कोरोना में आयुष रिसर्च और क्लीनिकल ट्रायल को मान्यता, नोटिफिकेशन जारी
कोविड – 19 कोरोना वैश्विक महामारी के बढ़ते चरण व कोई निश्चित अनुमोदित उपचार न होने के कारण अब आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी व होम्योपैथी- आयुष मैनेजमेंट के साथ ही क्लीनिकली ट्रायल की अनुमति केंद्र सरकार ने दे दी है। भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी पीएन रंजीत कुमार के हस्ताक्षर से मंगलवार 21 अप्रैल को केंद्रीय गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है ।
क्लीनिकल ट्रायल की सफलता के बाद प्रमाणिक आयुष दवाओं से इलाज भी हो सकेगा।
विगत तीन माह से आयुष मेडिकल एसोसिएशन, आयुर्वेद महासम्मेलन, आयुर्वेद पीजी एसोसिएशन, मध्यप्रदेश आयुर्वेद सम्मेलन, नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन, मध्यप्रदेश निजी आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षक कल्याण संघ के साथ -साथ देशभर के विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय आयुष मंत्रालय को इसके लिए पत्र लिखे थे।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन व आयुर्वेद सम्मेलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने बताया कि जारी नोटिफिकेशन के अनुसार आईएमसीसी एक्ट 1970, एचसीसी एक्ट 1973 व एनएमसी एक्ट 2019 के तहत पंजीकृत आयुष डॉक्टर्स प्रयोगशाला अनुसंधान – शोध भी कर सकते हैं, बशर्ते क्लीनिकल ट्रायल सीटीआरआई के साथ पंजीकृत होना चाहिये । प्रपोजल साइंटिफिक एडवाजरी बॉडीज व इंस्टीट्यूशनल इथिक्स कमेटीज से एप्रूव होना चाहिये । डॉ पाण्डेय ने बताया कि किसी भी तरह का अनुसंधान व क्लीनिकल ट्रायल व इस प्रकार के रिसर्च में पंजीकृत आयुष डॉक्टर्स टीम का हिस्सा होंगे।
–आयुष डॉक्टर्स का उत्तरदायित्व बढ़ा
केंद्र द्वारा रिसर्च व क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति के बाद कोविड – 19 के नियंत्रण – रोकथाम में प्रमाणिक आयुष औषधियों द्वारा सुखद परिणाम सामने होंगे। देशभर के 715 आयुष मेडिकल कॉलेजों व सैकडों फार्मास्युटिकल कंपनियों के साथ -साथ दस लाख से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स का उत्तरदायित्व बढ़ गया है । ( डॉ राकेश पाण्डेय,राष्ट्रीय प्रवक्ता,आयुष मेडिकल एसोसिएशन व आयुर्वेद सम्मेलन )