“दरिया दिल अम्मा” ने पेंशन की राशि से दिए एक लाख, इनका दान व्यर्थ न जाए घर में रहों…
( नरेश राज साहू )
मध्यप्रदेश। देश पर कोरोना संक्रामण के रूप में आए भयानक संकट में हर भारतीय एक साथ खडा हो गया है। इस समय सरकार को अर्थिक सहायता की अवश्कता है। जिससे जो हो सकमता है वो दान कर रहा है,लेकिन कुछ दानदाता ऐसे भी है जिन्होंने अपने भविष्य कर चिंता किया बैगर क्षमता से कहीं अधिक दान दिया। प्रदेश के विदिशा जिले विदिशा जिले की 82 वर्षीय श्रीमती सलभा उसकर ने अपनी पेंशन राशि से एक लाख रूपए का दान मुख्यमंत्री राहत कोष को दिया है। ध्यान रखना इनका दान व्यर्थ न जाए आपको हर हाल में घर में रहना ही होगा।
श्रीमती सलभा उसकर अरिहंत विहार कॉलोनी में 600 स्क्वायर फीट के मकान में रहती हैं, शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौर में खुद को घर में बंद करने के साथ इन्होंने जो किया, वह इतना प्रेरित कर देने वाला है कि उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल महसूस होता है.”दरिया दिल अम्मा” ने अपनी पेंशन में से ₹100000 का दान मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए दिया है. यह दरियादिली इतनी खामोशी से हुई कि अफसरों के हाथ में चेक पहुंचा तो वह भोचक्के के रह गए.
नोडल अधिकारी विनय प्रकाश सिंह को अखबार में नंबर देखकर उन्होंने कॉल किया कि वह कुछ दान करना चाहती हैं। विनय प्रकाश सिंह ने उन्हें घर पर रहने की सलाह देते हुए कहा कि वे किसी को भेजकर चैक कलेक्ट करवा लेंगे। जब उनके हाथ में चेक पहुंचा तो आंखें भीग उठी।। लफ़्ज़ों को लकवा मार गया। आभार शब्द इतना बौना था कि उसे लफ्जों में पिरोना मुश्किल था। अम्मा ने 10 -20 हजार रुपए नहीं, पूरे ₹100000 अपनी पेंशन की राशि में से दान किए, बिना फोटो सेशन, बिना प्रदर्शन और बगैर तामझाम के बेहद खामोशी से. मक़सद सिर्फ़..,संकट के समय में देश की और जरूरतमंदों की मदद हो।
दरअसल कोई देश इन जैसे संवेदनशील और ऊंची सोच वाले लोगों की बदौलत ही देश बनता है. सिर्फ ‘मानवों का समूह’ और संसाधन देश को परिभाषित नहीं करते; किसी राष्ट्र को ‘राष्ट्र’ बनाते हैं वहां रहने वाले लोग.
राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण, निष्ठा और त्याग….
उन्हीं में से एक हैं यह “दरिया दिल अम्मा”
इन्हें सलाम…
लाखों बार सलाम…
( लेखक विदिशा जिले के जाने माने पत्रकार है )