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मप्र आटा घोटाला : पत्थर उबालती रही एक मां रात भर…

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”] ए.के माथुर [/mkd_highlight]

 

 

 

पत्थर उबालती रही एक मां रात भर।
बच्चे फरेब खाकर चटाई पर सो गए।।

 

ख्यात प्राप्त साहित्यकार कैलाश गुरुस्वामी ने भूख की भयावह और मां की मजबूरी को कैलाश गुरुस्वामी ने अपने इस शेर में बयां कर दिया।
मां या पिता अपने बच्चों से फेरब उनकी जान बचने के लिए मजबूरी में करते है,लेकिन उन सरकारी या गैर सरकारी नुमाइदों की क्या मजबरी है जो भूखमारी का सामना कर रहे परिवारों को दस किलों आटे के स्थान पर आठ किलों सरकारी आटा थामा रहे हैं।

भारत में जारी लॉक डाउन के दौरान कई घरों में कई बच्चे इसी तरह भूखे सो रहे है। इन भूखे बच्चों कि आह भी बाहर तक सुनाई नहीं दे रही है। भूखे बच्चों तक सरकार और समाजसेवी खाना पहुंचाने के प्रयास कर रहे है। पर यह प्रयास नाकाफी है।

यह लॉक डाउन गरीबों के लिए ही मुसीबत बनता जा रहा है। शराब बेची जा रही है खरीदी जा रही है सारे संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है, यह आरोप नहीं है पुलिस के द्वारा की जा रही कार्यवाही में साफ सामने आ रहा है। पुलिस कहीं शराब पकड़ रही है कहीं कुछ और…। लेकिन गरीबों तक खाना नहीं पहुंच रहा है। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार ने गरीबों तक राशन पहुंचाने का निर्णय लिया..। लोगों को लगा कि चलो अब कुछ समास्या का हल होगा।

10 – 10 किलो की आटे की पैकेट बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचाई गई। बड़ी सार्थक पहल है, मगर वह अमीर नेता, अधिकारी जिनके कारण पूरा देश परेशान हो रहा है। वह अपनी करतूतों से बाज ना आए। चोर थे चोर ही रहे। चोरों ने गरीबों के लिए बनाए गए आटे के पैकेट में से भी 2 से 3 किलो तक आटा निकाल लिया। 10 किलो की आटे पैकेट में आठ या सात किलों ही आटा निकल रहा है।

जब यह करतूत सामने आई, तो खुद एक आईएएस अधिकारी ने पैकेट में 1 किलो तक आटा कम होने की बात स्वीकार कर ली। शासन प्रशासन अपनी चोरी स्वीकार तो कर चुका है, लेकिन क्या संकट की इस घड़ी में जब एक मुस्लिम महिला जिसने हज जाने के लिए रुपए एकत्रित किए थे वह दान कर दिए, दूसरी रिटायर शिक्षका ने अपनी पेंशन के राशि से जमा पैसा दान कर दिया। इस संकट में हर वर्ग का समाजसेवी सेवा में आगे है।

ऐसे में इन चोरों ने चोरी की है। कितना सामाजिक पतन हो चुका है इसका अंदाजा लगाया जा सकता था। कोई जरूरतमंद खाने के लिए तरस रहा हो, और उस जरूरतमंद से कोई संपन्न या यू कहे भरे पेट बेठा व्यक्ति निवाला छीन ले तो कितना गलत होगा। यह देशद्रोह नहीं है तो क्या है? कुछ भ्रष्टाचारी गरीबों के साथ फरेब कर रहे है, और दूसरी तरफ गरीब अपने घरों में कढ़ाई में पत्थर उबालकर बच्चों के साथ फरेब कर रहे है।

 

शर्म करो..।
एमपी गज़ब है सबसे अजब है।

 

 

  ( लेखक मप्र के पत्रकर  है  )

 

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