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इंदौर – उज्जैन के मिजाज को जानने वाले मनीष सिंह की चली तबादला आदेश में

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]

 

मध्यप्रदेश। कांग्रेस सरकार में कथित लापरवाही के कारण तत्कालीन मुख्य सचिव एसआर मोहंती के गुस्से का शिकार हुए मनीष सिंह की दबंग कार्यशैली का सत्ता संभालते ही भाजपा ने सम्मान किया। शिवराज सिंह ने सत्ता संभाली और सीएस की कुर्सी पर इकबाल सिंह के बैठते ही इंदौर में कोरोना की गति पर काबू के लिए मनीष सिंह को ही उपयुक्त समझा गया।

उज्जैन कलेक्टर शशांक मिश्रा की तरह लोकेश जाटव भी इंदौर में कोरोना पर काबू नहीं कर पाने की ढिलाई का शिकार हुए थे। इंदौर में ही उन्हें (शाहरुख खान की तरह) पोनी टेल (चोटी बढ़ाने) का शौक लगा, पोनी टेल जितनी फिक्र इंदौर में तेजी से पैर पसारते कोरोना की रोकथाम को लेकर की होती तो कुछ दिन भले ही रुक जाते लेकिन इंदौर के लिए मनीष सिंह का हीआदेश होता।

सीएस कार्यालय से पहला सिंगल आर्डर मनीष सिंह को इंदौर पदस्थ किए जाने का हुआ था। इंदौर के लोग तो यह मान कर खुश थे कि यह शहर मनीष सिंह का देखाभाला है इसलिए सरकार ने उन्हें और डीआयजी एचएन मिश्रा चारी को यहां भेजकर सही निर्णय लिया है।लेकिन आयएएस लॉबी को भी समझ आ गया था कि मुख्य सचिव और सीएम हाउस के तापमान का पता कैसे लगाया जा सकता है।

आयएएस खेमे में शशांक मिश्रा को हटाने से अधिक चर्चा इंदौर के निगमायुक्त आशीष सिंह को उज्जैन की कमान और उनकी जगह प्रतिभा पाल को निगमायुक्त बनाए जाने को लेकर है। ठीक वैसे ही जैसे बमुश्किल एक सप्ताह इंदौर के छह थानों के एडीएम रहे विशाल सिंह चौहान को देवास नगर निगम आयुक्त पदस्थ किया जाना। इंदौर और उज्जैन को लेकर जारी हुए आदेशों को लेकर वल्लभ भवन में जो चर्चा है उसके मुताबिक इंदौर उज्जैन के राजनीतिक मिजाज से वाकिफ मनीष सिंह जिस अधिकारी को जहां चाहते थे सीएम हाउस से वैसी ही क्लीयरेंस दी गई।

आशीष सिंह ने जिस तरह शहर को सेनेटाइज करने, राशन सामग्री वितरण जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम देने के बाद सब्जी वितरण व्यवस्था को निरंतर बेहतर किया, रात-दिन भिड़े रहे उनकी ऐसी तमाम योग्यता पर कोई प्रश्न चिह्न नहीं लेकिन यह संयोग ही है कि जब मनीष सिंह नगर निगम से मुक्त हुए तो आशीष सिंह उनकी वर्किंग स्टाइल को जारी रखने वाले सही अधिकारी माने गए।

इंदौर से उज्जैन गए मनीष सिंह भले ही वहां महीनों तक भी नहीं रहे लेकिन कम समय में भी निगम आयुक्त सुश्री प्रतिभा पाल की सख्त मिजाजी वाली शैली दोनों अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय का आधार बन गई थी। अब जब आशीष सिंह को वहां कोरोना पर काबू पाने में मनीष सिंह की वर्किंग स्टाइल के साथ नियमित सलाह मददगार रहेगी वहीं श्योपुर कलेक्टर रही प्रतिभा पाल को नगर निगम आयुक्त पदस्थ करा कर एक तरह से नगर निगम पर भी उनकी अदृश्य पकड़ रहेगी।

इंदौर की कमान संभालने के बाद उनके अनुरोध पर शासन से जिन 12 अधिकारियों को इंदौर पदस्थ किया है, उनमें से कतिपय अति विश्वस्त अधिकारियों के लिए भी विभिन्न विभाग प्रमुखों के पद पर आदेश जारी होंगे, बस ये कोरोना पूरी तरह से नियंत्रण में आ जाए।

 

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