MP BY ELECTION : बहुजन सियासत की उपजाऊ जमीन है भांडेर विधानसभा
मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश उपचुनाव में भले ही भाजपा ने अपने पत्ते न खोलें हों, लेकिन सियासत गर्मा उठी है और गर्माये भी क्यों न क्योंकि उपचुनाव पर मध्य प्रदेश का भविष्य टिका हुआ है। उपचुनाव में मतदान करने वाले मतदाता ही तय करेंगे कि प्रदेश की सत्ता पर काबिज कौन रहेगा। इस उपचुनाव में चंबल क्षेत्र अहम भूमिका निभाने वाला है, ऐसे में भांडेर विधानसभा क्षेत्र जो बहुजन सियासत की उपजाऊ जमीन के रूप में अपनी पहचान रखती है। एक बार फिर हॉट सीट बनती हुई दिख रही है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में बहुजन सियासत के कभी क्षत्रप रहे फूल सिंह बरैया को उनके बहुजन संघर्ष दल सहित कांग्रेस ने अपने आप में समाहित कर लिया है। इसके साथ ही उन्हें भांडेर विधान सभा क्षेत्र से उपचुनाव के समर में उतार दिया है। इससे एक बार फिर बहुजन सियासत कुलांचे भरने लगी है, तो दूसरी ओर कभी प्रदेश के गृहमंत्री रहे महेन्द्र बौद्ध जो कि इस क्षेत्र की सियासत में दखल रखते हैं। उन्होंने भी कांग्रेस से हाथ झटकते हुए वह बहुजन समाज के हाथी पर सवार हो गए है।
– विधानसभा का ऐसा रहा मिजाज
पूर्व में भांडेर सीट पर कांग्रेस के केसरी चौधरी ने जीत दर्ज की थी, वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मंत्री मंडल में मंत्री भी रहे, 2008 और 2013 में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी, तो वहीं उप चुनाव में मैदान में उतरे फूल सिंह बरैया भी यहां से विधायक रह चुके है। फिर भांडेर के मतदाताओं ने मिजाज बदलते हुए 2018 में कांग्रेस की रक्षा देवी सरोनिया को 39 हजार 896 वोटों के भारी अंतर से जिताकर विभान सभा भेजा था।
– बसपा को दे दिया था झटका
चंबल ग्वालियर क्षेत्र में भांडेर विधान सभा क्षेत्र बहुजन सियासत का गढ़ माना जाता है, लेकिन 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को झटका दे दिया था। बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार किरण दोहरे को महज 2641 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस ने बड़े अंतर से यह सीट जीत कर अपनी सियासी जड़ें यहां मजबूत की थी। कांग्रेस के उप चुनाव में प्रत्याशी फूल सिंह बरैया की पहचान बहुजन नेता के रूप में है। उनके सामने कौन होगा,नाम सामने आने के बाद यहां सियासत और दिलचस्प होगी।
– कहीं त्रिकोण बनाने की कवायद तो नहीं
कांग्रेस में बहुजन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले कददावर नेता महेन्द्र बौद्ध बसपा में शामिल हो गए हैं। भांडेर की सियासत में उनका दखल माना जाता है। बहुजन समाज पार्टी 2018 के चुनाव में अपनी ताकत मजबूती से नहीं दिखा पाई थी। महेन्द्र बौद्ध के बसपा में आने के बाद यदि बसपा यहां उपचुनाव को त्रिकाणीय बनाने की कवायद में नजर आ रही है। हालांकि इसके लिए बसपा को अपनी पूरी ताकत झौकना होगी।
– विश्वास की भी परीक्षा
भांडेर विधान सभा के मतदाताओं ने यूं तो सियासत के कई रंग देखे हैं, कभी नीला, कभी कभी तिरंगा तो कभी भगवा पसंद बना है। पर 2018 के चुनाव के बाद जिस तरह से सत्ता परिवर्तन हुआ। उससे सियासी गलियारों चर्चा कुछ भी हो, सियासी दलों की अपनी अपनी रणनीति भी हो, लेकिन यहां के मतदाताओं का विश्वास डगमगाया तो है। इस लिए इस उपचुनाव में सियासी दलों के साथ उम्मीदवारों के विश्वास की परीक्षा का भी समय है, अब कौन मतदाताओं के विश्वास पर खरा उतरेगा यह तो भविष्य के गर्त में है।