हार्ट के मरीज को नहीं मिला समय पर ईलाज, लापरवाही में जान गई
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]
मध्यप्रदेश। इंदौर के बियाबानी क्षेत्र में रहने वाले हार्ट पेशेंट को यदि समय पर इलाज मिल जाता तो जान बच सकती थी। अस्पताल में तैनात नोडल अधिकारी द्वारा ग्रीन की अपेक्षा येलो अस्पताल ले जाने के दबाव में दो घंटे तक उपचार नहीं मिल पाया। हार कर परिजन येलो कोड वाले मयूर अस्पताल ले गए वहां पृथक से आईसीयू वाली व्यवस्था कर इलाज शुरु कर ही रहे थे कि मरीज ने दम तोड़ दिया।
स्वतंत्रता सेनानी स्व नंद किशोर पुरोहित के पुत्र राघवेंद्र कुमार पुरोहित (राघव सर) की करीब एक साल पहले 54 नंबर स्कीम स्थित राजश्री अपोलो हॉस्पिटल में डॉ रोशन राव ने इंजोप्लास्टि की थी, अक्टूबर 19 में फिर दो स्टेंट डाले गए।
फरवरी 20 में बाथरुम में पैर फिसलने के बाद गिर गए, सिर में चोंट से रक्तस्त्राव, बैचेनी, खांसी के ठसके लगे तो परिजन हमेशा की तरह राजश्री अस्पताल ले गए।
19 अप्रैल की सुबह भी खांसी के साथ बैचेनी महसूस होने लगी तो बेटा निखिल उन्हें राजश्री अस्पताल ले गया। अस्पताल में तैनात नोडल अधिकारी ने राघवेंद्र पुरोहित को लगातार चल रही खांसी से मान लिया कि मरीज कोरोना संक्रमित है। निखिल ने हार्ट प्रॉब्लम में ऐसा ही होने के साथ साल भर से चल रहे इलाज की फाइल भी दिखाना चाही।
अस्पताल स्टॉफ ने भी परिजनों की बात का समर्थन किया लेकिन उनका कहना था ये ग्रीन कोड अस्पताल है यहां इलाज नहीं होगा। येलो कोड वाले मयूर हॉस्पटल ले जाना होगा। दो घंटे तक चली बहस के बाद मजबूरन परिजन उस अस्पताल ले गए।
मरीज के छोटे भाई लोकेश पुरोहित का कहना है मयूर अस्पताल वालों ने राघव को कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाने केलिए एक प्रायवेट वार्ड को अस्थायी आईसीयू बनाकर सारे इंतजाम कर दिए लेकिन वेंटिलेटर पर लेने से पूर्व ही सांस टूट गई। मयूर अस्पताल वालों से तो कोई शिकायत नहीं लेकिन राजश्री अपोलो अस्पताल में जो दो घंटे खराब हुए उस दौरान उपचार मिल जाता तो शायद जान बच जाती।क्या करते मयूर अस्पताल से सीधे पंचकुइया मोक्षधाम ले गए।