महावीर की करुणा को अपनाने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]परम पूज्य शाश्वत पूर्णाश्री जी महाराज साहब[/mkd_highlight]
आज से 527 ईसा पूर्व महावीर स्वामी का जन्म हुआ 30 वर्ष तक गृहस्था वास में रहने के बाद अपने एवं पृथ्वी पर रह रहे समस्त जीवो को आत्म कल्याण के मार्ग को खोजने महावीर ने स्वयं को खो दिया और वह खो गए उन्हें जंगलों में.., विषम घाटियों में उन जंगली पशुओं के मध्य और पाया करुणा का महान झरना हजारों वर्ष पूर्व उन वनस्पतियों को महावीर ने अपने तुल्य जाना और जगत को बताया वनस्पति सजीव है। केवल वनस्पति ही नहीं परंतु पानी, वायु, मिट्टी ,सबको स्वयं की तरह जाना और उनसे प्रेम करने का संदेश दिया । प्रकृति से प्रेम करना महावीर स्वामी हजारों वर्ष पहले सिखा गए थे, परंतु मानव ने अपने स्वार्थ पूर्ति की बेलगाम दौड़ में प्रकृति पर अत्याचार करना शुरू किया। जब इस प्रकृति की सहनशीलता की सीमा पार हो गई,तो आज का समय मानव सभ्यता को प्रकृति का प्रति उत्तर है महावीर ने ” सूक्ष्म अति सूक्ष्म” को सम्मान देने की बात कही थी,मानव महावीर स्वामी को तो याद करता रहा परंतु उनके दिखाए मार्ग को भूलता रहा । आज उसी सूक्ष्म ने मानव को अपने घरों में कैद करके रखा है। आज भटके हुए मानव को महावीर के उपदेश की आवश्यकता महावीर के समय से भी अधिक है। महावीर की करुणा का एकमात्र झरना इस भय और दुख के ताप से मुक्ति दिला सकता है,कोरोना से यदि मुक्ति चाहिए तो महावीर की करुणा को अपनाने के सिवाय और कोई दूसरा विकल्प मानव के पास नहीं है।