Madhy Pradesh

किसानों के विरोध के आगे चिंता में डूबे नेता

मध्यप्रदेश। देश में इस समय कई राज्यों में उपचुनाव हो रहे हैं, इसके साथ ही बिहार में विधान सभा के चुनाव सामने हैं। बिहार और मध्य प्रदेश में हो रहे उप चुनाव में नया किसान कानून भी मुद्दा बनने जा रहा है। इस समय कई किसान इस कानून के विरोध में खड़े हुए हैं। ऐसे में चुनावी मैदान में उतरने वाले सियासी दलों के अलावा उम्मीदारों की चिंता बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि खेती किसानी नए किसान कानून के क्या नफा नुकसान होगा यह तो बाद में सामने आयेगा, लेकिन अभी सियासी गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। सियासी दल अपना अपना नफा नुकसान तलाशने में जुटे हुए हैं।
– किसान कानून से क्या बदलेगा
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है उससे किसान अपनी उपज को दूसरे राज्यों तक बेच सकेंगे, इससे अच्छे दाम मिल सकते हैं, व्यापार बढ़ेगा। इसमें कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज़, कृषि बिजनेस फर्मों, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं को लाभ मिलेगा। वहीं अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्‍याज को अावश्यक वस्तुएं नहीं रहेंगी। इससे बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी।
– किसानों की नाराजगी की वजह
किसान कहते हैं, कि वह तो अपनी उपज नजदीकी मंडी में ही बेचते हैं, यहीं सुविधाएं मिलें। किसानों को समर्थन मूल्य जाने के अलावा, कंपनियों के बाद मुकरने का भी डर सता रहा है। दूसरी तरफ वर्तमान में जाे कृषि उपज मंडियां हैं वह भी हाशिये पर जा सकती है। इन्हीं सबके चलते किसान नाराज है, और विरोध जता रहे हैं। इसलिए इस समय सियासी दल चिंता में नजर आ रहे है कि किसानों की संख्या प्रत्येक विधान सभा सीट को प्रभावित कर सकती है।

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