कोरोना काल में ऑनलाइन टीचिंग कितनी सफल…?
— ऑनलाइन टीचिंग के दौरान बच्चों का रखें ध्यान
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]शालिनी रस्तोगी[/mkd_highlight]
दूर शिक्षा, ऑनलाइन टीचिंग, डिस्टेंस लर्निंग यह सब वे टर्म्स हैं जिन्हें हम अक्सर विश्वविद्यालयी शिक्षा या उच्च शिक्षा के लिए सुना करते थे। धीरे-धीरे ट्यूशन और पाठ्य
विषय सामग्री बनाने वाली कंपनियों ने इस क्षेत्र में कदम रखा तो सबको लगा कि यह सब तो दिखावे के चोंचले हैं। अमीर घर के बच्चों का शगल है। इस तरह ऑन लाइन शिक्षा भी भला कभी विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षण पद्धति का पर्याय बन सकती है?
बात सही भी है, कक्षा में विद्यार्थियों के सामने खड़े होकर आमने-सामने संवाद करते हुए शिक्षण- अधिगम प्रक्रिया को किसी भी अन्य माध्यम से बदला नहीं जा सकता| परन्तु समय बदलते देर नहीं लगती, आज देखिए, यही ऑन लाइन शिक्षण पारंपरिक शिक्षण का पर्याय बनकर इस कोरोना काल में अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया को जारी रखने का माध्यम बना हुआ है। ऐसे में जहाँ एक और शिक्षण दिन-रात इस मशक्कत में जुटे हैं कि वे किस तरह की शिक्षण विषय- सामग्री तैयार करें ताकि बच्चों के मस्तिष्क तक वे उन बातों को पहुंचा सकें| वहीं बच्चों का भी अधिकतर समय लैपटॉप स्क्रीन के आगे बीत रहा है।
माता-पिता को एक ओर तसल्ली है कि बच्चा बेकार में समय बर्बाद नहीं कर रहा तो दूसरी तरफ स्क्रीन के आगे बैठे रहने से आँखों पर पड़ने वाले दुष्परिणामों की चिंता भी है। ऐसे में अभिभावकों के लिए कुछ आवश्यक बातें जिनका ध्यान उन्हें ऑन लाइन शिक्षण के दौरान रखना चाहिए।
सबसे पहला ध्यान बच्चे के पोश्चर अर्थात बैठने की मुद्रा पर ध्यान दें| कक्षा में तो बच्चों के पास सीधे बैठने के अतिरिक्त कोई अन्य रास्ता होता नहीं, परन्तु घर पर यह छूट मिलाने पर बच्चे मनमाने तरीके से लेटकर या गलत तरीके से बैठकर या अधलेटी मुद्रा में कक्षा अटेंड करते हैं। जिसका दुष्परिणाम न केवल उनकी आँखों पर बल्कि उनकी शारीरिक मुद्रा पर भी पड़ेगा।
ध्यान रखें कि बच्चे अपनी स्टडी टेबल पर बैठकर या किसी ऐसी कुर्सी मेज पर बैठकर पढ़ें । जिससे लैपटॉप की स्क्रीन उनके आँखे के समान स्तर पर रहे| बेड पर बैठकर पढने की अवस्था में किसी छोटी चौकी को बेड पर रखकर यह लेबल बनाए रखें। सबसे जरूरी है स्क्रीन से समुचित दूरी बनाए रखना।
प्रत्येक कक्षा के बाद कुछ देर का आराम दिया जाता है, उस समय बच्चे को हलकी-फुलकी स्ट्रेचिंग करने को कहें ताकि उनके उनके कन्धों और पीठ में दर्द या तनाव न हो| बच्चों को कक्षा से पूर्व ही अच्छी तरह नाश्ता करा दें| परन्तु बीच बीच में भी खाने के लिए फल वगैरह देते रहें।
अब सबसे ज़रूरी बात जिसका ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है| कक्षा के दौरान बच्चा एकाग्र होकर सुन रहा है अथवा नहीं, उसके पास कक्षा के अनुस्सर पुस्तकें रखी हों, वह समय समय पर नोट्स ले रहा है या नहीं, इन सब बातों पर अविभावकों को ही निगाह रखनी पड़ेगी। आज कल बच्चे बहुत स्मार्ट और टेक्निकली एडवांस हैं।
ध्यान रखें , की कहीं बच्चा लेक्चर को म्यूट करके साइड में विडियो गेम्स या साथियों के साथ चैटिंग में तो नहीं लगा है। बच्चों पर भरोसा करना अच्छा है पर समय- समय पर चेक करना भी आवश्यक है। इस समय पर जब सबके कार्य इन्टरनेट पर ही चल रहे हैं तब हैकर्स बहुत ज्यादा सक्रिय हो रहे हैं| और बच्चे उनके आसान शिकार होते हैं। अतः साइबर सेफ्टी के बारे में बच्चों को बताएँ।
उनसे इस विषय में खुलकर बात करें और सचेत रहने को कहें। अध्ययन के अतिरिक्त बच्चों को अनावश्यक रूप से स्क्रीन के आगे समय न बिताने दें। शारीरिक सक्रियता के लिए कुछ न कुछ योजनाएँ बनाते रहें। ऑनलाइन शिक्षा में जबतक माता-पिता और अविभावकों का सक्रिय योगदान नहीं होगा तबतक इसका फलीभूत होना मुश्किल है।
( लेखिका दिल्ली की साहित्यकार है )