और समानता का ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया था, उसे ब्राउस और अधिक मजबूती से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।
मुख्य अतिथि प्रो. जगदीश अरोरा ने कहा कि लोग ऑनलाईन लर्निग को अपना रहे है। यहीं कारण है कि हम इस तरह की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्चुअल संगोष्ठि का आयोजन कर पा रहें है। आगे उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को ऑनलाईन कोर्सेस करना चाहिए, जो कि मुक, स्वयम इत्यादि के माध्यम से चल रहे है।
की-नोट उद्बोधन में प्रो. चाओ चेन, तायवान ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के उपयोग पर किये गये अध्ययन के आधार पर कहा कि कोरोना काल में ज्यादातर लोगों ने ऑनलाईन/वर्चुअल शिक्षा को अपनाया और रूचिपूर्ण अध्ययन कार्य जारी रखा। इस समय में ज्यादातर लोग इंटरनेट से जुड़े और इसका उपयोग किया।
उद्घाटन सत्र में प्रो. किशोर जाॅन द्वारा संपादित पुस्तक ‘‘रिजूविनेटिंग रंगनाथन एण्ड फिलोसफी‘‘ का वर्चुअल विमोचन किया गया। प्रो. किशोर जाॅन ने स्वागत उद्बोधन में संगोष्ठी के बारे में विस्तृत से बताया और अन्तर्राष्ट्रीय अतिथियों का स्वागत किया।
उद्घाटन सत्र के समापन में प्रो. डी.के. वर्मा द्वारा आभार प्रदर्शित किया गया।
उद्घाटन सत्र के पश्चात् प्रथम तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। जिसका संचालन प्रो. पी.के.जैन, नई दिल्ली द्वारा किया गया। प्रो. पीएसजी कुमार, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, नागपूर विश्वविद्यालय द्वारा सत्र की अध्यक्षता एवं प्रो. अजय पी.सिंग द्वारा सह-अध्यक्षता की गई। डाॅ. अख्तर परवेश-मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद द्वारा की-नोट उद्बोधन दिया गया। प्रो. मो.मेजबाह उल्ल इस्लाम-ढाका विश्वविद्यालय, डाॅ. अमीर रैजा असनाफी-शहिद बेहश्ती विश्वविद्याल ईरान, जय भट्ट- यूएसए एवं डाॅ. के.पी.सिंग-दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आमंत्रित वक्तव्य दिया गया। डाॅ. जीएचएस नायडू एवं डाॅ. नीतिन एस. जोशी द्वारा पेपर प्रस्तुत किये गये। अंत में डाॅ. संजय कटारिया-विश्वविद्यालय लायब्रेरियन बैनट विश्वविद्यालय, नोएडा द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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