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धनिया,जीरा,लहसुन,अदरक से भी आगे है आयुर्वेद : काष्ठ और रसौषधियों पर ट्रायल हो : डॉ पाण्डेय

 

मध्यप्रदेश। ( कोविड – 19 ) कोरोना संक्रमण वैश्विक महामारी के चलते लाखों लोगों का जीवन दांव पर है परंतु अभी तक निश्चित दवा या वैक्सीन का इजाद न होना चिंतन पर मजबूर करता है कि अब अगर धनिया, जीरा, लहसुन, अदरक से आगे आयुर्वेद से चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भावप्रकाश, अष्टांग हृदय के माध्यम से कुछ लेना है तो काष्ठ व रसौषधियों के साथ विभिन्न संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिये गंभीर रिसर्च व क्लीनिकल ट्रायल करना होगा -ऐसा कहना है मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एण्ड रिसर्च सेंटर भोपाल के प्रोफेसर व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय का । अब समय आ गया है कि राज्य व केंद्र सरकार भारतीय चिकित्सा पैथी को प्रमाणिकता के साथ प्राथमिकता दे क्योंकि हमेशा आधुनिक चिकित्सा पैथी के भरोसे नहीं रहा जा सकता है।

–चार हजार से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स की जान दांव पर

डॉ राकेश पाण्डेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता,आयुष मेडिकल एसोसिएशन ने बताया कि कोरोना संक्रमण के नियंत्रण व इलाज में प्रदेश के लगभग चार हजार से ज्यादा आयुर्वेद बीएएमएस, होम्योपैथी बीएचएमएस, यूनानी बीयूएमएस — आयुष डॉक्टर्स विभिन्न अस्पतालों में न सिर्फ सेवा दे रहे हैं बल्कि अब तक भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, बुरहानपुर, इंदौर के साथ -साथ पूरे प्रदेश के 45 लाख से ज्यादा लोगों तक* घर-घर जाकर आयुष औषधियां नि:शुल्क बांट रहे हैं पर ज्यादातर के पास न तो एन-95 या एन-99 मास्क हैं न ही पीपीई किट। इनकी जान दांव पर है। सरकार व प्रशासन शीघ्र ही संबंधित सुविधायें उपलब्ध करावे। हलॉकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी और इनकी टीम कोरोना नियंत्रण की कोशिश में है। सरकार विधिवत अन्य पैथियों के डॉक्टर्स की तर्ज पर समस्त अधिकार व सुविधायें देती है तो प्रदेश के बीस हजार से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स सेवा को तैयार हैं।

 

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