Madhy Pradesh

हिन्दी दलित चेतना की भाषा है : आईएएस मनोज कुमार श्रीवास्तव

 

मध्यप्रदेश। डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू द्वारा 14 सितम्बर 2020 को ‘‘हिन्दी का वैश्विक परिदृश्यः दशा एवं दिशा‘‘ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में मनोज कुमार श्रीवास्तव, सुप्रसिद्ध कवि लेखक एवं अपर मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं आध्यात्म विभाग ने अपने उद्बोधन में विश्व पटल पर हिन्दी की संभावना पर बात करते हुए भाषाधिकार को मानवाधिकार का अंग बताया। उन्होंने हिन्दी को दलित चेतना की भाषा बतलाया।

फ्रांस, हंगरी सहित कई राष्ट्रों ने न्याय की भाषा का अधिकार दिया। भारत में अभी भी न्याय की भाषा का अधिकार प्राप्त नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा समुदाय की अगर कोई भाषा खत्म होती है तो भाषा की जैविकीय चक्र वैसे ही प्रभावित होगा जैसे किसी जीव के समाप्त होने पर जैव श्रृखंला प्रभावित होती है। भाषा के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। भाषा समुदाय का उत्पाद है न कि किसी कारखाने का। वर्तमान समय भाषा संरक्षण के लिए कदम बढ़ाने और तार्किंक संघर्ष करने की मांग करता है।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने हिन्दी भाषा परिवार की सभी बोलियों को भाषा के रूप में बताया। आगे कहा कि भारत ऐसा देश है जो भाषा दिवस मनाता है। यह गौरव की बात है। हमारी जागरूकता और इसके प्रति प्रेम का भी विषय है। हिन्दी दिवस को हम एक रूप में राष्ट्र के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में हिन्दी की समृद्धि के साथ इसे संयुक्त राष्ट्र में स्थान प्रदान करवाने के लिए कार्य करने की बात कहीं।

डाॅ. शैलेश शुक्ला विशिष्ट वक्ता, कवि लेखक एवं सृजन आस्ट्रेलिया अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका के प्रधान संपादक ने न्यू मीडिया में हिन्दी साहित्य पर बात करते हुए भाषा के विकास में तकनीकी अनुकूलता का जिक्र करते हुए बताया कि यूनीकोड के आने से हिन्दी की दुनिया का विस्तार हुआ है। हिन्दी सहित, क्षेत्रीय भाषाओं का कंटेट बढ़ रहा है। हिन्दी कविता, गद्य एवं अन्य ज्ञान, विज्ञान की बातें वेबपोर्टल के जरिए सामने आ रही है, जो हिन्दी की दुनिया को विस्तार देता है। आने वाले समय में न्यूमीडिया का व्यापक उपयोग और संभावना हिन्दी के हित में होगी।
डाॅ. जवाहर कर्नावट ने विशिष्ट वक्ता के रूप में विदेश में हिन्दी पत्रिकाओं के माध्यम से हिन्दी के विस्तार पर बात करते हुए बताया कि हिन्दी पत्रिकाओं के जरिए हिन्दी का वैश्विक विस्तार तो हुआ ही साथ ही भारतीय संस्कृति और त्यौहार पद्यतियों की भी पहुंच की जानी संभव होती है।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय कुलपति, प्रो. आशा शुक्ला ने हिन्दी के उत्थान की समृद्धि के लिए किसी एक दिन की जगह अनवरत कार्य करने की बात कहीं।  उन्होनें बताया अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का उद्देश्य ही हिन्दी के वैश्विक महत्व के साथ राष्ट्रीय चेतना और भाषाई समृद्धि की बात से है। हम जिस क्षेत्र में कार्य कर रहें है और जितने लोगों से मिलते है उन्हें प्रोत्साहित करें कि हिन्दी राष्ट्र भाषा बनें और इसे संयुक्त राष्ट्र में स्थान मिल पाए। विश्वविद्यालय इस हेतु अपना योगदान कर रहा है। हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं, हमारी पहचान है।

स्वागत उद्बोधन प्रो. किशोर जाॅन, डीन ने स्वागत उद्बोधन एवं प्रस्तावना वक्तव्य देते हुए हिन्दी के महत्व पर बात की। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डीके वर्मा, डीन द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. मनोज गुप्ता ने किया।

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