Madhy Pradesh

मप्र में मजबूरी में आबकारी विभाग उमाभारती वाली पॉलिसी पर लौटा

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]

 

 

मध्यप्रदेश। प्रदेश की शराब दुकानों की नीलामी आबकारी विभाग के लिए ठेकेदारों की कथित मनमानी के कारण गले की हड्डी बन गई है। नीलामी के लिए सरकार का दबाव इसलिए भी है कि 24सों पर उपचुनाव होना है।ठेकेदारों की हठधर्मिता से निपटने के लिए त लागू विभाग अब 24 जून को प्रदेश के शराब ठेकों की नीलामी में ई लिफाफे वाली प्रक्रिया अपनाकर बिडिंग (बोली लगाने) वाली व्यवस्था बंद कर रहा है।पूर्व सीएम उमाभारती के वक्त बंद लिफाफों में लिखे भाव मुताबिक ही दुकानों की नीलामी होती थी।
ऐसा पहली बार हुआ है कि आबकारी विभाग को पॉलिसी में पहला बदलाव तो 9 महीने के लिए नीलामी वाला करना पड़ा। आबकारी विभाग ने रिजर्व प्राइज ₹ 900 करोड़ घोषित किया लेकिन दो बार नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ाना पड़ी।इंदौर के ठेके के लिए सोमवार 22 जून को भी टेंडर हुए ठेकेदारों के पांच ग्रुप जगदीश अरोरा और पीएन ग्रुप, रमेश राय, मोनू भाटिया, जवाहर जायसवाल, बाबी भाटिया-महेंद्र सिंह नामदेव, पिंटू भाटिया और लक्ष्मीनारायण नीलामी में शामिल हुए लेकिन शाम तक प्रक्रिया पूरी न हो सकी।

-सरकार के कई ऑप्शन होते हैं-आबकारी आयुक्त

इसी बीच आबकारी विभाग ने शाम को पॉलिसी में बड़े बदलाव का निर्णय ले लिया।आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने ‘प्रजातंत्र’ से चर्चा में बताया कि रिजर्व प्राइज के पश्चात टेंडर के बाद होने वाली बोली (बिडिंग) प्रक्रिया अब नहीं होगी।दुकानों के लिए सीधे ठेकेदारों से ई लिफाफे में उनके द्वारा निर्धारित मूल्य लिखित में लिया जाएगा।यह राशि रिजर्व प्राइज से जिस ठेकेदार ने सर्वाधिक लिखी होगी उस के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

-इंदौर में 175 दुकानों का मूल्य भरना होगा-सोनी

जिले की शराब दुकानें अब इस नई पॉलिसी के तहत ही नीलाम की जाएंगी।सहायक आबकारी आयुक्त आरएन सोनी ने स्पष्ट किया सारी दुकानों की नीलामी एक साथ ही होगी।पृथक पृथक दुकानें नीलाम नहीं की जाएगी।रिजर्व प्राइज क्या रहेगा इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है।

-उमाभारती के वक्त ओपी रावत ने बनाई थी यह पॉलिसी

शिवराज सिंह चौहान की सरकार में उमाभारती के वक्त बनी आबकारी पॉलिसी के तहत पहली बार 24 जून को नीलामी होंगी।इकबाल सिंह बैंस के स्थान पर तब ओपी रावत को आबकारी आयुक्त बनाया गया था।कांग्रेस शासन में मंत्री रहे केपी सिंह पर यह आरोप लगते रहे थे कि गुना, ग्वालियर के प्रमुख ठेकेदारों लल्ला, शिवहरे के शराब कारोबार में उनका पैसा लगता है।भाजपा नेत्री रहते उमा भारती पर ग्वालियर क्षेत्र में हमले की घटना में भी शक की सूई शराब कारोबारियों पर थी। सत्ता में आने के बाद उमा भारती ने नेता-शराब कारोबारियों-अधिकारियों का काकस तोड़ने का काम किया। ओपी रावत की इस पॉलिसी ‘सिंगल टॉप सिस्टम’ के तहत नीलामी में पहले एक-एक दुकान, शेष बची दुकानें अधिकतम तीन दुकान के ग्रुप में सर्वाधिक बोली पर नीलाम की जाती थीं।इसके बाद भी बची दुकानें टेंडर प्रक्रिया और बंद लिफाफों में सर्वाधिक मूल्य पर नीलाम की जाती थी।

करीब 13 साल चली इस पॉलिसी का सरकार को यह लाभ हुआ कि रिंग या ग्रुप बनाकर दुकानें लेने वाले ठेकेदारों की मोनोपाली टूट गई।रिंग के कारण सरकार को 8 से 10 प्रतिशत रिजर्व प्राइज मिलता था लेकिन इस पॉलिसी से सरकार की आबकारी आय में 20 प्रतिशत की वृद्धि हो गई थी।

-अब ठेकेदारों के लिए चुनौती

नई पॉलिसी के तहत 24 जून को ठेका नीलामी में ठेकेदारों की ग्रुप बाजी तो प्रभावित होगी ही, 175 दुकानों के लिए जिस ठेकेदार के भाव को मंजूरी मिलेगी उसके सामने पांच प्रतिशत अर्नेस्ट मनी की राशि जुटाना पहली चुनौती होगी।अभी इंदौर लीकर गैलरी ग्रुप को शासन ने अर्नेस्ट मनी का ₹ 60 करोड़ भी नहीं लौटाया है। इंदौर लीकर गैलरी ने इसी मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर कर रखी है, कोर्ट ने बिना किसी दंड के अर्नेस्ट मनी राशि ₹ 60 करोड़ ठेकेदारों को लौटाने के निर्देश भी दिए हैं। इस मामले में आज 23 जून को सुनवाई होना है। नई पॉलिसी में जो भी ठेकेदार दुकानें लेगा उसे बाकी ठेकेदारों को कुछ हिस्से का पार्नर बनाना या कुछ दुकानें उन्हें बेचना मजबूरी हो जाएगी लेकिन इससे आबकारी विभाग को फर्क नहीं पड़ेगा।

Related Articles

Back to top button