आयुर्वेद के प्रमाणिक ज्ञान का वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रसार हो
– राज्यपाल श्रीमती पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार को ऑनलाइन किया संबोधित
– 87 देशों के एक हजार प्रतिनिधि हुए शामिल
मध्यप्रदेश। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि कोविड-19 का अनुभव बताता है कि रोग चिकित्सा स्वास्थ्य केन्द्रों को रोग निवारक केन्द्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। आयुर्वेद के चिकित्सा ज्ञान और जीवन शैली को आधुनिक समय के ज्ञान-विज्ञान के अनुरूप अनुसंधनात्मक प्रमाणिकता प्रदान करने के प्रयास किए जाएं। व्यक्तिगत स्तर पर औषधि और उपचार के प्रयासों और प्रयोगों को प्रमाणिकता के साथ मानवता के कल्याण के लिए सामने लाने के प्रयास जरुरी हैं। आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा के प्रयोगों की चुनौतियों को आगे बढ़कर स्वीकार करें। क्लीनिकल प्रयोगों जैसे शोध और अनुसंधान समय की जरुरत है। श्रीमती पटेल कोरोना काल में संस्कृत विषय पर अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद को संबोधित कर रहीं थी। परिसंवाद में 87 देशों के एक हजार प्रतिनिधि ऑनलाइन शामिल हुए।
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना वायरस ने बताया है कि आजीवन स्वास्थ्य के लिए मेरा स्वास्थ्य मेरी जिम्मेदारी की भावना जरूरी है। हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की स्वयं चिंता करनी होगी। अपने स्वास्थ्य के लिए सरकार अथवा दूसरों पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा। आयुर्वेद योग और पारंपरिक उपचार विधियों, खान-पान, आचार-विचार और व्यवहार की वैज्ञानिकताओं को स्पष्ट करते हुए जनमानस तक पहुंचाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व आज जाने अनजाने भारतीय सभ्यता और परंपरा का अनुसरण कर रहा है। सामाजिक दूरी के साथ अभिवादन का तरीका भारतीय संस्कृति के मनीषियों के तप और साधना के अनुसंधान का फल है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के सामने आधुनिक दुनिया का चिकित्सा ज्ञान असहाय दिख रहा है। इसका कारण चिकित्सा पद्धति की दृष्टि और दर्शन है, जिसका सारा ध्यान उत्पन्न रोग के उपचार पर है। जबकि भारतीय पद्धति चिकित्सा के साथ ही रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने पर बल देती है। आज के समय की पहली जरुरत है कि रोग उत्पन्न ही नहीं हो। यह विशिष्टता आयुर्वेद के चिकित्सा ज्ञान में है। आयुर्वेद स्वस्थ जीवन शैली है। आयुर्वेद की ऋतु अनुसार स्वस्थ दिनचर्या पालन और आहार प्रयोगों से रोगो के उपचार का ज्ञान सारे विश्व के लिए लाभकारी है।