Madhy Pradesh

पुरूष मानसिकता सेना में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ करने में सबसे बड़ी चुनौती : लेफ्टिनेट जनरल दुष्यंत सिंह

 

— डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय जेण्डर संवेदनशीलता पर विशेष व्याख्यान

मध्यप्रदेश। डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा जेण्डर संवेदनशीलता और संबंधित विषय पर आयोजित अकादमिक गतिविधियों के क्रम में 14 जुलाई को विशेष व्याख्यान में लेफ्टिनेट जनरल दुष्यंत सिंह ने ‘‘सेना में महिलाओं की बढ़ती संख्या के मायने‘‘ विषय पर बात करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की कम संख्या के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक अदृश्य मुद्दे उत्तरदायी हैं। पुरूष वर्चस्व एवं पितृसत्तात्मक समाज महिलाओं को सेना में अनुकूल वातावरण बनाने में बाधक है। विश्वस्तर पर अधिकारियों और सैनिकों के रूप में महिलाओं की भूमिका के लिए प्रयास किए गए। लेकिन काॅम्बेट यूनिट में महिलाओं को स्थान नहीं मिल पाया है। सामाजिक एवं पारिवारिक दबाव, शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर मानने की पुरूष मानसिकता सेना में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ करने में सबसे बड़ी चुनौती है। दूर-दराज क्षेत्रों में पोस्टिंग, असुरक्षित वातावरण, अपर्याप्त अनुभव जैसी समस्याओं का समाधान करना होगा। जेण्डर संवेदनशीलता के साथ स्वस्थ परिवेश एवं जेण्डर सौहार्द की आवश्यकता है। संवेदनशील नेतृत्व सहित मानसिकता से बदलाव और प्रशिक्षण के द्वारा सुरक्षित कार्यात्मक वातावरण उपलब्ध कराया जा सकता है। सामाजिक मीडिया और व्यवहार से सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं, जिसमें बेहतर मूल्य और नैतिकता समाहित है।
अध्ययक्षीय उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति माननीय प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि शौर्य और शारीरिक मापदण्डों के कारण महिलाओं को सेना के क्षेत्र में उचित स्थान नहीं मिल पाया है। समाज के दोहरे मापदण्ड एवं स्त्री-पुरूष के प्रकृति प्रदत्त गुणदोषों की कथित मानसिकता के कारण इस क्षेत्र में महिलाओं की सशक्त भूमिका के सामने चुनौति है। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों में जेण्डर संवेदनशीलता के विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए जिससे इसमें जुड़ी कमजोरियों को दूर करते हुए भारतीय सेना को और अधिक सशक्त बनाया जा सके। धीरे-धीरे वैचारिक चिंतन के द्वारा सामाजिक परिवर्तन दिखाई देगा।
स्वागत उद्बोधन प्रो. डी.के. वर्मा, डीन एवं आई.क्यू.ए.सी. सेल निदेशक द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रो. किशोर जाॅन, डीन द्वारा ज्ञापित किया गया।

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