शिवराज सिंह को मिर्जा गालिब तो याद रहे मगर बशीर बद्र को भूल गए
( राखी नंदवानी )
मध्यप्रदेश। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान से कम ही चूक होती है लेकिन इस बार वो बडी चूक कर गए,उन्होंने उप्र के अगरा में पैदा हुए शायर मिर्जा गालिब ( मिर्जा असदुल्लाह बेग खान ) को तो याद किया लेकिन मप्र में जन्म लेने और रहने वाले डॉ. बशीर बद्र ( सैयद मोहम्मद बशीर )को भूल गए। हलांकि मप्र सरकार भी उन्हें याद करना भूल गई। उनके जन्मदिन पर उनको मुबारकबाद देने वालों में इक्का दुक्का ही शामिल रहे।
15 फरवरी को शायर मिर्जा गालिब ( मिर्जा असदुल्लाह बेग खान) की बरसी थी,उनकी बरसी पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्विट कर मिर्जा गालिब की बरसी पर उन्हें याद कर श्रद्वा सुमन अर्पित किए। इसी दिन 15 फरवरी को मप्र के भोपाल में रहने वाले पद्यश्री से सम्मानित शायर बशीर बद्र ( सैयद मोहम्मद बशीर) का जन्मदिन था लेकिन शिवराज सिंह ने बशीर साहब को मुबारकबाद नहीं दी,इससे साफ समझ आत है कि शिवराज सिंह चौहान को मिर्जा गालिब तो याद रहे लेकिन बशीर बद्र को वो भूल गए।
-सरकार ने भी उन्हें याद नहीं किया
दुनिया भर में मप्र का नाम रोशन करने वाले शायर बशीर बद्र ( सैयद मोहम्मद बशीर ) को प्रदेश सरकार ने भी याद नहीं किया। किसी नेता ने उनके जन्मदिन पर मुबारकबाद नहीं दी। साहित्यकार भी उन्हें काफी हद तक भूल ही गए। बशीर बद्र को उनके जन्मदिन पर याद करने वालों की संख्या बहुत कम रही।
— कौन सैयद मोहम्मद बशीर
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए।
इस तरह न जाने कितने ही शेर लिखने वाले शायर ( सैयद मोहम्मद बशीर ) बशीर बद्र उतर प्रदेश के कानपुर में 15 फरवरी 1935 को पैदा हुए। बशीर बद्र ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की। साहित्य और नाटक अकादमी में किए गए योगदानों के लिए उन्हें 1999 में पद्मश्री और उर्दू के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। उनकी कविताएं और शेर अंग्रेजी और फ्रेंच में भी अनुवाद किए गए हैं। मेरठ दंगे के बाद से डॉ. बशीर बद्र साहब भोपाल में रहने लगे तब से वह भोपाल में ही रहते है। 84 बरस के डॉ. बशीर बद्र साहब की तबीयत इन दिनों ठीक नहीं रहती उनकी याददश्त भी आती जाती रहती है।