गलती पर गलती… कहाँ ले जाएगी…?
( शैलेश तिवारी )
30 जनवरी..इतिहास में अनेक घटनाएं हैं.. इस तारीख को याद रखने के लिए… ताजा संदर्भ में…. ये 2020 की 30 जनवरी है.. इसी दिन भारत के केरल प्रांत में… पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज पाया गया…। सरकारी तंत्र ने मामले में वह गंभीरता नहीं दिखाई.. जिसकी उम्मीद उसके नागरिक उससे करते हैं…। 12 फरवरी राहुल गांधी कोरोना को सुनामी करार देते हुए… उससे आगाह होने और जरूरी इंतज़ामात की बात करते हैं.. लेकिन बात को हवा में उड़ा दिया जाता है… तब जबकि चीन के वुहान में कोरोना की वजह से मौत का तांडव अपने चरम पर था…। उस समय यूएस के ट्रंप की अगवानी के लिए रेड कारपेट बिछाए जा रहे थे…. गरीबी को दीवार में चुनवाया जा रहा था… लाखों की भीड़ का इंतजाम… उन्हें साष्टांग दंडवत करने के.. लिए किया जा रहा था…।
दक्षिण कोरिया की तरह हम उस समय… जागरूक नहीं हुए… दिल्ली में दंगे ने अपना नंगा नाच भी नाच लिया…। हुक्मरान चुप रहे…। मार्च शुरू होता है… विश्व स्वास्थ्य संगठन(W H O) दुनिया भर के देशों से अपील करता है… पीपीई यानि पर्सनल प्रोटेक्शन इक्युपमेंट मतलब… मास्क, ग्लैबस्, एप्रिन, सेनेटाईजेशन आदि आदि के भंडारण किये जाने की..। भारत में निर्यात जारी रहता है…. 19 मार्च तक…। जबकि 12 मार्च को W H O कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित कर चुका था…। और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग…इन मूलभूत चीजों के बिना…अपना कर्तव्य निभाने को मजबूर हो गए…..19 मार्च की रात को ही… एक दिन के जनता कर्फ्यू का आव्हान किया जाता है… लगा कि कोरोना के खिलाफ जंग… सरकार की प्राथमिकता में आ गया… लेकिन 20 मार्च को… भारत सरकार का राजपत्र (गजट) फिर चौँका देता है.. बीस हजार करोड़ की लागत से राष्ट्रपति भवन सहित अन्य.. के रंग रोगन किए जाने के.. नोटिफिकेशन से..।
ताली, थाली, शंख, घड़ियाल.. आदि सबसे कोरोना के खिलाफ लड़ाई का… युद्ध घोष लगा… लेकिन जुलूस की शक्ल में ये बजाकर.. कुछ लोगो ने कर्फ्यू का भ्रम ही तोड़ दिया..। तब तक कोरोना के मामले तेजी पकड़ चुके थे…। 24 मार्च को रात आठ बजे देश के मुखिया फिर रूबरू होते हैं देश से…. देश बंदी का ऐलान हो जाता है….। एक दिन के जनता कर्फ्यू के लिए तीन दिन को मोहलत…. और इक्कीस दिन के लॉक डाउन के लिए… केवल साढ़े तीन घंटे…? जो जहाँ था.. वहीं के हो कर रह गया..। इस देश बंदी को लागू करते समय…. पंद्रह हजार करोड़ रुपये… चिकित्सा सुविधाओं के लिए… घोषित होते हैं…। इसी दिन वित्त मंत्री की प्रेस काँफ्रेंस थी… उसमे कुछ घोषणाओं की उम्मीद की किरण… जब बुझ गई.. तो रात आठ बजे से आस लग गई थी…।
केरल, दिल्ली और यूपी की सरकार की राहत भरी घोषणाओं जैसी… बड़ी और कोरोना संकट से निपटने वाली घोषणा की.. आशा केंद्र सरकार से की जा रही थी…. एक लाख सत्तर हजार करोड़ की राशि से जंग.. लडी जाने की घोषणा भी हुई…। इस घोषणा ने सरकारी तंत्र के झूठ से परिचय करा दिया… सरकार इससे पहले तक देश में तेइस फीसदी… लोगों को गरीब बता रही थी…. घोषणा में अस्सी करोड़ गरीबों का जिक्र था…. जो आबादी का साठ प्रतिशत होता है..? अजब और गजब के इस खेल में… यानि लॉक डाउन… जो जरूरी है.. महामारी से निपटने के लिए… लेकिन बिना तैयारी के..? बिल्कुल भी नहीं..। केंद्र ने रेल, हवाई जहाज, सड़क परिवहन… सब बंद किया… दिहाड़ी मजदूरों की तरफ गौर किए बिना…? प्रदेश की सरकारों से बात किए बिना…? उचित बजट का प्रावधान किए बिना..? स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किए बिना..?
शेष अगले अंक में…..पढते रहें…