मप्र सीएम के गृह जिले में कोरोना महामारी में भी कमीशनबाजी
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]नितिन ठाकुर[/mkd_highlight]
मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में पाचों ब्लाक के ग्रामों में 80 स्व सहायता समूह की 178 महिलाएं द्वारा मार्क्स बनाए जा रहे है। मास्क बनवाने और खरीदने के बीच आजीविका मिशन के अफसरों द्वारा कमीशनबाजी चल रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 रूपए में महिलाओं और स्व सहायता समूह से मास्क खरीदने के आदेश दिए है लेकिन अफसर मास्क की बनवाई सिर्फ दो रूपए दे रहे है। अब सवाल यह कि आखिर शेष रूपए किस किस की जेब में जा रहा है। जिले में अब तक दो लाख मास्क बनवाए गए हैं।
जानकारी के अनुसार सीहोर जिले में आजीविका मिशन के तहत स्व सहायता समूहों को लाखों मास्क निर्माण का कार्य दिया गया। स्व सहायता समूहों मास्क खरीदकार प्रशासन स्वस्थ्यकर्मी,पुलिसकर्मी और मनरेगा के महम काम कर रहे मजदरों में वितरण करेगा। इस समय सीहोर जिले में 80 स्व सहायता समूह की 178 महिलाएं मास्क बनाने का कार्य कर रही है। इन स्व सहायता समूहों को पांचो विकासखंड में बनाए गए नोडल अधिकारी मास्क बनाने के लिए कपडा,धागा स्वंय उपलब्ध करवा रहे है। स्वंसहायता समूह सिर्फ मास्क बना कर दे रहे है। एक मास्क की बनवाई उन्हें एक से दो रूपए दी जा रही है,जबकि सरकार के आदेश के अनुसार मास्क निर्माण की संपूर्ण प्रकिया महिलाएं या स्व सहायता समूह स्वंय करेंगे। उन्हें एक मास्क की कीमत 11 रूपए देना निर्धारित किया गया है। इस मामले पर अधिकारी कहते है कि लॉकडाउन के दौरान महिलाएं कपडा खरीदने बाजार नहीं जा सकती है,उनकी परेशानी कम करने के लिए कपडा और धागा आजीविका मिशन उपलब्ध करवा रहा है। उनसे सिर्फ मास्क बनाए जा रहे है जिसका महनता उन्हें दिया जाता है।
— मास्क कुल लागत 5 रूपए,मजदूरी दो रूपए
आजीविका मिशन डीपीएम दिनेश बरखा के अनुसार एक मास्क की लागत पांच से छह रूपए आ रही है। चुकीं आजीविका मिशन कपडा और धागा खरीदकार स्व सहायता समूह की महिलाओं को दे रहा तो उन्हें मास्क की पूरी कीमत नहीं दी जा सकती है इसलिए मजदूरी के तौर पर दो रूपए प्रति मास्क दिए जा रहे है। अब सवाल यह कि एक मास्क की लगात जब पांच से छह रूपए तो मजदूरी सिर्फ दो रूपए क्यों? क्या मास्क से भी मुनाफा कमाया जा रहा है। जब मास्क 6 रूपए में तैयार हो रहा तो शेष पांच रूपए स्व सहायता समूह को मजदूरी क्यों नहीं दी जा रही है।
— बीच के पांच रूपए कहां …
एक मास्क 6 रूपए में बनकर तैयार हो जाता है तो 11 में पांच रूपए बचे। सरकार ने मास्क की कीमत 11 रूपए तय की है,तो जिला प्रशासन को इस निर्धारित से राशि शासन से मिल रही है तो बीच के पांच रूपए कहां जा रहे है। इस सवाल का जबाव किसी भी अधिकारी के पा नहीं है।
–स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कहा…
जिले के आल्हादाखेड़ी की उमा विश्कर्मा, मोगराराम के मजूलखन लाल और भाऊखेडी नजामा खा से चर्चा की तो बताया , समूह की महिलाओं को सिर्फ एक से दो रुपए प्रति मास्क मजदूरी दी जा रही है। यह सही है कि कपड़ा और धागा आजीविका मिशन दे रहा है। कुल समूह की संख्या 80 हैं 178 महिला मार्क्स बना रही हैं अब तक 2 लाख से अधिक मार्क्स बना दिए गए है।
–अधिकारियों ने यह बोला…
सीहोर में 80 समूह की 178 महिलाओं ने अभी तक दो लाख से अधिक मार्क्स से बनाएं। एक मास्क की लगात पांच से छह रूपए आ रही है। —( दिनेश बरखा डीपीएम सीहोर)
-जिला पंचायत सीईओ ने पल्ला झाडा
इस पूरे मामले की जानकारी आप आजीविका मिशन के अधिकारी से लीजिए वही बता पाएंगे और जानकारी उपलब्ध कराएंगे। — ( अरुणकुमार विश्कर्मा जिला पंचायत सीईओ सीहोर )