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कोरोना संकट काल और लॉकडाउन के दौर में डिप्रेशन की मार

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]शालिनी रस्तोगी[/mkd_highlight]

 

 

 

लॉक डाउन में बंद ज़िन्दगी, ठप्प पड़े बिजनिस, अनिश्चितता का दौर, दाँव पर भविष्य, अपनी और अपनों की जान का खतरा, सुरक्षा की चिंता – जानलेवा महामारी कोरोना ने हर तरफ डर और निराशा का वातावरण बना दिया है। जहाँ एक तरफ घर बैठा व्यापारी अपने व्यापार की चिंता में घुल रहा है वहीं कोरोना योद्धाओं के परिवार दिन-रात अपने घर के सदस्य की खैरियत की दुआएँ माँगते जी रहे हैं।

घरों में बंद ज़िन्दगी अनिश्चितता के अँधेरे में आशा की किरण दिखने के इंतज़ार में बेचैन हो रही है। कुल मिलाकर हर ओर डर, तनाव से घिरी ज़िन्दगी एक-एक कदम डिप्रेशन की तरफ बढ़ रही है। कोई अपना कहीं डिप्रेशन की अँधेरी गलियों में न गुम हो जाए अतः इस समय में अपने परिवार के सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना घर के हर सदस्य का फ़र्ज़ बन जाता है।

— डिप्रेशन या अवसाद है क्या?

बहुत सजगता के साथ किसी अपने के व्यवहार में आ रहे बदलावों का निरीक्षण करके समय रहते उन्हें अवसाद में डूबने से बचाया जा सकता है। तो सबसे पहले समझते हैं की डिप्रेशन या अवसाद है क्या और इसे किन लक्षणों द्वारा पहचाना जा सकता है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मन के भावों से  संबंधी दुख से होता है। अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है।  इस दौरान उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है। आम तौर पर उदासी हम सभी को होती है पर जब उदासी लंबे समय (दो हफ्ते या ज्यादा) तक चलती रहे और इसका असर रोजाना की जिंदगी पर पड़ने लगे तो यह डिप्रेशन बन
जाती है।

— डिप्रेशन के लक्षण

डिप्रेशन में गुमसुम रहना, किसी से बात न करना, बहुत ज्यादा खाना खाना या बिलकुल न खाना, बहुत सोना या बिलकुल न सोना, खुद को कोसते रहना या अपराधबोध से ग्रसित रहना, किसी काम में मन न लगना, सुस्ती और थकान का अनुभव होना , रोजाना के काम न करना सिरदर्द या बदन दर्द होना, वजन बहुत बढ़ जाना जैसे लक्षण दिखते हैं। डिप्रेशन के मरीजों में अक्सर एंग्जाइटी के लक्षण भी
नज़र आते हैं।

–डिप्रेशन होने पर क्या किया जाए

यदि घर का कोई सदस्य अत्यधिक उदासी में घिर रहा है, या शांत स्वभाव धीरे धीरे चिड़चिड़ा होता जा रहा है, या उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण उभरते दिखाई दे रहे हैं तो जान लीजिए कि सजग होने का समय है। ऐसे में अपने परिवार के उस सदस्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उसे इस अवस्था से बाहर लाने के लिए परिवार को मिलजुल कर प्रयत्न करने होंगे। यदि आप परिवार के ऐसे सदस्य को अधिक समय तक अकेला न छोड़ें। भरपूर नींद आवश्यक है, पर आवश्यकता से अधिक नींद चिंता की बात है। भरपूर आराम का मौका तो दें पर ध्यान रखें कि यह आराम कहीं अवसाद की और तो नहीं जा रहा है। ऐसे में किसी न किसी काम में व्यस्त करके उनके ध्यान को डिप्रेशन के विषय से दूर ले जाने की कोशिश करें।

— कोरोना संकट काल और लॉकडाउन में साथ बनाए रखें…

घर के सदस्यों से अच्छा मन की बात को समझने वाला कोई नहीं हो सकता। बातचीत मन के दरवाजों को खोलने की चाबी है। अतः आपसी बातचीत द्वारा यह विश्वास पैदा किया जाए कि प्रत्येक परिस्थिति में आप सब साथ हैं। आर्थिक संकट तो सारे विश्व के लिए है आज नहीं तो कल, मनुष्य इस पर विजय पा ही लेगा। हर हालत में साथ होने का विश्वास निराशा में डूब रहे व्यक्ति को उबार ही लेगा। रही डर की बात तो सावधानी तो बहुत ज़रूरी है पर अनावश्यक डर से निकलने के लिए भरोसा दिलाएँ कि आप सब पूरी सजगता से कोरोना से बचने के लिए दिए जाने वाले सुरक्षा निर्देशों का पालन कर रहे हैं। और शक्तिशाली मन और रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ इससे लड़ा और जीता जा सकता है।

— सारा दिन समाचार देखने से बचे ,कुछ नया करें

माना कि देश और विश्व की घटनाओं के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है, वैसे भी रेत में सिर छिपाकर आने वाले तूफ़ान से तो नहीं बचा जा सकता, परन्तु हर समय कोरोना के विषय में बातचीत, सारा दिन समाचार देखते रहना, या अफवाहों को पढ़कर सिवा बेचैनी, निराशा और हताशा के कुछ और हाथ नहीं लगने वाला। ऐसे में कुछ गुदगुदाने, कुछ हँसाने वाली यादों को दोहराकर, कुछ चुटकुलों, कुछ मजेदार किस्सों को सुनाकर महौल को हल्का-फुल्का रखने का प्रयास करें। इस समय ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण जब ज्यादातर काम स्क्रीन पर चल रहा है, तो ख़ाली समय में भी मोबाईल और लैपटॉप स्क्रीन के सामने क्यों बैठना। कभी कुकिंग, कभी कोई हॉबी, कभी इन-डोर गेम्स खेलकर परिवार के सदस्यों को डिप्रेशन से दूर रखा जा सकता है।

— ख़ाली मन शैतान का घर

कहते हैं न कि ख़ाली मन शैतान का घर, तो डिप्रेशन रूपी शैतान मन में न घुसे इसके लिए दिनचर्या को व्यस्त बनाएँ। और उत्तम स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखें| घर के सदस्यों द्वारा सामूहिक योगाभ्यास या कोई और कसरत स्वस्थ रखने के साथ-साथ आपसी जुड़ाव को भी मजबूत करेगी। यदि आप ढाल बन कर सामने डट जाएँ तो क्या मजाल कि डिप्रेशन आपके किसी परिवार जन पर वार कर पाए। तो एक दूसरे का हाथ थामिए और एक दूसरे को यकीन दिलाते रहिए कि इस कठिन दौर से हम सब सकुशल बाहर आएँगे।

 

 

 

 ( लेखिका दिल्ली की साहित्यकार है ) 

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