मप्र में विश्वविद्यालय परीक्षा की तारीखें आगे बढाई जाएंगी
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह से जीत नहीं मिली है और अगले महीने से कॉलेजों में परीक्षाओं का सिलसिला शुरु होने वाला है। विवि के लाखों छात्र पशोपेश में हैं कि परीक्षा दे कैसे?
उच्च शिक्षा विभाग ने अब तक छात्रों के लिए स्पष्ट गाइड लाइन भी घोषित नहीं की है।संकेत ऐसे मिल रहे हैं कि विश्वविद्यालय की परीक्षाएं आगे बढ़ाई जा सकती हैं।सरकार इस विकल्प पर भी चिंतन कर रही है कि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को जनरल प्रमोशन दे दिया जाए तथा पीजी और यूजी परीक्षाएं करा ली जाएं।जनरल प्रमोशन को अपने कैरियर के लिहाज से छात्र उचित नहीं मान रहे हैं।
जुलाई से परीक्षाएं शुरु होना है लेकिन कोरोना के लिहाज से अभी बड़े शहरों में स्थिति शत-प्रतिशत नियंत्रण में नहीं है।यह भी माना जा रहा है कि कोरोना का पीक अभी आ सकता है। विवि यदि परीक्षाएं जुलाई से कराने का मन बना भी ले तो लोक परिवहन के साधनों का अभाव, होस्टल की समस्या आदि ऐसी चुनौतियों के आसान हल तलाशना छात्रों के लिए बड़ी समस्या है।
ऑनलाईन परीक्षा आयोजित करने के विकल्प पर भी उच्च शिक्षा विभाग विचार कर रहा है लेकिन विभिन्न गांवों में रहने वाले छात्र इसमें शामिल हो ही जाएं यह भी संभव नहीं।छात्रों के पास लेपटॉप न भी हो तो स्मार्ट फोन तो हैं ही किंतु गांवों में नेट स्पीड चौबीस घंटे मिल जाए यह संभव नहीं है।
–अगले माह पीजी और यूजी की परीक्षाएं कराने की तैयारी- कुलपति डॉ- रेणु जोशी
देवी अहिल्या विवि की कुलपति डॉ रेणु जोशी ने चर्चा में कहा फस्ट और सेकंड इयर की परीक्षाओं को लेकर उच्च शिक्षा विभाग से निर्देश का इंतजार है। पीजी और यूजी की परीक्षाएं जुलाई में कराने की तैयारी है।तब तक लोक परिवहन की स्थिति भी सामान्य हो जाएगी।छात्र यदि ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं जो कंटोनमेंट वाला इलाका है या छात्र अस्वस्थ हैं तो उन्हें सप्लीमेंट्री वाले छात्रों के साथ परीक्षा देने की सुविधा देंगे पर इसके लिए उन्हें क्षेत्र के किसी सक्षम अधिकारी का लिखा सत्यापन पत्र अनिवार्य रूप से देना होगा।
संभागायुक्त डॉ पवन शर्मा ने चर्चा में कहा मैंने हाल ही में ज्वाइन किया है। देअविवि की परीक्षाओं के संबंध में कुलपति से चर्चा के बाद ही कुछ कह सकूंगा। वैसे भी यह सिर्फ इसी विवि का मामला नहीं है, शासन स्तर पर ही निर्णय होगा।
–दिसंबर तक शैक्षणिक संस्थान बंद कर दें,सत्र जनवरी से शुरु करने का नियम बने-डॉ छापरवाल
देअविवि के पूर्व कुलपति डॉ भरत छापरवाल तो इस सत्र में परीक्षाएं आयोजित करने को ही उचित नहीं मानते।उनका कहना था कोरोना गया नहीं है,अगले महीनों में पीक पर आ सकता है।छात्रों के जीवन से खिलवाड़ ही होगा परीक्षाएं आयोजित करना।शैक्षणिक संस्थान दिसंबर तक बंद करना चाहिए। फस्ट-सेकंड इसर के छात्रों का मूल्यांकन तो संस्थान को पताही होता है उनकी मार्कशीट पर जनरल प्रमोशन लिखने की अपेक्षा सीधे अगली कक्षा की पात्रता दें। शासन जुलाई से सत्र प्रारंभ करने के नियम में संशोधन कर जनवरी से शैक्षिक सत्र प्रारंभ करने की व्यवस्था लागू करे। फायनेंशियल ईयर जनवरी से लागू किया जा सकता है तो शैक्षिक सत्र क्यों नहीं।वैसे भी जुलाई से सत्र प्रारंभ होने के बाद मानसून के दो माह फिर दशहरा, दीपावली, क्रिसमस आदि के कारण अवकाश की स्थिति ज्यादा रहती है, पढ़ाई हो नहीं पाती।
–परीक्षाओं आगे बढाई जाएं, छात्रों की समस्या सरकार को भी बताई है-रणदिवे
भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से भी इन दिनों विभिन्न कॉलेजों के छात्र मिल रहे और परीक्षा संबंधी परेशानी बता रहे हैं।उन्होंने कहा मैं छात्रों की इस बातसे सहमत हूं कि परीक्षाएं आगे बढ़ा दी जाएं। शासन स्तर पर उचित जगह पर मेरी चर्चा भी हुई है। छात्रों के हित में ही निर्णय होगा।परीक्षा तीन महीने आगे बढ़ जाएं यह ठीक रहेगा।जनरल प्रमोशन को लेकर अधिकांश छात्र इसलिए भी सहमत नहीं हैं कि मार्कशीट में भी यह लिखा जाएगा, ऐसा होने पर पीएससी, यूपीएससी की परीक्षाओं में शामिल होने में छात्रों को परेशानी आएगी।
–छात्र, प्रशासन और शासन हित में होगा सरकार कमेटी बनाए, परीक्षा आगे बढ़ाए-डॉ रमेश मंगल
वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ रमेश मंगल ने कहा कोरोना की स्थिति अगले महीनों में विस्फोटक रूप ले सकती है। छात्रों-प्रशासन और विवि के हित में होगा कि इंदौर सहित प्रदेश के सभी विवि में परीक्षाएं आगे बढ़ा दी जाए।इसके लिए समान गाइडलाईन तय करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग को कमेटी गठित कर उसके सुझाव लागू करना चाहिए।अगले महीने परीक्षाएं आयोजित की भी गईं तो अन्य शहरों-गांवों में रहने वाले छात्र कैसे आएंगे, आभी गए तो रहेंगे कहा।इन जमीनी परेशानियों को समझाना कुलपतियों का काम है न कि परीक्षा आयोजित करने के लिए अड़े रहना।
–होस्टल संचालक सहयोग करें जरूरी नहीं….
देअविवि से सम्बद्ध विभिन्न कॉलेजों के हजारों स्टूडेंट शहर के होस्टलों-पीजी रहकर पढ़ाई कर रहे थे।कोरोना महामारी के बाद प्रशासन ने होस्टल खाली करने के निर्देश के साथ ही जो छात्र मजबूरी में यहां फंसे हुए थे उनके भोजन की व्यवस्था और किराया नहीं लेने का दबाव होस्टल संचालकों पर डाला था।अब यदि बाहर सेछात्र परीक्षा देने इंदौर आभी जाएं तो जरूरी नहीं कि उक्त होस्टल संचालक उन्हें सहयोग करें ही।तीन महीने का किराया नहीं मिलना और अब होस्टलों में भी सोशल डिस्टेंसिंग गाइडलाइन मुताबिक व्यवस्था करने जैसी अनिवार्यता के चलते होस्टल संचालक किराए में वृद्धि का मन बना चुके हैं, जो छात्रों के लिए भी आर्थिक दबाव का कारण बनेगा।