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मप्र के गांव-गांव में किसान बनेगा आर्गिनिक मसाला उद्योगपति

 

– मसाला उपज को कम दाम में बेचने की मजबूरी से किसान होगा मुक्त

– किसान अपनी हल्दी,मिर्ची और धनिया खुद पिस कर करेगा पैक

– राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की परियोजना बनाएगी किसानों को आत्मनिर्भर

 

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]श्रवण मावई[/mkd_highlight]

 

 

मध्यप्रदेश। कोरोना काल में सबसे अधिक मांग शुद्ध मसालों की है,लेकिन शुद्ध मसालें बाजार में मिलना मुशिकिल है। ऐसे में बाजार की मांग और किसानों को बडा आर्गिनिक मसाला उद्योगपति बनाने का काम राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की परियोजना द्वारा किया जाएगा। कृषि विश्वविद्यालय द्वारा केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत शुरू की गई परियोजना से मध्यप्रदेश के किसनों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है। इससे मध्यप्रदेश में मसाला उपज को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थति मजबूत होगी।


राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के माध्यम से राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ने भोपाल के ईटखेटी में 54 एकड जमीन पर फल प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया है। इस केंद्र के माध्यम से प्रदेश के किसानों को मसाला फसल की पैदावार करने के लिए प्रोसाहित किया जा रहा है। वहीं किसानों की उनकी मसाला उपज को प्रसंस्करण केंद्र में प्रोसिंसिंग कर पैक करने के बाद उनको बेचने के लिए दे दिया जाता है। जिसमें हल्दी,मिर्ची,धनिया प्रमुखता शामिल है। यह मसाले हर घर में उपयोग में लाए जाते है। सबसे फायदे बात है कि किसान केंद्र में प्रोसिंसिंग का प्रशिक्षण लेकर स्वंय अपनी मसाला उपज की प्रोसिंसिंग कर पैक कर सकता है। जिससे मसाले की शुद्धता की गांरटी हो जाती है। केंद्र ने मसाले की पैकिंग का फूड लायसेंस भी लिया है और मसाला या अन्य उत्पाद को राजविजय नाम दिया है।

— कैसे बनेगें किसान मसाला उद्योगपति

प्रदेश के कई गांवों में किसानों हल्दी,मिर्ची,धनिया की फसल की पैदावार करते है,लेकिन उन्हें उनकी उपज की सही दाम नहीं मिलने से उनकी रूचि मसाला उपज में कम है। फल प्रसंस्करण केंद्र सभी गांव के किसानों को मसाला उपज को केंद्र की प्रोसिंसिंग यूनिट का उपयोग कर मसाला तैयार करने के बाद बेचने का अवसर दे रहा है। किसान अधिक से अधिक हल्दी,मिर्ची,धनिया की पैदावार करेंगे और फिर सीधे फल प्रसंस्करण केंद्र लाकर उन्हें प्रोसिंसिंग कर सुंदर पैकिंग में गांव के बजार में बेचेंगे,इसके एवज में केंद्र उनसे बहुत मामूली शुल्क लेगा। उपज और अन्य खर्चे के बाद में किसान के पैक मसाले की कीमत बजार में उपलब्ध मसालों से कम होगी और किसान को अच्छा मुनाफा मिलेगा। यदि गांव के कुछ किसान में इस काम में सफल हो गए तो वो अन्य किसानों से उनकी मसाला उपज खरीदेंगे और अपना लघु मसाला उद्योग संचालित कर सकते है। इससे अन्य किसानों की उपज मंडी की गांव में ही उनके खेत से बिक जाएंगी।

— केंद्र भी बेचेगा कई मसाले…

फल प्रसंस्करण केंद्र को किसानों को मसाले और अन्य उत्पादकों की प्रोसिंसिंग का प्रशिक्षण निरंतर करना ही है। प्रशिक्षण के दौरान कुछ क्विंटल हिल्दी,मिर्ची,धनिया और अन्य मसाले की प्रोसिंसिंग सिखाने के लिए तैयार किया जाता है। प्रशिक्षण के इन तैयार मसालों को प्रदेश के ग्रमीण इलाकों में मौजूद सभी कृषि विकास केंद्रो पर प्रमोशन के तौर बिक्री के रखा जाएगा। जिससे केंद्र में तैयार होने वाले शुद्ध मसालों का प्रोमोशन होगा और पैसा भी मिल जाएगा।

— किसान को सीधा फायदा…

— फूड लायसेंस नहीं लेना होगा।
— प्रसंस्करण यूनिट लगाने की अवश्यकता नहीं।
— मसाला पैकिंग के लिए यूनिट भी नहीं लगाना
— कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना
— उपज के मंडी दाम से कई गुना अधिक दाम मिलेगा

— कोरोना काल में हल्दी और अदरक का महत्व

फल प्रसंस्करण केंद्र में सबसे शुद्ध हल्दी तैयार की जा रही है जिसको क्रेंद्र के वैज्ञानिकों ने भारत के अन्य जगह की तैयार की गई हल्दी की तुलना में सबसे शुद्ध बताया है। वहीं यहां अदरक पाउडर भी तैयार किया जा रहा है। हल्दी और अदरक को कोरोना संक्रमण से बचने में काफी कारगार बताया गया है। इसके अलावा केंद्र में फल की प्रोसिंसिंग कर अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाते है।

— इनका कहना है

मध्यप्रदेश के किसनों को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भोपाल ईटखेडी में फल प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना की गई है। इस परियोजना के मध्यम से प्रदेश के किसानों को मसाला उपज से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देकर उन्हें मसाला लघु यूनिट तैयार करने के लिए प्रोसाहित किया जाता है। केंद्र में कोई किसान अपनी मसाला उपज लाकर प्रोसिंसिंग कर पैकिंग कर ले जा सकता है। इससे प्रदेश के किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और प्रदेश मसाला उपज की पैदावार का रकबा भी बढेगा।

— शालिनी चक्रवर्ती, परियोजना प्रभारी,फल प्रसंस्करण केंद्र भोपाल ईटखेडी मप्र

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