सफलता पर मेरा हक है….
( मनीषा शाह )
वर्तमान परिस्थिति उन सब हतोत्साहित लोगों के लिए एक सीख है, जो विफलताओं को तो स्वयं ही सहते और छुपाते हैं पर अपनी सफलताओं के लिए अपने आप को दूसरों की प्रशंसा का मोहताज बना लेते हैं । अतः उसे बहुत बोना कर देतें है। क्या यह जानना आवश्यक नहीं होगा कि इसके पीछे ऐसी कौन सी मजबूरी होती हैं ? आजकल एक नई प्रवृत्ति लोगों के अंदर घर कर गई है जिससे वह ऐसी मानसिकता का गुलाम हो गए है जो उसके डीएनए का हिस्सा बन चुकी है जिस सफलता को पाने के लिए वह दिन -रात मेहनत करता है अपना सुख चैन नींद सब होम कर देता है पर चंद चाटुकारों की तारीफ का मोहताज होते दिखाई पड़ता है इसका उदाहरण आप हर कहीं देख सकते हैं, चाहे वह सामाजिक, प्रशासनिक, व्यक्तिगत या राजनीतिक परिवेश हो, सबसे ताजा उदाहरण आप स्वयं देख पा रहे होंगे वैश्विक परिवेश में वर्तमान में जो महामारी करोना वायरस के रूप में उभर कर आई है इस समय बीमारी के चलते ही तीन तरह की मानसिकता भी उभर कर सामने आई है, तीन कदम अलग-अलग शख्सियतों द्वारा इस महामारी के संबंध में पहला उदाहरण भारतवर्ष की सबसे प्राचीन राजनीतिक पार्टी जिसकी स्थापना को 135 वर्ष हो चुके हैं के वर्तमान वारीश कई महीनों से सोशल मीडिया पर ट्विटर के माध्यम से चेता रहे थे, पर इस पहल की आम जनता तक कोई पहुंच नहीं बन पाई, और ना ही अपनी बात में इतना वजन बना पाए कि सत्तारूढ़ पार्टी को सुनने के लिए मजबूर होना पड़े
” it is called as detective measure”
दूसरा उदाहरण आपके सामने उस शख्सियत का जो वर्तमान में देश को चला रहे हैं उन्होंने दूसरों से प्रभावित होकर 21 मार्च का दिन संचार माध्यमों का उपयोग करते हुए जो कदम उठाने की घोषणा की जिससे स्थिति और विकराल ना हो
It is called as “corrective measures ”
तीसरा उदाहरण हमारे सामने हैं…
एक ऐसे राजनेता का जो IITian है और indian revenue service मैं कार्यरत थे,राजनीतिक क्षेत्र में अपनी पुरानी विफलताओं से सबक लेते हुए अब क्या कदम उठाए जाने चाहिए ना केवल ठोस कदम उठाएं उसे आम जनता तक कैसे संप्रेषित किया जाए उसकी भी नजीर पेश की।
“”It is called as combination of corrective,detective and prevention measures “””
प्रसिद्ध वैज्ञानिक Albert Einstein ने सही कहा है,
Learn from yesterday ,live for today and hope for tomorrow.
Concluding with: Rather cursing on your failures ,redefine your success and rejuvenate yourself as you own your circumstances and conditions you faced passing through path of success or failure.
( लेखिका एमटेक डिग्री प्राप्त इंजीनियर है )