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लड़कियों को परवरिश के दौरान ही बांध दिया जाता है सीमित दायरे में : डॉ. कायनात काज़ी

 

— डॉ. बी.आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में जेंडर संवेदनशीलता पर कार्यक्रम

मध्यप्रदेश। डॉ. बी.आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू द्वारा जेंडर संवेदनशीलता एवं संबंधित विषय पर आयोजित एक माह के कार्यक्रम के अंतर्गत 27 जुलाई को भारत की महिला सोलो यात्री और फोटोग्राफर डॉ. कायनात काज़ी ने महिला सशक्तिकरण में यात्राओं की भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि अकेले यात्रा करने का रोमांच अनूठा होता है। लेकिन ऐसी यात्राओं के लिए परिवार और समाज के बंधनों से बाहर निकलकर अपने उद्देश्यों को पूरा करना होता है। उन्होंने कहा कि जब आपका लक्ष्य और मकसद स्पष्ट हो तो सभी का सहयोग मिलता है। पितृसत्तात्मक समाज में लड़कियों की परवरिश इस प्रकार की जाती है कि हमें सीमित दायरे में बांध दिया जाता है। जो क्षमताए हैं उन्हे आंकने का मौका अमूमन नहीं मिल पाता। हमारे यहाँ नारी को देवियों की तरह पूजा जाता है। लेकिन दूसरी तरफ परंपराओं के नाम पर प्रचलित कुरीतियों के चलते स्त्रियों दोयम दर्जे की स्थितियों का सामना करना पड़ता। यात्राओं को जारी रखने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन एक बार बाहर आने और उसे जीने के बाद मुश्किलें आसान हो जाती हैं। लेकिन आज आवश्यकता है कि हमें अपने उद्देश्यों पर केंद्रित होकर कार्य करना चाहिए । हमें अपने लिए जीना आना चाहिए।

जब हम खुश रहेगें तभी अपने परिवार और समाज में खुशी बिखेर पाएंगें। जहां जुनून होता है वहाँ रास्ते अपने आप निकल जाते है। ऐसी यात्राओं से आपके अन्दर आत्मविश्वास बढता है। लेकिन आजादी के साथ ही जिम्मेदारी भी बढ जाती है। यात्राओं के दौरान सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। आज की युवा लडकियों को अपने अन्दर ऐसे गुणो का तलाशना चाहिए जो आगे उन्हे पहचान दें। अध्यक्षीय उदबोधन देते हुए विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रों.आशा शुक्ला ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में सालों यात्राओं का बहुत महत्व है। यह भारतीय संस्कृति में एक औरत को अपनी पहचान दिलाता है। और दुनिया को भी दिखाता है। यदि हम कुछ अलग करना चाहते हैं जो हमें खुश रखने में सहायक है तो अवश्य वह करियर चयन करना चाहिए। तभी हम अपनी क्षमताओं का सौ प्रतिशत उपयोग कर सकते है। सीमित संसाधनों और परिवेश के साथ भी प्राथमिकताओं कों निर्धारित करके मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। जेंडर परिप्रेक्ष्य में यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। जिस पर अकादमिक स्तर पर भी कार्य करना चाहिए। स्वागत उदबोधन जेंडर स्टडीज विभाग के डॉ. मनोज गुप्ता द्वारा दिया गया । आभार कुसुम त्रिपाठी द्वारा ज्ञापित किया गया।

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