Madhy Pradesh

कोरोना काल में आवाज को पहचान बना दो, रूख पर नकाब लगा दो

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सरिका घारू[/mkd_highlight]

 

 

कोरोना वायरस के संक्रमण काल में आपकी आवाज ही आपकी पहचान बनें तो बहुत अच्छा है। रूख पर नकाब लगाए रखो तो अच्छा है। इसका सीधा अर्थ यह है कि कोरोना के संक्रामण से बचना है तो आपको चेहरे के आखों के नीचे वाले पूरे हिस्से को छुपाना ही होगा। इसके लिए आपको मास्क का उपयोग करना है। जरूरी नहीं कि आप बाजार में मिलने वाले मास्क लागाए आप गमझा,रूमाल,चुन्नी का भी उपयोग कर सकते हैं। सबसे अच्छा तो य​ह है कि आप घर में ही रहें बाहर न निकलें।

हमने कुछ प्रयोग किए जिसे आपको भी समझा रहे है। इस प्रयोग में हमने एक घरेलू स्प्रे मशीन में रंगीन पानी लेकर जब स्प्रे किया तो देखा कि एक, दो ,तीन फीट की दूरी पर रखे सफेद कागज रंग की बूंदो से रंगीन हो गये । जैसे जैसे दूरी बढ़ती गई कागज पर रंगीन बूंदे कम थीं। छह फीट की दूरी के बाद ये रंग की बौझार कागज तक नहीं पहुंची।

सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व बताने यह प्रयोग किया गया कि अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता,छींकता या बोलता है तो वायरस उसके डॉपलेट्स के साथ 4-5 फीट तक जा सकते हैं। हवा के बहाव और तापक्रम के अनुसार यह कम या अधिक हो सकते हैं।

अब यही प्रयोग स्प्रेमशीन की नोजल पर होममेड मास्क लगाकर किया गया तो देखा गया कि रंगीन पानी की बूंदे 2 फीट तक भी नहीं बढ़ पाई। इस तरह मास्क डॉपलेट्स के माध्यम से होने वाले संक्रमण के फैलाव को रोकता है।

वर्तमान परिस्थतियों में मेडिकल ग्रेड के मास्क की बड़ी मांग को देखते हुये परम्परागत रूप से उपयोग में आने वाले स्वच्छ गमझे, रूमाल, चुन्नी की तीन तह बनाकर उससे नाक, मुंह को ढंक कर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक सकते हैं। इन्हें कुछ घंटे बाद सावधानी से धोकर, धूप में या प्रेस से सुखाकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता हैं। होम डिलिवरी , दूध लेते समय, घर में बड़ी उम्र वालों से बात करते समय, आंगन , बालकनी में जाते समय या अनिवार्य कार्य के लिये बाहर जाते समय मास्क,गमझा, रूमाल, चुन्नी लगाया जाना उचित होगा।

–इन बातों का रखें ध्यान

कम उम्र के बच्चें या जिन्हे सांस लेने में तकलीफ सहित अन्य रोग हैं उन्हें घर पर अंदर ही रहना चाहिये।

बाहर से आने के बाद या अंदर ही कुछ घंटे के उपयोग के बाद मास्क, गमझा, रूमाल, चुन्नी को सावधानी से निकाल कर धोलें। इस दौरान हाथों को अपने चेहरे पर स्पर्श न करें। मास्क निकालने और धोने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं।

यह मास्क उन स्थानों के लिये एक रक्षा कवच कर तरह कार्य करते हैं जहां सोशल डिस्टेंसिंग का चाहते हुये भी पालन संभव नहीं हो पाता है। ये सर्जिकल मास्क की तुलना में 50 प्रतिशत और एन 95 की तुलना में 50 गुना कम रक्षा कवच देते हैं अतः इन्हें प्राथमिक सुरक्षा की दृष्टि से तो ठीक समझें लेकिन अतिआत्मविश्वास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करना आपकों संक्रामित कर सकता है,इसलिए मास्क लागाने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहेद जरूरी है।

–मास्क के तीन प्रमुख प्रकार

होममेड क्लाॅथ फेस मास्क- ये घर पर उपलब्ध किसी गमझे, रूमाल या नये कपड़े को सिलकर बना सकते हैं।

सर्जिकल मास्क- यह लूज फिटिंग डिस्पोजेबल मास्क होता है जो कि मुंह, नाक को कवर करता है। यह मोटी बूंदो को अंदर आने से रोक सकता है।

एन 95 रेस्पीरेटर – ये बहुत अधिक टाईट फिटिंग वाला फेस मास्क होता है। यह हवा में से 95 प्रतिशत सूक्ष्म जीवाणुओं एवं वायरस को अंदर आने से रोक देता है।

 

 

 (  लेखिका नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक है  )

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