ऐसा मत करो..मानवता को अपने दिल में जिंदा रखो
( वसीम उद्दीन )
कोरोना वायरस संक्रामण को लेकर देश में लाकडाउन है लेकिन इस लॉक डाउन में कई लोगों को अनेक प्रकार परेशानी का सामना भी करना पड रहा है, लेकिन इस महामारी से लडने के लिए कुछ परेशानियों को बर्दास्त करना भी जरूरी है। लेकिन कुछ लोगों में जागरूकता और जानकारी की कमी के चलते परेशान लोगों की सहयता करने की बजाए उन्हें भगाया जा रहा है। इसी तरह वक्या सीहोर जिले के अहमदपुर में हुआ।
कुछ मजदूर अहमदपुर से पैदल जा रहे थे, उन पर मेरी वसीम उद्दीन की नजर पडी, उनके चेहरे बता रहे थे कि परेशान और भूखें भी..। उनके पास जाकर उनसे बात की और पूछा कि कहां से कहा तक जा रहे है। मजदूरों में शामिल देवनारायण ने बताया कि वो सब मकसूदनगढ के पास ब्रिज की पुलिया पर चल रहे निर्माण कार्य में मजदूरी कर रहे थे लेकिन लॉकडाउन होने कसे काम बंद हो गया और रहने,खाने का इतजाम नहीं होने से अब वो पैदल सीहोर के अमलाह के भाड़ा खेड़ी गांव अपने घर जा रहे है। देवनारायण ने बताया कि हम मकसूदनगढ से 150 दूरी तय कर जैसे-तैसे भोजापुरा जोड़ पर आ पहुंचे,वहां सडक किनारे हेडपंप पर उन्होंने पानी पीकर प्यास बुछाना चाह तो वहां मौजूद ग्रामीणों ने उन्हें पानी नहीं पीने दिया और भागा दिया। उन्होंने अहमदपुर पहुंचकर पानी पीया है। देवनारायण की जुबानी मजदुरों की कहानी सुनकार मैं वसीम उद्दीन कुछ देर के लिए खामोश हो गया..लगा कि इंसान एक दूसरे इंसान के साथ ऐसा भी कर सकता है, वो भी इस सकंट में..। खैर,मुझे तो अपना फर्ज निभाना था तो उनकी सहायता के लिए कुछ लोगों को फोन लगाए तो कुछ ही देर में लोगों ने आकर भोजन का प्रबंधन किया। मजदूरों को भोजन,पानी, चाय पीलाकर मन संतुष्ट हुआ। अब उन्हें उनके घर तक पहुंचने का इंतजाम करना था। पुलिस को फोन लगाया गया..। थाना प्रभारी प्रभात सिंह गौड़ को पूरी कहानी बताई उन्होंने सहर्ष ही मजदूरों का घर तक पहुंचाने का इंतजाम करने का वादा कर लिया। उन्होंने कहा कि अगर मजदूरों को घर पहुंचाने का साधन नहीं मिला तो पुलिस का वाहन छोडकर आएगा। हलांकि इसी बीच कालापीपल के रहने राजेश पेट्रोल डीजल का टैंकर लेकर अहमदपुर से जा रहे थे उनकों रोकर मतदूरों की परेशानी बताई। उन्होंने कहा वो दोराहा जोड तक छोड देंगे। पुलिस की नगरानी में मजदुरों को दोराहा जोड तक छोडा गया। उनके गांव से उनको लेने के लिए वाहन का प्रबंधन कर भेजा गया। मजदूर सही सलामत अपने घर पहुंच गए। लेकिन पीछे जो रहा गया मन वो यह कि इस महामारी में जब इंसान को सिर्फ इंसान बनकर एक दूसरे की सहायता करने जरूरत है तब भी लोग इस तरह का व्यवहार कर रहे। बिमारी की जानकारी न होना भी इसके पीछे की बडी वजह हो सकती है।
-सावधानी जरूर रखें..घर में रहें
कई इलाकों में अब भी लोग लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे है। लॉकडाउन का पालन जिनी सख्ती से किया जाएगा उतीन जल्दी इस महामारी से छुटकारा मिलेंगा। परिवार सहित घर में रहे और कई बार साबून से हाथ धोएं, घर में साफ सफाई रखें,बात करते वक्त तीन फीट की दूरी बनाकर रखें। बहुत जरूरी न तो किसी से न मिले, गरम पानी में नमक मिलाकर सब्जियों को धोएं,बाहर से पैकेट में लाए गए समान को घर के बाहर ही साबून के पानी से अच्छी तरह धोएं। मास्क लगाकर रखें।