डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा : निजी दौरे की व्यवसायिक डील…
( शैलेश तिवारी )
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा को लेकर जब भारत अपनी “अतिथि देवो भव्” की परंपरा को स्मरणीय बनाने में जी जान से जुटा हुआ था, ठीक उसी समय ट्रंप ने कहा भारत ने हमारे साथ ठीक व्यवहार नहीं किया है। इसके मायने राजनैतिक विश्लेषक, विदेशी नीति के जानकारों, अर्थ नीति के विशेषज्ञों ने अपनी अपनी तरह से निकाल कर ट्रंप – मोदी की दोस्ती के कई मायने सामने रख दिए।
इसके बाद आई 25 फरवरी की वो सुबह जब उनकी निजी यात्रा पर देश के करदाताओं के करीब सौ करोड़ रुपये पानी की तरह ट्रंप के स्वागत में बिछा दिए गए…। ये भी देश के इतिहास में पहली बार हुआ लेकिन पूछने वाले “देश द्रोही” घोषित किए जाने के डर से खामोश रहे। उनकी भारत यात्रा का इंतजार केशर की क्यारी वाले उस हिस्से को भी था जो डर के बीच उम्मीद की किरण देख रहे थे। लेकिन ट्रंप की नज़रें इस यात्रा में उन पर नहीं वरन उन 45 लाख भारतीय वोटरों पर जमीं रहीं… जो आने वाले नवंबर में उन्हें एक बार फिर दुनियाँ की… सबसे शक्तिशाली कुर्सी पर आसीन कराने में… सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इसीलिए उन्होंने प्रधानमंत्री के चाय बेचने वाले से शुरू हुए सफर की कहानी को दुनियाँ के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्ति की प्रशंसा तक ले जाकर छोड़ा…। विवेकानंद से लेकर विराट कोहली तक उन तमाम नामचीन और सफल व्यक्तित्वों का जिक्र किया जाना यह दर्शाता है कि उन्हें प्रसिद्ध भारतीय व्यक्ति ही चुनावी सीढ़ी का काम दे सकते हैं। बातों ही बातों में अमरीका के महामहिम अपने देश के पूंजी प्यार को नहीं भूले और उन्होंने तीन अरब डालर के रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिए जाने की घोषणा कर दी…। ऐसा करके ट्रंप ने अपने देश की जनता को यह संदेश दे दिया कि यात्रा चाहे निजी हो लेकिन मेरे लिए मेरे देश के हित सर्वोपरि हैं…। यानि आगामी चुनाव में देश का व्यापार और पूंजी बढ़ाने के लिए वोट ट्रंप को ही दें…। दुनियाँ के ताकतवर देश का मुखिया साबरमति के आश्रम में दोस्ती का चरखा चप्पा चप्पा चलाते हुए…. व्यापार का सूत कात लिया…।
अब सवाल यह उठता है कि भारत के पल्ले क्या आया….? रक्षा सौदे के तहत सामरिक महत्व के मिलने वाले सामान आया। इसके अलावा अगर गौर किया जाए तो हमने दीवार की आढ़ में छिपाई अपनी तंगहाली, मुफ्लिसि और नारकीय जीवन जी रहे लोगों के झोंपड़े…। काश इनकी मजबूरी ही दूर कर देते। नमस्ते ट्रंप का यह कारवां वाया आगरा होते हुए दिल्ली पहुंचा..।
पूरे दौरे का लब्बो लुआब यही निकलता है कि 45 लाख भारतीय वोटर को रिझाने की इस यात्रा में ट्रंप अपने मिशन में कामयाब कहे जा सकते हैं…. असफल मोदी भी नहीं हैं लेकिन जो घाटा भविष्य में भारत को उठाना पड़ सकता है.. तो वह यह हो सकता है कि अगर आने वाले चुनाव में ट्रंप को हार का सामना करना पड़ गया, तब यूएसए के नए राष्ट्राध्यक्ष की नज़र से भारत कि तरह का दिखेगा। या वो भारत के साथ कैसा व्यवहार करेंगे। अथवा भारत और यूएसए की रिश्तों की कौन सी परिभाषा गढ़ी जाएगी.. ? खैर अभी तो नमस्ते ट्रंप… U+M= दोस्ती का हाथ…. थामें रखना..। चाहे कितनी ही सूची से भारत को बाहर कर देना…।