अंजाम जो भी … पर सियासत की इस मोहब्बत ने मध्यप्रदेश में बना दिया इतिहास
मध्यप्रदेश। दिल दिया है जां भी देंगे ऐ सनम तेरे लिए, हम जीएंगे और मरेंगे, ऐ सनम तेरे लिए… साल 1986 में फिल्म कर्मा में फिल्माया गया यह गीत मध्यप्रदेश की सियासत में इतिहास बना गया है। सियासत में ऐसी मोहब्बत शायद पहली बार ही देखी गई हो, जब अपने नेता के लिए मंऋीपद और विधायकी जैसे अहम पद चुटकी बजाते ही छोड दिए। मध्यप्रदेश उपचुनाव में अब अंजाम जो भी हो, लेकिन इन समर्थित विधायकों ने विश्वास की एक अमिट छाप छोड दी है।
जी हां हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के उन 22 विधायकों की जिन्होंने अपने लाडले नेता श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख के लिए मंऋी पद और विधायकी जैसी अहम पद छोड दिए। एक साथ एक नेता के लिए 22 विधायकों द्वारा इस्तीफा दिया जाना देश में शायद हुआ हो या नहीं, लेकिन संभवत: मध्यप्रदेश में तो ये पहली बार होकर इतिहास बन गया है। डेढ दशक बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस सरकार में श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया को मान सम्मान नहीं मिलने की वजह से उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। उनके अलविदा कहते हैं उनके समर्थकों में भी इस्तीफा देने की होड सी मच गई। देखते ही देखते मध्यप्रदेश के 22 सिंधिया समर्थक विधायकों ने अपना इस्तीफा दे दिया, इनमें छह मंऋी थे। विधायकों का इस्तीफा देते ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा िफर से सत्ता में काबिज हो गई। सिंधिया के साथ सभी समर्थित विधायक भाजपा में आ गए। अब मध्यप्रदेश में उपचुनाव है। ज्यादातर यही सिंधिया समर्थित विधायक भाजपा की ओर से चुनाव लडेंगे। हालात विपरीत होंगे, लेकिन इन विधायकों की दिवानगी पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई।
– पलभर में छोड दी थी इन्होंने विधायकी
सिंधिया समर्थित जिन् विधायकों ने इस्तीफा दिया उनमें छह मंऋी भी शामिल हैं, जिनमें प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभुराम चौधरी के नाम शामिल हैं. जबकि विधायकों में राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, मुन्नालाल गोयल, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिर्राज दंडौतिया, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरौनिया, जसवंत जाटव, सुरेश धाकड़, जजपाल सिंह जज्जी, बृजेंद्र सिंह यादव और रघुराज सिंह कंषाना प्रमुख हैं.