कोरोना काल में मनोवैज्ञानिक समस्याओं के कारण अवसाद की स्थिति तेजी से बढ़ी : डॉ. हरिकेश सोमन
— डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू द्वारा वर्चुअल राष्ट्रीय काॅन्फरेंस
मध्यप्रदेश। डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू द्वारा “COVID-19 : Emerging Challenges and Dimensions of Management” विषय पर चार दिवसीय वर्चुअल राष्ट्रीय काॅन्फरेंस में 6 अगस्त को द्वितीय टेक्निककल सत्र में बीज वक्तव्य देते हुए सिम्बाॅयसिस काॅलेज ऑफ आर्ट्स एण्ड कामर्स पूना के प्राचार्य डॉ. हरिकेश सोमन कहा कि अचानक आयी इस वैश्विक महामारी ने सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। विशेषकर, उद्योगपतियों और वित्तीय संस्थाओं के लिए नयी चुनौतियां सामने आयी। वित्तीय हानि के साथ मनोवैज्ञानिक समस्याओं के कारण व्यक्तियों में अवसाद की स्थिति तेजी से बढ़ी। वित्तीय प्लाॅन का नियोजन करने में कठिनाई उत्पन्न हुयी। आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा बड़े पैकेज की घोषणा की है। औद्योगिक संस्थाओं को आकस्मिक निधि स्थापित करना चाहिए ताकि अप्रत्याशित व्यय किया जा सके।
मुख्य अतिथि गोविन्द गुरू विश्वविद्यालय, गोधरा के कुलपति ने कहा कि विकासशील देशों की चुनौतियां विकासित देशों से बिल्कुल भिन्न हैं। आर्थिक संस्थानों के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों में भी व्यापक बदलाव के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों में भी व्यापक बदलाव आए है। ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षण संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने से अनेक आर्थिक समस्याओं का जन्म हुआ है। लेकिन इन चुनौतियों के साथ कई सहयोगात्मक उपागम से सकारात्मक वातावरण निर्मित किया जा सकता है।
विशेष अतिथि सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आनन्द के प्रो. संदीप ने कहा कि ‘डिजिटल इन्फ्रांस्र्टक्चर‘ के अन्तर्गत नयी योजनाओं का आंरभ हुआ है। कैशलेस इण्डिया फ्रेमवर्क ने एक डिजिटली सशक्त समाज को विकासित किया है। शतप्रतिशत डिजीटल बैंक बैंकिग का भविष्य है। हम सभी को संकल्पित होकर समाज के ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों को डिजीटली साक्षर करना होगा।
विशेष अतिथि प्रो.एम.मुनिआर्चनअप्पा ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी देश के आर्थिक विकास में वित्त महत्तवपूर्ण अंग है। टीमवर्क के साथ ही इसे चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। शिक्षक के तीन गुणों ज्ञान, अनुभव और संचार को अपनाते हुये बुद्धिमता और क्षमताओं को विकसित कर विजय प्राप्त की जा सकती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए वित्त की आवश्यकता महत्वपूर्ण है।
विशिष्ट अतिथि पाण्डेचेरी क्रेन्द्रीय विश्वविद्यालय के डाॅ. एनएस पाण्डे ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी का आर्थिक प्रभाव काफी हद तक विघटनकारी रहा। भारत के आर्थिक दृष्टिकोण के लिए पूर्व मौजूदा जोखिम बढे़ हुए है। लाॅकडाउन के दौरान, करोड़ों लोगों ने रोजगार खो दिया। देश भर में 45 प्रतिशत से अधिक परिवारों ने पिछले वर्ष की तुलना में आय में गिरावट दर्ज की है। भारतीय रिजर्व बैंक ने महामारी के आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए उपायों की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ के समग्र आर्थिक पैकेज की घोषणा की। पर्यटन उद्योग सहित होटल और एयरलाईनस को काफी नुकसान हुआ है। संयुक्त प्रयासों से इस स्थिति का सामना करते हुए सुनहरे भविष्य को निर्मित किया जा सकता है।
तकनीकि सत्र के अध्यक्ष प्रो. प्रशान्त कुमार ने सभी वक्ताओं की बातों को संदर्भित करते हुये कहा कि व्यवहारिक बदलाव कोरोना के कारण आये हैं, जिसमें लोगों का खर्च करने एवं भविष्य के लिये सेव करने का पैर्टन भी बदलेगा, निश्चित ही निवेश पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। आत्मनिर्भर होने की जरूरत इस महामारी में ज्यादा अच्छे से सिखाई है। आभार प्रो. किशोर जाॅन ने दिया।