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क्या बीजेपी के लिए मौका है कमलनाथ और सिंधिया की टकरार?

( दीपक भार्गव )

 

मध्यप्रदेश। प्रदेश की कांग्रेस सरकार वाकई कुछ ठीक नहीं चल रहा है। शुक्रवार से शनिवार तक हुए घटनाक्रम ने सबित कर दिया है कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच टकरार बढ गई और अब बात आर पार तक जा पहुंची है। क्या कमलनाथ और सिंधिया के बीच टकरार से बीजेपी के लिए मौका बना है? अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उस कदम को उठा लिया जो बीजेपी चाहती है तो फिर मप्र के कांग्रेस सरकार मुसीबत में आ सकती है। अब बीजेपी पर निर्भर है कि वो हाथ आए इस मौके को ​किस तरह सफलता में बदल पाती है।

विधानसभा चुनाव 2018 से पहले कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच काफी अच्छा तालमेल दिखाई देता था। जहां कमलनाथ ने सिंधिया को युवाओं का चहरा बताकर आगे किया था। प्रदेश में सिंधिया की कई सभाएं की गई। युवाओ को उनकी ओर मोडा गया। सिंधिया ने भी कमलनाथ का भरपूर साथ दिया। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस की सरकार बन गई। जैसे मुख्यमंत्री बनने के लिए दौड शुरू हुई सिंधिया और कमलनाथ के बीच तल्खी शुरू हो गई इसी बीच दिग्विजय सिंह की तरफ से भी कमलनाथ का नाम सीएम पद के लिए ठीक बताया और कमलनाथ सीएम बन भी गए। बीते एक साल में कई बार सिंधिया और कमलनाथ,दिग्विजय सिंह के बीच अनेक मामलों में बहस की खबरें आती रही। सिंधिया कैंप ने तो दिग्विजय सिंह के खिलाफ मौर्चा खोलने वाले मंत्री उमंग सिंगार का काफी हवा दी। इससे भी कमलनाथ और सिंधिया के बीच की दूरी बढ गई। जब बात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाने की आई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम फिर से सामने आने लगा,प्रदेश के कई नेताओं ने सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग की। यहां तक की कांग्रेस कार्यालय पर पोस्टर वॉर भी शुरू ​हो गई थी। लेकिन एक बार फिर से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोडी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के सपने को पूरा नहीं दिया और प्रदेश अध्यक्ष का पद भी कमलनाथ के पास ही रहेगा ऐसा दिल्ली आलाकमान को कहना पडा। उस समय भी ज्योतिरादित्य सिंधिया मन मसोस के रह गए। कुछ दिनों से ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर से ताकत के साथ प्रदेश में सक्रिय हुए है। उनके स्वागत और रैलियों की तस्वीरें बता रही है कि वो किस योजना के साथ काम कर रहे है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि अतिथि विद्वनों को सरकार नियमित करें नहीं तो अंदोलनकारियों के साथ उन्हें भी सडक पर उतारना होगा। उनके इस बयान ने सरकार को परेशानी में डाल दिया। शनिवार को हुई अनुशासन समिति की बैठक से ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक बाहर निकल आए तो कायास लगाए जाने लगे कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बहसबाजी हुई है और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुस्से में बैठक छोडकर बाहर निकल गए है। बाद कमलनाथ का यह कहना कि ज्योर्तिदित्य सिंधिया को सडक पर उतरना है तो उतार जाएं ने आग में घी का काम किया। सुत्र बताते है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने सलाहकारों के साथ बैठक भी की है। हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में इसका असर भी देखने को मिलेगा।

-बीजेपी चलेगी अपनी चाल?

ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच चल रही लडाई का बीजेपी किस तरह फायदा उठाएगी। बीजेपी क्या अपनी चाल चलेगी? इस पर अभी बीजेपी के किसी भी नेता ने कुछ कहा नही। लेकिन कांग्रेस में हो रहे घटनाक्रम पर बीजेपी के आला नेताओं की नजर है। बीजेपी बीतें एक साल से कांग्रेस सरकार को गिराने की बात कर चुकीं है लेकिन उसका दांव नहीं लगा है अब बीजेपी के लिए मौका जब वह अपना दांव लगा सकती है। बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी को इतना बढा दे कि वह अपने विधायकों को पाला बदलने का आदेश जारी कर दें तो फिर कांग्रेस सरकार घुटनों पर आ जाएगी,पर अभी यह कल्पना मात्र है । ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को नहीं छोडेंगे इसके भी दावे किए जा रहे है। आने वाले समय में तय होगा कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुई टकरार का क्या नतीजा होगा।

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